नैनीताल में उगते-ढलते सूरज के यादगार दर्शन

हरी पहाड़ियों से घिरी सुंदर झील, शांत पुराने कॉटेज व बाज़ार, वाकिंग ट्रैक्स का जाल, बोटिंग, प्राचीन मंदिरों व हेरिटेज बिल्डिंग्स तक सेलिंग... इस झील नगर में मेरे लिए देखने व करने को बहुत कुछ था। मैं उत्तराखंड की गोद में स्थित नैनीताल में था। हालांकि सफर की थकान के कारण मैं शाम के समय अपने होटल के कमरे में पहुंचते ही गहरी नींद में सो गया था, लेकिन मेरी आंखें पौ फटने से पहले ही खुल गई थीं और मैं मन ही मन में दिनभर का कार्यक्रम बनाने की सोच ही रहा था कि मेरी निगाह अपने ट्रेकिंग शूज पर पड़ी। अब निर्णय लेना कठिन न रह गया था। मैंने टिफिन टॉप से उगते सूरज को देखने का मन बना लिया। मैं हॉर्स राइडिंग करता हुआ भी टिफिन टॉप जा सकता था, जोकि नैनीताल के केन्द्र से लगभग 4 किमी के फासले पर है, लेकिन ट्रेकिंग का अपना ही आनंद है। सुबह के 6 बज रहे होंगे जब मैं टिफिन टॉप पर पहुंचा। पहाड़ों के पीछे से सूरज धीरे-धीरे ‘उग’ रहा था, हिमालय की बर्फीली चोटियों पर उसकी नर्म धूप पड़ने लगी थी। मेरे दिल के जज़्बात मेरे मुंह पर आ ही गये, ‘उ़फ! इतने अधिक प्राकृतिक सौन्दर्य को मैं शब्दों में कैसे व्यक्त कर पाऊंगा?’ मेरे पास शब्द न थे, लेकिन मैं इतना अवश्य कहूंगा कि अगर आपने टिफिन टॉप से उगते हुए सूरज का नज़ारा नहीं किया है, तो प्रकृति के सबसे सुंदर स्थल के आपने दर्शन ही नहीं किये हैं। मन कर रहा था कि समय ठहर जाये और मैं इस नज़ारे को देखता ही रहूं, लेकिन वक्त भी कभी किसी के लिए रुका है।
बहरहाल, मैं ट्रेक करता हुआ ही नैनी झील के पास लौटा, बोट हाउस क्लब में नाश्ता किया और चूंकि ट़ििफन टॉप की खुमारी उतारने के लिए मुझे शांति की ज़रूरत थी, इसलिए एक बोट हायर की, उसमें सवार होने से पहले लाइफ जैकेट लेना मैं नहीं भूला था (आप भी न भूलियेगा; जान है तो जहान है) और फिर सुकून का समय गुज़ारने के लिए बोटिंग करने लगा। मैंने एक घंटे के लिए बोट ली थी, वैसे आधा घंटे के लिए भी बोट मिलती हैं, जिनका किराया दिन के समय पर निर्भर करता है। झील के पास ही नैना देवी मंदिर है। मैंने बोटिंग के बाद कुछ खामोश समय इस मंदिर में भी गुज़ारा और खुद को तरोताजा महसूस किया। यह मंदिर, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, माता नैना देवी को समर्पित है और मान्यता यह है कि नैनी झील पर इन्हीं का ही शासन चलता है। यह भारत की 64 शक्तिपीठों में से एक है। इस मंदिर की लोकेशन अद्भुत है और जो तीर्थयात्री यहां प्रार्थना करने के लिए आते हैं, उनमें इसके दर्शन मात्र से ही शांति का बोध हो जाता है।
मैं सफर पर जहां भी जाता हूं वहां से स्थानीय सौवेनिर लाना कभी नहीं भूलता हूं, विशेषकर इसलिए कि घर लौटने पर परिवार के हर सदस्य के चेहरे पर लिखा रहता है- ‘मेरे लिए क्या लाये हो?’ नैनीताल में शॉपिंग करने और सौवेनिर एकत्र करने के लिए, जैसा कि मुझे बताया गया, सबसे अच्छी जगह तिब्बती मार्किट है। लोगों की बात सही थी, इस बाज़ार में स्थानीय आर्टिफैक्ट्स का खज़ाना देखने को मिला। दुकानों व शैक्स स्थानीय विशिष्टताओं से भरे हुए थे। तिब्बती बैग्स, दिलकश स्कार्फ, देशज ड्रेस, सुंदर डिज़ाइन की हुईं शालें, ऊनी म़फलर ...क्या छोडूं, क्या खरीदूं, समझ पाना कठिन था, विशेषकर इसलिए भी कि दाम आसमान स्पर्श करने वाले थे। फिर भी कुछ तो खरीदना ही था, इसलिए मैंने अपने बजट के भीतर रहते हुए कुछ चीज़ें बतौर यादगार खरीद ही लीं।
विभिन्न फॉर्म, शेप व साइज़ की मोमबत्तियां एकत्र करना नैनीताल में परम्परा है। स्थानीय लोग बहुत गजब की मोमबत्तियां बनाते हैं। मैंने तो मोमबत्तियों के ऐसे डिज़ाइन व पैटर्न कभी देखे नहीं थे, जो मॉल रोड की दुकानों पर बिक रहे थे। अपने घर में सजाने के लिए मैंने कुछ मोमबत्तियां खरीदीं, लेकिन मोलभाव करने के बाद ही मुझे अच्छी डील मिली। मॉल रोड पर मैंने आइसक्रीम का भी लुत्फ लिया, लेकिन मुझे बताया गया कि दिसम्बर के जाड़े में नैनीताल में आइसक्रीम खाने का मज़ा ही कुछ और है। चलो, कभी दिसम्बर में भी नैनीताल घूमने के लिए आया जायेगा। नैनीताल में देखने व अनुभव करने के लिए दर्जनों चीज़ें हैं जैसे आसमान से नैनीताल को देखने के लिए रोपवे (विशेषकर उनके लिए जो ऊंचाई से डरते नहीं हैं), पंगोट एंड किल्बरी बर्ड सैंक्चुअरी, राज भवन, कॉर्बेट नेशनल पार्क, चीना चोटी, नैनीताल ज़ू, केव गार्डन आदि। अगर एडवेंचर का मज़ा लेना है तो रॉक क्लाइम्बिंग भी की जा सकती है। लेकिन इस सबके लिए समय चाहिए, जिसका इस सफर में मेरे पास अभाव था। बहरहाल, अब शाम होती आ रही थी, सूरज के डूबने का समय नज़दीक आता जा रहा था। इसलिए मैं तेज़ी से हल्द्वानी रोड की तरफ बढ़ने लगा। मैंने बस स्टॉप से टैक्सी ली थी ताकि शाम चार बजे से पहले हनुमान मंदिर पहुंचकर इस जगह की दैविकता का अनुभव कर सकूं। नैनीताल में अगर ट़ििफन टॉप पर आपने उगते हुए सूरज के दर्शन किये हैं तो हनुमान मंदिर पर ‘विदा’ होते सूरज को अवश्य देखें। इतना रोमांटिक और दिलकश सनसेट मैंने कहीं और नहीं देखा है। वह नज़ारा आंखों में ही नहीं मन में समा गया, शायद हमेशा के लिए।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर