सौर ऊर्जा से बदलेगी भारत की तकदीर !

समूचे विश्व में भारत पहला देश होगा जिसमें एक करोड़ घरों की बिजली का उत्पादन सौर ऊर्जा से घर की छतों पर होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इस महत्वाकांक्षी योजना को बहुत जल्द मूर्तरूप मिलने जा रहा है। वह दिन दूर नहीं जब भारत के करोड़ों घरों में सौर ऊर्जा से पैदा बिजली से उनकी दैनिक ज़रूरत पूरी होगी। 
अतिरिक्त बिजली को सरकार को बेची जी सकेगी। पिछले दिनों केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘पीएम सूर्य घर : मुफ्त बिजली योजना’ को मंजूरी दे दी है। इस योजना के तहत देशभर में एक करोड़ घरों की छतों पर सौर संयंत्र लगाने के लिए 78,000 रुपये तक सब्सिडी और 300 यूनिट मुफ्त बिजली मिलेगी। इस पर 75,021 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। सौर ऊर्जा के बेहतर उपयोग के लिए प्रयास पहले भी हुए हैं, किन्तु सफल नहीं हो पाए। ऐसे में यह प्रश्न भी पैदा होता है कि क्या यह योजना सफल हो पाएगी? ऐसी योजना पर 75 हजार करोड़ रुपये खर्च करना क्या उचित है? 
पहले सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए जो योजनाएं लाई जाती थीं, उनमें सामान्यत: उपकरण खरीदने पर सब्सिडी दी जाती थी, जैसे सोलर लालटेन, सोलर कुकर आदि। सब्सिडी पर सस्ता मिलने के कारण लोग उन्हें खरीद तो लेते थे, किन्तु एक बार खराब होने पर उसे ठीक कराने का कष्ट भी नहीं उठाते थे। इस कारण एक-दो वर्ष पश्चात वे उपकरण खराब हो जाते थे और सब्सिडी पानी में चली जाती थी।
एक करोड़ परिवारों को मुप्त बिजली देने को लेकर केंद्र सरकार की रूफटॉप सोलर योजना है, जिसके तहत 300 यूनिट से कम बिजली का उपभोग करने वाले घरों पर रूफ टॉप सोलर सिस्टम लगाए जाएंगे। इसे लगाने से लेकर मेंटिनेंस तक सब सरकार करेगी। 3 किलोवाट तक सरकार 40 फीसदी सब्सिडी दे रही है, जिसे बढ़ा कर हम 60 फीसदी कर रहे हैं, शेष पर ऋण लेना होगा और यह ऋण मकान मालिक को नहीं लेना होगा बल्कि ऋण पब्लिक सेक्टर की कम्पनियां लेंगी और वही सिस्टम लगाएंगी। जिस दिन से यह सिस्टम लगेगा, उसी दिन से उस परिवार की बिजली मुफ्त हो जाएगी। जो सिस्टम कम्पनियां लगाएंगी, वे 300 यूनिट से ज्यादा बिजली पैदा करेगा। इसी अतिरिक्त बिजली से पब्लिक सेक्टर की कम्पनियां ऋण चुका सकेंगी। इसमें 10 साल लगेंगे। इसके बाद वो रूफ टॉप सोलर सिस्टम मकान मालिक का हो जाएगा और अगले 15 साल तक उसे इसके जरिए कमाई होगी। इस सिस्टम की अवधि 25 साल आंकी जा रही है।
इस बार जो योजना शुरू की गई है, उसमें लोगों को तीन तरह से आकर्षित करने का प्रयास किया गया है। पहला, सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने पर सरकार 60 प्रतिशत तक सब्सिडी देगी। दूसरा, जो परिवार इस योजना के तहत अपने घरों पर संयंत्र लगवाएंगे, उन्हें हर महीने 300 यूनिट तक नि:शुल्क बिजली दी जाएगी। तीसरा, सौर संयंत्र से जो बिजली पैदा होगी, उसकी पूरी खपत घर में नहीं होगी तो सरकार उसे खरीद लेगी। इसके लिए विशेष ग्रिड बनाया गया है। 
इस योजना से देश में बिजली की कमी कुछ सीमा तक दूर होगी और पूरी बिजली व्यवस्था कोयला एवं पानी संचालित बिजली संयंत्रों पर आधारित नहीं रहेगी। इससे देश में बढ़ते इलेक्ट्रिक वाहनों और बढ़ते उद्योगों के लिए बढ़ती बिजली की मांग को पूरा करने में आसानी होगी। दूसरा, भारत वैश्विक स्तर पर कार्बन उत्सर्जन में कटौती का जो वायदा कर रहा है, उसे पूरा करने की दिशा में यह बड़ा कदम होगा। सबसे अधिक कार्बन उत्सर्जन कोयला जलाने से होता है और कोयले की सर्वाधिक खपत बिजली घरों में हो रही है। नई सौर ऊर्जा योजना से प्रदूषण का स्तर कम करने में भी सहायता मिलेगी। धीरे-धीरे सभी बिजली उत्पादन कंपनियों को भी सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
इच्छुक परिवार वेबसाइट पर इस योजना की सब्सिडी के लिए आवेदन कर सकेंगे, स्वयं विक्रेता चुन सकेंगे। इससे किसी तरह के भ्रष्टाचार की आशंका समाफ्त हो जाएगी। उसी वेबसाइट से उपयुक्त सौर प्रणाली, लाभ आकलन, विक्रेता रेटिंग आदि जैसी ज़रूरी जानकारी मिल जाएगी। परिवार वर्तमान में रिहायशी मकानों में छतों पर तीन किलोवाट तक की क्षमता के सौर संयंत्र लगाने के लिए करीब 7 प्रतिशत ब्याज पर बिना किसी गारंटी के कज़र् ले सकेंगे। सरकार का अनुमान है कि इस योजना से प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से 17 लाख रोज़गार सृजित होंगे। रोज़गार सोलर पैनल बनाने, उनको लाने-ले जाने, स्थापित करने आदि से जुड़े होंगे।
आज भारत अपने सौर ऊर्जा उत्पादन के मामले में एशिया में तीसरे और दुनिया में पांचवे स्थान पर है। वर्तमान में यह अक्षय ऊर्जा की कुल क्षमता का लगभग 38 प्रतिशत है। देश के सबसे बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र राजस्थान, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु में स्थित हैं।
भारत में वर्तमान में बिजली उत्पादन का सबसे बड़ा सोलर पावर प्लांट भाड़ला सोलर पार्क है। यह बिजली उत्पादन के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा सोलर पार्क है एवं क्षेत्र के मामले में दूसरा सबसे बड़ा पार्क है। भाड़ला में औसतन तापमान 46 से 48 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच रहता है। भाड़ला लगभग 45 वर्ग किलोमीटर में फैला एक रेतीला, सूखा और शुष्क क्षेत्र है। एक करोड़ घरों पर सौर पैनल लगाने की सरकार की योजना आकर्षक है और यदि सफल हो जाती है तो विद्युत् उत्पादन के मामले में यह बहुत बड़ा कदम साबित हो सकती है।

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