सिविल सर्विसिज एग्ज़ाम में मॉक टैस्ट का महत्व

सिविल सर्विसेज परीक्षाओं में और इसी स्तर की दूसरी परीक्षाओं मसलन पीसीएस, कैट साथ ही एसएससी एग्जाम में भी मॉक टेस्ट का बहुत महत्व होता है। दरअसल हमें आगे बढ़ने के पहले एक बात स्पष्टता से समझ लेनी चाहिए कि परीक्षाएं सिर्फ ज्ञान या जानकारियों की बदौलत नहीं पास की जातीं। दरअसल परीक्षाएं परीक्षार्थियों के एक खास तरह के परीक्षण का तरीका होती हैं, इसलिए सिर्फ नालेज से ही इन्हें नहीं पास किया जा सकता, इन्हें पास करने के लिए हमें वह पैटर्न भी पता होना चाहिए, जिसके बाद इन्हें पास की ट्रिक पता चल जाती है। इस पैटर्न को जाने का सबसे अच्छा तरीका मॉक टेस्ट है। इसके तहत श्रृंखलबद्ध ढंग से ऐसे प्रश्नों का अभ्यास किया जाता है, जिनके बारे में अनुमान होता है कि ये सवाल वास्तविक परीक्षा में आ सकते हैं।
अगर हम करीब दो दर्जन सफल परीक्षार्थियों से बात कर लें तो यह बात उनके अनुभवों से ही साबित हो जाती है कि मॉक टेस्ट के अभ्यास के बाद 50 से ज्यादा सक्सेज की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। कई बार यह सुखद सच सामने आता है कि वास्तविक परीक्षाओं में 70 से 75 प्रतिशत सवाल इन्हीं मॉक टेस्ट से ही आते हैं। हां कई बार तो किस्मत इतनी मेहरबान हो जाती है कि आश्चर्यजनक ढंग से 97-98 प्रतिशत तक सवाल वही होते हैं जिन्हें हमने मॉक टेस्ट में हल किया होता है। यही वजह है कि सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले सभी कोचिंग संस्थान अपने छात्रों को अधिक से अधिक मॉक टेस्ट करने के लिए कहते हैं।
मॉक टेस्ट से कई बातें परीक्षार्थी के पक्ष में जाती हैं। मसलन मॉक टेस्ट करने से हमें परीक्षा की सटीक टाइमिंग पता चल जाती है, इसलिए एग्जाम देते समय हमारा टाइम मैनेजमेंट फेल नहीं होता। मॉक टेस्ट करने से हमारे अंदर का वह तनाव, जो ऐन वक्त पर प्रश्नपत्र देखकर परीक्षा हाल में आता है, वह नहीं आता। इसलिए हम कूल बने रहते हैं और परीक्षा बेहतर होती है। मॉक टेस्ट करने से हमें पहले से पता होता है कि किस तरह की जटिलता से हमारा सामना होने वाला है। ऐसे में हम घबराते नहीं। क्योंकि हमारा परिक्षा पैटर्न समझा होता है, ऐसे हम वास्तविक परीक्षा में उन लोगों के मुकाबले दो गुना तेज़ी से सवालों के जवाब लिखते हैं, जो इस तरह की प्रैक्टिस से नहीं गुजरे होते। मॉक टेस्ट करने से हमें उच्च अंक प्राप्त करने की उम्मीद रहती है। क्योंकि तब हमारे सामने ज्यादातर सवाल जाने पहचाने और समझे हुए आते हैं। मॉक टेस्ट के अभ्यास के चलते हम समय का प्रबंधन तो सीखते ही हैं, अपने भावनात्मक आवेगों को नियंत्रित रखने की कला भी सीखते हैं।
जब हम लगातार मॉक टेस्ट करते हैं तो हम खुद ही अपनी उन गलतियों को पहचान जाते हैं, जो ऐसी प्रैक्टिस के बिना नहीं पहचानी जा सकती और समय रहते उनका पहचान लिया जाना हमारे हित में होता है। जब हम किसी तरह का मॉक टेस्ट नहीं करते तो हम यह नहीं जान पाते कि हमारी तैयारी वास्तव में किस स्तर की है। आमतौर पर हम हमेशा गलतफहमी का शिकार हो जाते हैं। हमें लगने लगता है कि शायद हमें अब और कुछ करने की ज़रूरत नहीं, हमारी पढ़ाई पर्याप्त है। लेकिन जब मॉक टेस्ट देते हैं तो हमें परीक्षाओं के वास्तविक पैटर्न के आधार पर अपनी तैयारी के लेबल का पता चलता है। अगर हमें मॉक टेस्ट पास करने में कठिनाई हो तो मान लेना चाहिए कि अभी हमारी तैयारी पर्याप्त नहीं है। याद रखिए मॉक टेस्ट और वास्तविक टेस्ट में परफोर्मेंस में मुश्किल से 5 प्रतिशत तक का फर्क रहता है वरना तो मॉक टेस्ट में भी हमारा परफोर्मेंस करीब करीब वही होता है। इसलिए सिविल सर्विसेज में ही नहीं बल्कि सभी तरह की परीक्षाओं में मॉक टेस्ट बहुत उपयोगी साबित होता है।


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