अस्थिरता का आलम

विगत दिवस चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर और डिप्टी मेयर के पदों को लेकर हुये चुनाव में जो भारी हंगामा हुआ, उसकी चर्चा अब नई दिल्ली की सड़कों तक भी पहुंच गई है। इस चुनाव में भाजपा का मेयर चुना गया था। दूसरी तरफ ‘आप’ एवं कांग्रेस ने पार्षदों के बहुमत के आधार पर मिल कर इस चुनाव में भाग लिया था। दोनों पार्टियों के पास बहुमत था परन्तु चुनाव के बाद प्रीज़ाइडिंग अधिकारी द्वारा 8 मत अयोग्य करार दे देने के कारण भाजपा के ही मेयर, सीनियर मेयर एवं डिप्टी मेयर जीत गए थे। इस कारण आम आदमी पार्टी के नेताओं तथा चंडीगढ़ की कांग्रेस इकाई ने भारी हंगामा किया तथा आरोप लगाया कि इन चुनावों में संबंधित अधिकारी द्वारा धांधली की गई है। दूसरी तरफ भाजपा नेताओं ने इन आरोपों को नकाराते हुए कहा था कि दोनों विपक्षी पार्टियां अपने पार्षदों को सम्भाल नहीं सकीं तथा उनकी ओर से अपने मत का उपयोग करने के लिए अपनाये गये ढंग-तरीकों के दृष्टिगत ही ये मत रद्द हुए हैं। इस हंगामे के बाद आम आदमी पार्टी ने हाईकोर्ट का रुख किया, परन्तु वहां एकदम राहत न मिलने के बाद उन्होंने इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की, जिसे आगामी दिनों में सुने जाने की सम्भावना है।
उधर दूसरी ओर दिल्ली सरकार की बेहद चर्चित आबकारी नीति को लेकर जिस तरह दिल्ली में हड़कम्प मचा हुआ है, वह और भी बढ़ता दिखाई दे रहा है। इस आबकारी नीति को लेकर जहां पहले दिल्ली के पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया जेल में बंद हैं, वहीं उनके बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय सिंह को भी जेल में डाल दिया गया है। उक्त दोनों नेताओं  के अतिरिक्त पार्टी के अन्य कई वरिष्ठ नेता भी जेल में बंद हैं तथा उन्हें लम्बी अवधि के बाद भी अभी तक ज़मानत नहीं मिल सकी। चाहे दिल्ली सरकार द्वारा आबकारी नीति की हो रही आलोचना के दृष्टिगत 28 जुलाई, 2022 को इसे वापिस ले लिया गया था, परन्तु इस संबंध में सामने आये तथ्यों को दृष्टिविगत नहीं किया जा सकता। विवादित आबकारी नीति में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की भागीदारी को लेकर ही इन्फोर्समैंट डायरैक्टोरेट (ई.डी.) की ओर से उन्हें पेश होने हेतु सम्मन भेजा गया था, परन्तु केजरीवाल ने इस सम्मन को असंवैधानिक बता कर और इसे बदले की भावना से की गई कार्रवाई का हिस्सा कह कर जांच एजेन्सी के समक्ष पेश होने से इन्कार कर दिया था। उसके बाद उन्हें भिन्न-भिन्न तिथियों पर पेश होने के लिए तीन और सम्मन भेजे गये थे परन्तु उन्हें भी केजरीवाल ने लेने से इन्कार कर दिया था। अब पांचवीं बार भी उन्होंने इन सम्मनों को लेने से इन्कार कर दिया है, परन्तु इसके साथ ही अपनी राजनीतिक शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए उन्होंने पिछले शुक्रवार को चंडीगढ़ में मेयर के चुनाव में हुई कथित धांधलियों को मुद्दा बना कर दिल्ली में प्रदर्शन करने की घोषणा की थी, जिसमें उन्होंने पंजाब से भी अपनी पार्टी के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को मुख्यमंत्री भगवंत मान सहित वहां बुलाया था। दूसरी तरफ केजरीवाल के लगातार जांच एजेंसी के समक्ष पेश होने से इन्कार करने और पिछले दिनों दिल्ली सरकार की भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में सामने आई धांधलियों को लेकर भाजपा ने भी इसी दिन दिल्ली में प्रदर्शन किया, जिससे दोनों पार्टियों का टकराव शिखर पर पहुंच गया प्रतीत होता है। 
आबकारी नीति के संबंध में पूछताछ के लिए तो ई.डी. बार-बार नोटिस भेज कर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को पेश होने के लिए कह ही रहा है, दूसरी तरफ केजरीवाल भाजपा पर अपने विधायकों को तोड़ने का बयान देने के कारण भी घिरते दिखाई दे रहे हैं। अब दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच दिल्ली में उनके आवास पर उन्हें इस संबंध में नोटिस देने के लिए दो बार जा चुकी है।  दिल्ली पुलिस उनसे भाजपा पर लगाये आरोपों संबंधी प्रमाणों की मांग कर रही है। इस पूरे घटनाक्रम का दिल्ली सरकार एवं पंजाब सरकार के कामकाज पर भी प्रभाव पड़ने की सम्भावना है। यदि आबकारी मामले में ई.डी. द्वारा उनकी गिरफ्तारी की जाती है तो दिल्ली एवं पंजाब में ‘आप’ की सरकारें और भी अधिक अस्थिर हो सकती हैं। केजरीवाल द्वारा ई.डी. के समक्ष पेश न होने से भी अनेक सवाल खड़े हो रहे हैं, कि वह कानून के शासन को मानते हैं या नहीं। आज अनेक समस्याओं में घिरे प्रदेश को अच्छे एवं प्रभावी प्रशासन द्वारा सम्भालने की ज़रूरत है परन्तु यदि तनावपूर्ण राजनीतिक स्थिति में सरकार प्रदेश की ओर ध्यान नहीं देती तो यह प्रदेश के लिए एवं प्रदेश के लोगों के लिए बेहद नुकसानदायक बात होगी। 

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द