भारत की मदद से स्मार्ट होता बंगलादेश

डिजिटल माध्यम से भारत व बंगलादेश के बीच प्रगाढ़ होते संबंधों में एक नया अध्याय जुड़ गया है। इस आभासी माध्यम के ज़रिए तीन परियोजनाओं की शुरूआत हुई है। पूर्वोत्तर भारत से बंगलादेश के गंगासागर और त्रिपुरा के निश्चिंतपुर रेल लाइन से जुड़ गए हैं। 65 किमी लम्बी खुलना-मंगला बंदरगाह रेल लाइन और बंगलादेश के रामपाल में मैत्री सुपर थर्मल पावर संयंत्र की दूसरी इकाई शुरू हुई है। पिछले 9 वर्षों में दोनों देशों के बीच तीन नई बस सेवाएं और इतनी ही रेल सेवाएं शुरू हो चुकी हैं। करीब 15 किमी लम्बे अगरतला-अखौरा क्रास बॉर्डर रेल सम्पर्क से सीमा पार व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही ढाका के रास्ते अगरतला और कोलकाता के बीच यात्रा के समय में कमी आएगी। 2022 में 4 नई आव्रजन जांच चौकियां खुली हैं। कंटेनर पार्सल रेलगाड़ियां भी शुरू हुई हैं। भारत सरकार के सहयोग से बंगलादेश में 12 आईटी पार्क बनाए जा रहे हैं। जल्दी ही दोनों देश ऑनलाइन भुगतान के प्रबंध से जुड़ जाएंगे। 
साफ  है कि भारत की अपने पड़ोसियों को महत्व देने की नीतिगत दृष्टि से बंगलादेश प्रथम है, क्योंकि उसने अपने देश में आतंकवाद को सख्ती से कुचलने का काम किया है। पाकिस्तान भारत को शत्रु की दृष्टि से देखता है और भारत में पसरा आतंकवाद पाक की ही देन है। इसलिए भारत एवं पाक के बीच विकास के मुद्दे पर समन्वय नहीं बन पाया है। पाक की आर्थिक स्थिति भी श्रीलंका की तरह बेहद कमज़ोर है। ये दोनों देश आर्थिक सुधार और तकनीकी विकास में भी पीछे हैं। नेपाल में चीन के दखल के कारण भारत पर्याप्त मदद नहीं कर पा रहा है। अफगानिस्तान अमरीका के शिकंजे से मुक्त होने के बाद तालिबानी एजेंडे को आगे बढ़ा रहा है जिससे भारत तालमेल नहीं बिठा सकता। चीन के पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका में पूंजी निवेष के कारण भी इन देशों से भारत के संबंध मज़बूत नहीं हो पा रहे हैं। बावजूद इसके भारत ने आर्थिक संकट में फंसे श्रीलंका को 400 करोड़ रुपये की अभूतपूर्व वित्तीय मदद की है। साथ ही ऋण पुनर्गठन प्रक्रिया में राहत देते हुए कज़र् पर पूर्व निर्धारित ब्याज दर में भी कटौती की है। अलबत्ता जिस तरह से भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में स्मार्ट हो रहा है, उसी तरह से शेख हसीना के नेतृत्व में बंगलादेश स्मार्ट हो रहा है। 
इस बातचीत को दोनों देशों के बीच सहयोग और समझौतों के चलते सफलता की श्रृंखला बड़ी होती जा रही है। कुछ साल पहले दोनों देशों के बीच बड़ा भूमि समझौता बिना किसी विवाद के सम्पन्न हो चुका है। हालांकि यह समझौता 16 मई, 1974 से लम्बित था। उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बंगलादेश समकक्ष शेख मुजीबुर्रहमान ने भी हस्ताक्षर कर दिए थे। बंगलादेशी जातीय संसद ने भी समझौते को मंजूरी दे दी थी, लेकिन भारत में इसके लिए संविधान में संशोधन की जरूरत थी, जो अब जाकर विधेयक के जरिए पूरा हो गया है। इस समझौते के मुताबिक अब तक बंगलादेश के आधिपत्य में 17,160 एकड़ भूखंडों में फैली 111 भारतीय बस्तियां थीं, जो बंगलादेश को हस्तांतरित हो गईं। इसी प्रकृति की 7110 एकड़ के अलग-अलग भूखंडों में आबाद 51 बंगलादेशी नगरिकों की बस्तियां थीं, जो अब पूरी तरह भारतीय गणराज्य के अधीन हो जाएंगी। 2011 की जनगणना के मुताबिक बंगलादेश में बसी भारतीय बस्तियों में 37,334 लोग रह रहे थे, जबकि बंगलादेशी बस्तियों में 14,000 लोग रह रहे थे। हालांकि ताजा अनुमान के मुताबिक यह आबादी अब बढ़ कर लगभग 51,000 हो गई है। इसलिए ऐसा कयास है कि लगभग 51 हज़ार लोगों को भारतीय नागरिकता देते हुए उन्हें राशन एवं आधार कार्ड दिए जाएंगे। 
भारतीय नागरिकता कानून 1955 के अनुसार भारत सरकार जम्मू-कश्मीर राज्य को छोड़ कर किसी भी खास इलाके में रहने वाले लोगों को भारत का नागरिक घोषित कर सकती है, लेकिन इस प्रावधान को लाने से पूर्व कुछ सावधानियां भी बरतना ज़रूरी थीं क्योंकि समझौते में दर्ज शर्तों के मुताबिक उन लोगों को भी उन इलाकों में रहने का अधिकार दिया जाएगा, जिन्हें स्थानांतरित किया जाना है। सरकार इन लोगों को भारत या बंगलादेश में से एक देश का नागरिक बनने का विकल्प देगी। अधिकतम 51 हज़ार लोगों को भारतीय नागरिकता देने की सीमा इसलिए रखी गई है, जिससे उन अवैध घुसपैठियों को नागरिक न बनाया जा सके जो 2011 की जनगणना के बाद भारतीय बस्तियों में नाजायज़ तौर से घुसे चले आए हैं। घुसपैठियों में मुस्लिमों की संख्या ज्यादा हो सकती है। दोनों देशों के बीच एक तटीय जहाज़रानी समझौता भी हुआ है ताकि भारत से आने वाले छोटे पोत बंगलादेश के चटगांव समेत विभिन्न बंदरगाहों पर लंगर डाल सकेंगे। इसके पहले इन पोतों को सिंगापुर होकर जाना पड़ता था। चटगांव बंदरगाह का विकास हाल ही में चीन ने किया है। दोनों देशों के बीच जो रेल यातायात शुरू हुआ है, उसके तहत कालांतर में 1965 के पहले अस्तित्व में रहे रेल मार्गों की पुनर्बहाली हो सकती है। तीन साल से दोनों देशों के बीच कंटेनर और पार्सल रेल भी चल रही है। समुद्री मार्ग को भी यात्रियों और सामान की आवाजाही के लिए विकसित किया गया है। भारत ने बंगलादेश को ऊर्जा परियोजनाओं के लिए 1.6 अरब डॉलर का ऋण दिया है। इन परियोजनाओं के पूरी होने पर बंगलादेश में अतिरिक्त ऊर्जा का उत्पादन होने लग जाएगा। नतीजतन वह भारत की ऊर्जा ज़रूरतों की आपूर्ति कर सकेगा। 
भारत गत 9 वर्षों में बंगलादेश को विभिन्न क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए 10 अरब डॉलर की सहायता दे चुका है। शेख हसीना ने कहा है कि हम साबित करेंगे कि पड़ोसी के साथ अच्छे संबंध देश के विकास में कितने सहायक होते है। अन्य पड़ोसियों को भी शेख हसीना की इस बात को ध्यान से सुनने की ज़रूरत है। 
 

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