फूंक-फूंक कर कदम उठा रही है कांग्रेस

देश में लोकसभा चुनाव होने में चाहे बहुत कम समय रह गया है, इसलिए देश की अलग-अलग बड़ी-छोटी राजनीतिक पार्टियों ने इनमें उतरने के लिए अपनी पूरी तैयारी कर ली है। देश में लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल से एक जून, 2024 तक सात चरणों में होंगे, जिनके परिणाम 4 जून, 2024 को घोषित किए जाएंगे। इन चुनावों के दृष्टिगत कुछ बड़ी पार्टियों ने अलग-अलग राज्यों में अपने उम्मीदवारों की घोषणा भी कर दी है। अब तक के समूचे राजनीतिक परिदृश्य से यह प्रभाव मिलता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने जहां हमलावर रुख धारण किया हुआ है, वहीं दूसरी बड़ी राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस बहुत सोच-समझ कर तथा सम्भल-सम्भल कर आगे बढ़ रही है। दो दर्जन से अधिक पार्टियों की ओर से बनाये गये ‘इंडियन नैशनल डिवैल्पमैंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) की कांग्रेस एक बड़ी भागीदार पार्टी है। पिछले कुछ महीनों से इस गठबंधन की गतिविधियां कुछ बढ़ी हैं, चाहे इस गठबंधन की भागीदार पार्टियां की ओर से अलग-अलग स्थानों पर घोषित किये गये तथा घोषित किये जाने वाले उम्मीदवारों संबंधी बड़े मतभेद बरकरार हैं, इस समस्या ने इस गठबंधन को बेहद कमज़ोर कर दिया है। चाहे अब तक भी कांग्रेस की पहुंच यही रही है कि किसी न किसी तरह इस गठबंधन में एकता बनी रहे परन्तु इस गठबंधन के वरिष्ठ एवं कद्दावर नेता बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार की ओर से भाजपा के साथ मिल जाने के कारण इसे एक बड़ा झटका लगा था। पश्चिम बंगाल में भी मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी ने सभी सीटों पर स्वयं चुनाव लड़ने की घोषणा करके इसे दूसरा बड़ा झटका दिया था।
पंजाब में भी स्थानीय वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की ओर से इस गठबंधन की भागीदार आम आदमी पार्टी के साथ सीटों संबंधी किसी भी तरह का गठबंधन न करने के बारे में लिये गये स्पष्ट स्टैंड तथा इस संबंध में अपनाये कड़े व्यवहार के कारण कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब में समझौते से पांव पीछे खींच लिये थे।  जहां तक आम आदमी पार्टी का सवाल है तो वह पंजाब के अतिरिक्त हरियाणा, दिल्ली, गुजरात, असम एवं गोवा आदि राज्यों में चुनाव लड़ रही है। चाहे दिल्ली तथा पंजाब के अलावा इसका अन्य शेष राज्यों में कोई प्रभाव दिखाई नहीं देता परन्तु इस सभी के बावजूद कांग्रेस हाईकमान ने हरियाणा, दिल्ली एवं गुजरात में कांग्रेस पार्टी के साथ सीटों का बंटवारा किया है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने 4 तथा कांग्रेस ने 3 उम्मीदवारों की घोषणा की है। इसी तरह इसने गुजरात में ‘आप’ के लिए भरुच तथा भावनगर आदि की दो सीटें छोड़ दी हैं। कांग्रेस को इस समय सामने दिखाई दे रहे राजनीतिक परिदृश्य का अहसास है। इसलिए इस बार उसकी नीति अन्य विरोधी भागीदार पार्टियों को अधिक से अधिक सीटें छोड़ कर चुनाव लड़ने की रही है। यही कारण है कि वर्ष 1951-52 के आम चुनावों के मुकाबले इस बार कांग्रेस देश में सबसे कम संख्या में अपने उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतार रही है। इसने अब तक सिर्फ 231 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है, दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी अब तक 400 से अधिक उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है। यह स्पष्ट है कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों की तुलना यह पार्टी इस बार चुनाव मैदान में अपने अधिक उम्मीदवार खड़े करेगी। कांग्रेस ने वर्ष 2014 में 464 सीटों के लिए उम्मीदवार उतारे थे। वर्ष 2019 में इसने पहले से कम 421 उम्मीदवार ही उतारे थे। इस बार यह संख्या कम होकर 320 सीटों तक ही सिमट सकती है।
दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी ने वर्ष 2014 में 428 सीटों पर चुनाव लड़ा था। वर्ष 2019 में ये सीटें बढ़ कर 436 हो गई थीं परन्तु इस बार भाजपा और भी बड़ी छलांग लगाने की योजना बना रही है। सीटों के बंटवारे को लेकर ‘इंडिया’ गठबंधन को केरल में  उस समय बड़ी चुनौती मिली, जब मार्क्सवादी पार्टी ने वहां सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी, परन्तु अब तक ‘इंडिया’ गठबंधन को उत्तर प्रदेश एवं बिहार में सफलता मिलती दिखाई दे रही है। कांग्रेस उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ मिल कर 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। राजस्थान में भी इसने अपने 22 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। इस प्रदेश में कुल 25 सीटें हैं, इसके साथ ही कांग्रेस बिहार, गुजरात, आंध्र प्रदेश और ओडिशा में भी अपने भागीदारों के साथ सीटों के बंटवारे के लिए अभी तक पूरा ज़ोर लगा रही है। आगामी दिनों में उसके सुचेत रूप में किये जा रहे ऐसे यत्न कितने सफल होते हैं, यह देखना शेष होगा।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द