भारतीय संसद के इतिहास का नया युग शुरु

संसद भवन का जिक्र होते ही हमारे जहन में एक गोल गुंबदाकार इमारत की तस्वीर उभर आती है। लेकिन अब यह तस्वीर गोल और गुंबदाकार की बजाय त्रिकोणीय या त्रिभुजाकार उभरा करेगी। जी हां, भारतीय संसद भवन का परिचय बदल गया है। 18 सितम्बर से 22 सितम्बर 2023 के लिए आयोजित विशेष सत्र में पुरानी संसद की जगह नई संसद ने ले ली है। गणेश चतुर्थी वाले दिन यानी 19 सितम्बर 2023 से भारतीय संसद के इतिहास का एक नया युग शुरु हो गया है। यह नया संसद भवन पुराने संसद भवन से कई मायनों में अलग है। पुराने संसद भवन में जहां लोकसभा के 550 और राज्यसभा के 250 सांसदों के बैठने की क्षमता थी, वहीं इस नये संसद भवन में 888 लोकसभा के और 384 राज्यसभा के सदस्यों के बैठने की क्षमता है। इस तरह देखें तो नये संसद भवन में 472 सांसदों के बैठने की अतिरिक्त व्यवस्था की गई है। यह 2026 में होने वाले लोकसभा के परिसीमन को ध्यान में रखकर की गई है।
गौरतलब है कि अभी तक भारत की संसद में जो प्रतिनिधि हैं, वे वास्तव में 1971 की जनगणना के आधार हैं, जबकि अब तब के मुकाबले जनसंख्या दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है। जाहिर है जब लोकसभा का परिसीमन होगा तब लोकसभा सांसदों का बढ़ना तय है। नये और पुराने संसद भवन में क्षेत्रफल का भी काफी फर्क है। पुरान संसद भवन जहां महज 24,281 वर्ग मीटर क्षेत्रफल वाला है, वहीं नया संसद भवन 64,500 वर्ग मीटर में फैला है। नये संसद भवन में पुराने संसद भवन की तरह कोई सेंट्रल हॉल नहीं है। पुराने संसद भवन में जो सेंट्रल हॉल है, उसमें 440 व्यक्तियों के बैठने की क्षमता है। यह हॉल वास्तव में जब संयुक्त सत्र होता है तो काफी छोटा पड़ जाता है। इसलिए इसमें नई कुर्सियां जोड़कर जगह बनानी पड़ती है। नये संसद भवन में सेंट्रल हॉल की जगह लोकसभा के सदन का इस्तेमाल किया जा सकता है। नये संसद भवन की जो सबसे बड़ी खासियत है, वह है इसका उच्चस्तरीय डिजिटल सुविधाओं से युक्त होना। यहां इंटरनेट एकीकृत नेटवर्क के रूप में संसद के हर कोने में मौजूद है। यहां लगे कम्प्यूटर आम लोगों के कम्प्यूटर की तरह वायरस का शिकार नहीं होंगे, क्योंकि यहां इंटरनेट नेटवर्क एयरगैप्ड कम्प्यूटर तकनीक से सुरक्षित हैं, जो मैलवेयर या रैनसमवेयर से कम्प्यूटर को बचाती है। नये संसद भवन का कोना कोना डिजिटल सर्विलांस के घेरे में है। नया संसद भवन अत्याधुनिक तकनीक से बना है, जिसमें मतदान में आसानी के लिए बायोमेट्रिक्स, डिजिटल भाषा व्याख्या प्रणाली और माइक्रोफोन की सुविधा उपलब्ध है। हॉल के अंदुरूनी हिस्से में आभासी ध्वनि सेम्युलेशन फिट हैं, जिससे पुराने संसद भवन की तरह यहां हाल गूंजेगा नहीं।
जहां पुरानी संसद भवन का डिजाइन सर एडविन लुटियन और हर्बर्ट बेकर ने बनाया था, वहीं नये संसद भवन की डिजाइन आर्किटेक्ट विमल पटेल द्वारा बनायी गई है। पुराने संसद भवन को बनाने में जहां 83 लाख रुपये खर्च हुए थे। वहीं नये संसद भवन को बनाने में 971 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। जहां पुराना संसद भवन 6 साल में बनकर तैयार हुआ था, वहीं नया संसद भवन साढे तीन सालों में बनकर तैयार हो गया है। 10 दिसम्बर 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने नये संसद भवन का शिलान्यास किया था, जबकि 28 मई 2023 को उन्होंने ही इसका उद्घाटन किया है। गौरतलब है कि पुराने संसद भवन का उद्घाटन तत्कालीन वायसराय लार्ड इरविन ने 18 जनवरी 1927 को किया था। नया संसद भवन पार्किंग की क्षमता के मामले में भी पुराने संसद भवन के मुकाबले 4 गुना ज्यादा क्षमता वाला है। पुराने संसद भवन में जहां 212 गाड़ियों की पार्किंग की सुविधा थी, वहीं नये संसद भवन में 900 गाड़ियां पार्क हो सकती हैं।
नये संसद भवन का एक प्रमुख आकर्षण यहां मौजूद संविधान  हॉल है, जबकि पुराने संसद भवन में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी। अब चूंकि नया संसद भवन संसदीय कार्य का हिस्सा बन चुका है, इसलिए पुराने संसद भवन को एक शानदार म्यूजियम में बदला जायेगा, जहां भारत के लोकतंत्र के गौरवमयी अतीत को समझा जा सकेगा।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर