पुरानी साइकिल

नकुल का विद्यालय उसके घर से काफी दूर था। वह पैदल ही स्कूल जाता था। उसके ज्यादातर सहपाठी अपनी-अपनी साइकिल पर स्कूल आते थे। नकुल जब भी अपने पापा से साइकिल की मांग करता तो वह घर की आर्थिक तंगी की दिक्कत बताकर उसे चुप करा देते थे। बात भी ठीक थी, नकुल के पापा एक छोटी सी फैक्टरी में काम करते थे। घर का गुजारा ही मुश्किल से चलता था, ऊपर से नकुल की पढ़ाई का खर्चा सो अलग।
लेकिन एक रोज नकुल की खुशी का ठिकाना न रहा। उसके पापा कहीं से उसके लिए एक पुरानी साइकिल ले आए। नकुल ने साइकिल को अच्छी तरह साफ किया और दूसरे सहपाठियों की तरह ही अब रोज़ाना स्कूल जाने लगा। लेकिन उसकी यह खुशी ज्यादा दिनों तक टिक न सकी। साइकिल बहुत पुरानी होने के कारण कभी पंक्चर हो जाती तो कभी कोई और गढ़बढ़ हो जाती। जिससे वह कभी कभार तो साइकिल के चक्कर में स्कूल भी देर से पहुंचने लगा था।
अब तो हाल यह था कि उसके सहपाठी दोस्त उसकी साइकिल का मजाक उड़ाने लगे थे। खास कर संजू तो उसकी साइकिल पर व्यंग्य कसने से जरा भी बाज न आता था। नकुल की साइकिल को खटारा बता कर वह अकसर ठहाका लगाता था। धनी घर का लड़का होने के कारण संजू के पास सबसे महंगी साइकिल थी। 
एक रोज नकुल जब अपनी साइकिल पर घर जा रहा था तो संजू अपनी साइकिल उससे आगे भगाते हुआ बोला, ‘मेरी साइकिल से दौड़ लगाओ...।’ नकुल के मन में भी संजू के लिए काफी गुस्सा था। उसने भी अपनी साइकिल तेज दौड़ानी शुरू की मगर यह क्या थोड़ी दूर जाते ही उसकी साइकिल की चेन टूट गई। संजू ने पीछे गर्दन घुमा कर देखा तो अपनी साइकिल की ब्रेक लगाकर नकुल की हालत पर जोर-जोर से हंसने लगा। नकुल साइकिल से नीचे उतरा और संजू के करीब आकर बोला, ‘मेरी गरीबी का मजाक उड़ाते हो...?’ और इसी के साथ ही नकुल ने पूरे जोर से अपनी साइकिल हाथों में उठाई और संजू के बिल्कुल पीछे फेंक दी। संजू को एक पल लगा जैसे नकुल उससे खीझ कर उसे डराने की कोशिश कर रहा है। लेकिन बात कुछ और ही थी। 
दरअसल नकुल ने देखा कि एक बैल संजू को मारने के लिए उसके बेहद करीब आ चुका है। उसे बचाने के लिए कोई चारा न देख कर नकुल ने अपनी साइकिल बैल के आगे फेंक दी जिससे बैल के अगले पैर उसमें अटक गए और वह लड़खड़ाता हुआ नीचे गिर पड़ा व संजू की जान बच गई। 
नकुल की सूझबूझ और फुर्ती से संजू के प्राण तो बच गए थे मगर उसकी साइकिल के चक्के बुरी तरह नकारा हो चुके थे। वह अपनी बेकार हो चुकी साइकिल को घसीटता हुआ एक तरफ करने लगा।
तभी अपनी साइकिल एक ओर खड़ी कर संजू ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए प्यार से कहा, ‘अरे नकुल, मैं तो हमेशा तुम्हारा मजाक उड़ाता रहा और तुमने मेरी जान बचाने के लिए अपनी साइकिल की परवाह तक न की। मुझे माफ करना दोस्त...।’
‘दोस्त भी कहते हो और माफी की बात भी करते हो। अच्छा हुआ मेरी खटारा साइकिल तुम्हारे काम आई।’ कहते हुए नकुल भी मुस्करा दिया।
उसी शाम संजू अपने पापा के साथ नकुल के घर आया। संजू के पापा ने भी नकुल को शाबाशी देकर गले लगाया और उसे नई साइकिल देते हुए बोले, ‘बेटा, मुझे गलत न समझना। मैं अपनी खुशी से तुम्हें यह उपहार देना चाहता हूं। ताकि तुम दोनों दोस्त एक साथ अपनी-अपनी साइकिल पर स्कूल जाओ।’ नकुल ने संजू की तरफ देखा तो उसने भी नकुल को नई साइकिल दोस्ती का उपहार समझ कर रखने के लिए बिनती की। अब नकुल भी रोज़ाना नई साइकिल पर स्कूल जाने लगा था, नए दोस्त के साथ। 

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