हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी से चिंतित हैं विपक्ष के नेता

बिहार में नितीश कुमार के पाला बदल कर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में चले जाने और भाजपा की मदद से मुख्यमंत्री बन जाने की घटना ने कांग्रेस और विपक्ष को जितनी चिंता में नहीं डाला है, उससे ज्यादा चिंता झारखंड के घटनाक्रम से हो गई है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सिर पर बैठ कर जिस तरह से ईडी ने उनका इस्तीफा कराया और उसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया, उससे विपक्ष के कई नेता बेचैन हुए हैं। खास कर ऐसे नेता, जिनसे ईडी की पूछताछ चल रही है और अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है। बिहार से लेकर पश्चिम बंगाल और हरियाणा से लेकर दिल्ली व महाराष्ट्र तक विपक्षी पार्टियों के नेता चिंता में हैं। सबको चिंता सता रही है कि अगर भाजपा को लगा कि किसी नेता की वजह से 2024 के चुनाव में नुकसान हो सकता है तो केंद्रीय एजेंसी उस नेता को गिरफ्तार करके रास्ते से हटा सकती है। ऐसे नेताओं में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद और उनके परिवार के कई सदस्यों के अलावा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल प्रमुख हैं। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी पर सीधे कोई आरोप नहीं है, लेकिन उनकी पार्टी के आधा दर्जन से ज्यादा बड़े नेता, विधायक और पूर्व मंत्री गिरफ्तार हो चुके हैं। इसके अलावा ममता के भतीजे अभिषेक और उनकी पत्नी व ससुराल के अन्य लोगों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। महाराष्ट्र में शरद पवार और उद्धव ठाकरे की पार्टी के नेताओं और परिवारजनों पर भी ईडी की कार्रवाई जारी है। 

भाजपा बनाम आदिवासी और यादव 

क्या भाजपा को यकीन है कि उसे हर हाल में आदिवासी और यादव वोट मिलेंगे? केंद्रीय एजेंसियों खास कर ईडी की जैसी कार्रवाई बिहार में लालू प्रसाद यादव के परिवार के खिलाफ  और झारखंड में हेमंत सोरेन के खिलाफ  चल रही है, उससे क्या भाजपा को यादव और आदिवासी वोट का नुकसान नहीं दिख रहा है? बिहार में भाजपा ने राजनीतिक अभियान चला कर लालू प्रसाद की पार्टी को सत्ता से बाहर कर दिया है। अब केंद्रीय एजेंसियों का शिकंजा उनके परिवार के सदस्यों पर कस रहा है। दूसरी ओर झारखंड में तो हेमंत सोरेन को न सिर्फ मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा है, बल्कि वह गिरफ्तार भी हो गए हैं। फिर भी भाजपा को भरोसा है कि बिहार में यादव और झारखंड में आदिवासी उसे वोट देंगे। इस भरोसे का आधार क्या है? कुछ दिन पहले तक हेमंत सोरेन का दावा था कि वह इकलौते आदिवासी मुख्यमंत्री हैं, लेकिन भाजपा ने पिछले साल चुनाव के बाद छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बना दिया। छत्तीसगढ़ में आदिवासी मुख्यमंत्री और आदिवासी राष्ट्रपति के सहारे भाजपा भरोसे में है। इसी तरह मध्य प्रदेश में मोहन यादव को मुख्यमंत्री बना कर भाजपा ने उम्मीद बांधी है कि बिहार में यादव वोट मिलेगा। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में चाहे जो होता हो, लेकिन लोकसभा चुनाव में यादव और आदिवासी वोट भाजपा को मिलता है। लेकिन अब क्या हेमंत सोरेन को गिरफ्तार करने के बाद भी वह वोट मिलेगा? इसमें संदेह है। इसी तरह अगर लालू प्रसाद के परिवार के खिलाफ  कार्रवाई होती है तो यादव मतदाता लोकसभा चुनाव में भी राजद के पक्ष में एकजुट होंगे।

केंद्रीय एजेंसियों पर राज्य क्यों भरोसा करें?

यह कमाल की स्थिति है कि जब केंद्रीय जांच एजेंसियों की कार्रवाई को राज्यों की ओर से बदले की कार्रवाई बताया जाता है तो उस पर कोई ध्यान नहीं देता है, उलटे सभी केंद्रीय एजेंसियों को दूध का धुला और राज्यों के नेताओं को भ्रष्टाचार में डूबा हुआ बताते है, लेकिन जब किसी भी राज्य में अगर किसी केंद्रीय एजेंसी से जुड़े अधिकारी के खिलाफ  मुकद्दमा होता है तो उसे बदले की कार्रवाई बताते हुए मुकद्दमे को ट्रांसफर करने की बात कही जाती है। सवाल है कि जब केंद्रीय एजेंसियों को राज्यों की पुलिस और दूसरी जांच एजेंसियों पर भरोसा नहीं है तो राज्यों के नेता क्यों केंद्रीय एजेंसियों पर भरोसा करें? ताज़ा मामला तमिलनाडु का है, जहां ईडी के एक अधिकारी को एक डॉक्टर से 20 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। ईडी के अधिकारी के पास से रिश्वत की रकम भी बरामद हुई है, लेकिन तमिलनाडु पुलिस और भ्रष्टाचार रोधी एजेंसी की जांच को बदले की कार्रवाई बताया गया। अब ईडी सुप्रीम कोर्ट में पहुंची है कि यह मुकद्दमा तमिलनाडु से बाहर ट्रांसफर किया जाए। सवाल है कि केंद्रीय एजेंसियों को क्यों नहीं राज्यों की जांच पर भरोसा हो रहा है? अगर वह राज्यों की एजेंसी पर भरोसा नहीं करेंगी तो राज्यों की एजेंसियां, अधिकारी और नेता उनके ऊपर कैसे भरोसा करेंगे? सुप्रीम कोर्ट को इस बारे में फैसला करना है कि क्या बदले की कार्रवाई होती है। उम्मीद करनी चाहिए कि इससे धुंध कुछ छंटेगी।

लापता होने का शोर 

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लेकर दिल्ली और प्रदेश के मीडिया में 36 घंटे से ज्यादा समय तक यह हल्ला मचता रहा कि वह लापता हो गए हैं। भाजपा के नेताओं ने ऐसा हंगामा मचाया जैसे देश की सारी एजेंसियां उनको खोज रही हों और वह नहीं मिल रहे हों। रातों रात झारखंड में मुख्यमंत्री लापता के पोस्टर लग गए और खोज कर लाने वाले के लिए 11 हज़ार रुपये का इनाम घोषित कर दिया गया। भाजपा के नेता कहने लगे कि उन्हें शर्म आ रही है कि राज्य का मुख्यमंत्री लापता है। राज्यपाल तक का बयान आ गया। सवाल है कि ईडी की टीम दिल्ली के शांति निकेतन स्थित उनके आवास पर गई, जहां वह नहीं मिले तो इसका क्या यह मतलब होगा कि मुख्यमंत्री लापता हो गए? क्या एजेंसी ने मीडिया को फीड किया कि मुख्यमंत्री लापता हैं या मीडिया ने खुद ज्यादा स्वामीभक्ति दिखाने के लिए यह शोर मचाया? मुख्यमंत्री के खिलाफ  अगर वारंट नहीं है और उनके आधिकारिक आवास पर कोई एजेंसी नहीं पहुंची तो दिल्ली के आवास पर उनके नहीं होने से कैसे उन्हें लापता माना जा सकता है? यह भी बड़ा सवाल है कि ईडी ने दिल्ली के उनके आवास पर जो किया, क्या वह छापा मारना था? बताया जा रहा था कि ईडी ने वहां से एक गाड़ी ज़ब्त की है और यह भी खबर आई कि 36 लाख रुपये मिले हैं, लेकिन यह नहीं कहा जा रहा था कि एजेंसी ने छापा मारा। 

सोनिया और प्रियंका राज्यसभा में जाएंगी!

कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को लेकर चर्चा है कि दोनों राज्यसभा में जा सकती हैं। सोनिया इस समय रायबरेली लोकसभा सीट से सांसद हैं, लेकिन उनकी सेहत और उम्र को देखते हुए कहा जा रहा है कि शरद पवार की तरह वह भी राज्यसभा में चली जाएंगी। पहले कहा जा रहा था कि प्रियंका गांधी वाड्रा उनकी जगह रायबरेली सीट से चुनाव लड़ सकती है, लेकिन अब चर्चा है कि प्रियंका भी लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगी। वह पार्टी की महासचिव हैं, लेकिन उन्हें किसी राज्य का प्रभार नहीं सौंपा गया है, क्योंकि उन्हें पूरे देश में कांग्रेस के लिए प्रचार करना है। इसलिए कहा जा रहा है कि वह हिमाचल प्रदेश से राज्यसभा सदस्य बन सकती हैं। गौरतलब है कि राज्य हिमाचल में राज्यसभा की एक सीट खाली हो रही है। भाजपा के अध्यक्ष जे.पी. नड्डा रिटायर हो रहे है। वह किसी और राज्य से राज्यसभा में जाएंगे या लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। इस बार वह सीट कांग्रेस के खाते में जाएगी। इसी तरह सोनिया गांधी के बारे में कहा जा रहा है कि वह तेलंगाना से राज्यसभा में जा सकती हैं। ध्यान रहे तेलंगाना कांग्रेस के नेता पहले से कहते रहे हैं कि अगर सोनिया गांधी राज्य की किसी सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ें तो पार्टी को फायदा होगा या राज्यसभा सदस्य बनें तब भी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की संभावना बेहतर हो जाएगी।