उप-चुनावों के परिणाम ‘इंडिया’ के लिए उत्साहवर्धक

28 विपक्षी राजनीतिक दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ और भाजपा के नेतृत्व वाले 39 राजनीतिक दलों के नवीनीकृत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने अभी-अभी अपनी पहली चुनावी लड़ाई का परिणाम देखा है। जिन छह राज्यों में उप-चुनाव हुए उनमें से 4 में ‘इंडिया’ मज़बूत होकर उभरा है, सात में से 4 सीटें जीती हैं और इन 4 में से 3 क्षेत्रों में भाजपा और राजग पर बढ़त हासिल की है।
विधानसभा उप-चुनाव 7 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए हुए—पूर्वी क्षेत्र में झारखंड में डुमरी और पश्चिम बंगाल में धूपगुड़ी, पूर्वोत्तर क्षेत्र में त्रिपुरा में बॉक्सानगर और धनपुर, उत्तर प्रदेश में घोसी और उत्तरी क्षेत्र में उत्तराखंड में बागेश्वर और दक्षिणी क्षेत्र केरल में पुथुप्पल्ली। ‘इंडिया’ ने जो 4 सीटें जीतीं, वे धुपगुड़ी, डुमरी, घोसी और पुथुपल्ली हैं, जबकि राजग ने बॉक्सानगर, धनपुर और बागेश्वर सीटों पर जीत दर्ज की है।
उल्लेखनीय है कि ‘इंडिया’ द्वारा जीती गयी सभी 4 सीटें उसके विभिन्न घटकों द्वारा जीती गयी हैं, जैसे कि टीएमसी ने पश्चिम बंगाल में, जेएमएम ने झारखंड में, सपा ने उत्तर प्रदेश में और केरल में कांग्रेस ने। यह ‘इंडिया’ गठबंधन सहयोगियों के बीच बेहतर सीट बंटवारे की व्यवस्था का संकेत है। 
उत्तर प्रदेश और झारखंड में सीट बंटवारे की व्यवस्था की सफलता और इसके परिणामस्वरूप उप-चुनाव में उत्साहजनक नतीजों से अब ‘इंडिया’ के सहयोगियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा से मुकाबला करने के लिए देश भर में सीट बंटवारे के लिए प्रेरित होना चाहिए। उप-चुनावों के नतीजों ने यह साबित कर दिया है कि ‘इंडिया’ के सहयोगी न केवल सीटों के बंटवारे को अंतिम रूप देने में सक्षम हैं, बल्कि जमीनी स्तर पर संयुक्त रूप से चुनाव लड़ने में भी सक्षम हैं। इसके विपरीत राजग द्वारा जीती गयी 3 सीटें वास्तव में भाजपा ने ही जीतीं है।  
त्रिपुरा और उत्तराखंड में उच्च साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण सर्वविदित है, जिससे भाजपा को क्रमश: 2 और 1 सीटें जीतने में फायदा हुआ। पश्चिम बंगाल, झारखंड, उत्तर प्रदेश और केरल में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण काम नहीं आया। यह स्थिति भाजपा के लिए काफी चिंताजनक और ‘इंडिया’ के लिए उत्साहवर्धक है। भाजपा नेतृत्व के लिए चिंता का विषय है पश्चिम बंगाल, झारखंड और उत्तर प्रदेश को लेकर है, जहां कुल मिलाकर 136 लोकसभा सीटें हैं। केरल में लोकसभा की 20 सीटें हैं और भाजपा को वहां हासिल करने के लिए कुछ भी नहीं है। त्रिपुरा और उत्तराखंड लोकसभा में केवल 2 और 5 सांसद भेजते हैं।
प्रधानमंत्री पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश से काफी उम्मीदें लगाये बैठे हैं, जहां भाजपा ने  2019 के चुनाव में क्रमश: 18 और 62 लोकसभा सीटें जीती थीं। उप-चुनाव के नतीजों से पता चलता है कि ‘इंडिया’ इतना मजबूत लगता है कि उसे आसानी से हराया नहीं जा सकता। टीएमसी ने पश्चिम बंगाल में अपना दबदबा कायम कर लिया है और प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ठोस अभियानों के बावजूद उत्तर प्रदेश के उप-चुनावों में सपा मज़बूत दिखाई दे रही है। टीएमसी नेता निर्मल चंद्र रॉय ने धूपगुड़ी में भाजपा की तापसी रॉय को 4309 वोटों के अंतर से हराया, डुमरी में जेएमएम की बेबी देवी ने आजसू पार्टी की यशोदा देवी को 17,153 वोटों के अंतर से हराया और सपा के सुधाकर सिंह ने दारा सिंह चौहान को 42,759 वोटों के अंतर से हराकर घोसी सीट जीती। जीत का अंतर बताता है कि भाजपा ने झारखंड और उत्तर प्रदेश में अपनी जमीन काफी हद तक खो दी है, जिससे ‘इंडिया’ को फायदा हो रहा है।उत्तर प्रदेश के नतीजे सपा और ‘इंडिया’ के लिए काफी उत्साहवर्धक हैं। विधानसभा चुनाव-2022 में सपा को 1,08,430 वोट मिले थे जबकि भाजपा को 86,214। सपा के वोट बढ़कर 1,24,427 हो गये और भाजपा के घटकर 81,668 रह गये। यह आंकड़ा भाजपा नेतृत्व में बेचैन पैदा करने वाला है।  
झारखंड में विधानसभा चुनाव-2019 में 71,128 वोटों के मुकाबले झामुमो को इस वर्ष हुए उप-चुनाव में 1,00,317 वोट मिले। हालांकि 2019 में प्राप्त 36,840 वोटों के मुकाबले आजसू पार्टी 83,164 वोट हासिल करने में सफल रही। शायद उसे भाजपा के समर्थन से लाभ मिला है। भाजपा ने 2019 में इस सीट पर चुनाव लड़ा था और उसे 36,013 वोट मिले थे।
पश्चिम बंगाल में भाजपा को झटका लगा है, क्योंकि भाजपा ने यह सीट विधानसभा चुनाव-2021 में टीएमसी के 1,00,333 के मुकाबले 1,04,688 वोट हासिल कर जीत ली थी। उप-चुनाव के नतीजों से पता चलता है कि दोनों पार्टियां अपनी जमीन खो रही हैं । भाजपा को केवल 93,304 वोट और टीएमसी को केवल 97,613 वोट मिले। टीएमसी के मुकाबले भाजपा तेजी से अपनी ज़मीन खो रही है। इन उप-चुनावों के नतीजों से पता चलता है कि ‘इंडिया’ गठबंधन भाजपा के खिलाफ मज़बूत होकर उभर रहा है। (संवाद)