विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी पर निर्भर करेगी जीत व हार

देश में पांच राज्य राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, मिजोरम एवं तेलंगाना विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है। 7 एवम 17 नवम्बर को छत्तीसगढ़, 7 नवम्बर को मिजोरम, 17 नवम्बर को मध्य प्रदेश, 25 नवम्बर को राजस्थान एवं तेलंगाना में 30 नवम्बर को चुनाव होंगे। 3 दिसम्बर को सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित कर दिये जायेंगे। इन राज्यों में वर्तमान में राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ में कांग्रेस, मध्यप्रदेश में भाजपा, तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति एवं मिजोरम में मिजो फ्रांट की सरकार है। 
इन राज्यों में राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में मुख्य मुकाबला कांग्रेस एवं भाजपा के बीच है, तेलंगाना एवं मिजोरम में क्षेत्रीय दलों का प्रभाव रहेगा। जब से देश में वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में वर्तमान केन्द्र की सत्ताधारी राजनीतिक दल से मुकाबला करने के लिये विपक्षी दलों का संगठन ‘इंडिया’ बना है तब से कांग्रेस की स्थिति में मज़बूती आई है।
राजस्थान, मध्य प्रदेश में चुनाव तिथि से पूर्व ही भाजपा ने अधिकांश सीटों पर केन्द्र के इशारे पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिये जहां वर्तमान में भाजपा के कुछ सांसदों को विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया गया है जिसका आंतरिक विरोध नज़र आने लगा है। इस विधानसभा चुनाव में भाजपा ने स्थानीय नेतृत्व को आगे न कर चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है जहां अप्रत्यक्ष रूप से केन्द्र का नेतृत्व प्रभावी दिखाई दे रहा है अर्थात भाजपा इस विधानसभा चुनाव को मोदी के नाम से लड़ती नज़र आ रही है। वहीं कांग्रेस ने अभी तक इन राज्यों में अपने प्रत्याशी घोषित तो नहीं किये है पर इन राज्यों में कांग्रेस का स्थानीय नेतृत्व उभरता साफ-साफ नज़र आ रहा है। कांग्रेस इन राज्यों में अपने कार्यकाल में किये विकास कार्य को आगे कर चुनाव लड़ने की रणनीति बनाती नज़र आ रही है। कांग्रेस इस विधानसभा चुनाव में हर तरह से राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में फिर से सत्ता में वापिस आने की तैयारी कर रही है। जिसके लिये चुनाव जीत सकने वाले प्रत्याशी चयन प्रक्रिया पर मंथन जारी है। फिलहाल भाजपा की तरह कांग्रेस में आंतरिक कलह नज़र तो नहीं आ रहा है । यदि प्रत्याशी घोषित होने बाद भी कांग्रेस की आंतरिक स्थिति ज्यों की त्यों बनी रहती है तो उसे चुनाव में लाभ मिलना स्वाभाविक है।
राजस्थान में कुछ काल से प्राय: सरकार बदलती रही है। उसी आधार पर सत्ता परिवर्तन की उम्मीद राजस्थान में की जा रही है पर वर्तमान कांग्रेस सरकार अपने विकास कार्य के आधार पर फिर से सत्ता में वापिस आने की उम्मीद कर रही है। राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में सत्ता पर कांग्रेस आती नज़र तो आ रही है।  
चुनाव में जीत हार में सरकार के कार्यकाल की भूमिका तो होती ही है पर प्रत्याशी पर भी चुनाव परिणाम निर्भर करता है। राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ में आम जन के बीच कांग्रेस के प्रति जनाक्रोश कही से नज़र नहीं आ रहा है जो मध्यप्रदेश में सत्ता के प्रति दिखाई दे रहा है। विधानसभा चुनाव में भाजपा इस बार स्थानीय नेताओं को अलग कर केन्द्र नेतृत्व के तहत जो चुनाव लड़ने जा रही है, उसका राजनीतिक लाभ कितना मिल पाता है यह तो चुनाव परिणाम के बाद ही पता चल पायेगा। पर हर चुनाव की अलग-अलग तासीर के चलते विधानसभा चुनाव में मोदी लहर तो काम आयेगा नहीं, भाजपा के इस निर्णय का राजनीतिक नुकसान भी हो सकता है। विधानसभा चुनाव की आखिरी तस्वीर बहुत कुछ कैंडिडेट पर निर्भर करेगी।