पल में हीरो, पल में ज़ीरो बना देते हैं क्रिकेट के ये दीवाने

मुंबई इंडियंस ने इस वर्ष के आईपीएल सत्र में जो अपने पहले तीन मैच खेले उनमें हार्दिक पंड्या को दर्शकों ने ज़बरदस्त हूट किया, जो सही नहीं था, दिग्गज क्रिकेटरों ने दर्शकों से अपील भी की कि वह ऐसा न करें। अहमदाबाद में दर्शकों के लिए हार्दिक ‘गद्दार’ थे, जो गुजरात टाइटंस को आसमान की बुलंदियों तक लेकर गये और फिर उसे अधर में छोड़ दिया। मुंबई में वह ‘बिगडैल बेटे’ थे, जिन्होंने प्रिय पुत्र (रोहित शर्मा) से कप्तानी छीन ली। हैदराबाद में वह फ्रैंचाइज़ी क्रिकेट कल्चर से जुड़ी कमियों व बढ़ती असहिष्णुता का प्रतीक थे, इसलिए उनकी हूटिंग हुई। शायद जब जब मुंबई इंडियंस बुरी तरह से हारे यह जारी रहे। विशेषकर जब तक कि मैदान में हार्दिक कोई अद्भुत प्रदर्शन करके एमआई को जिताएं न, क्योंकि वह गुजरात टाइटंस से मुंबई इंडियंस के लिए अपनी निष्ठा शिफ्ट करके फैन्स को नाराज़ कर चुके हैं। 
लेकिन अतीत में अनेक क्रिकेटर अपनी टीमें बदल चुके हैं, जिसकी दर्शकों ने तनिक भी परवाह नहीं की। क्रिस गेल ने आईपीएल में चार अलग-अलग टीमों का प्रतिनिधित्व किया, लेकिन कहीं पर भी उन्हें हूटिंग का सामना नहीं करना पड़ा था। हार्दिक भी जब आठ साल मुंबई के लिए खेलने के बाद गुजरात गये और 2022 में वानखड़े में गुजरात के लिए मैदान में उतरे तो दर्शकों ने कोई नाराज़गी प्रकट नहीं की थी। आख़िरकार अंतर-फ्रैंचाइज़ी प्रतिद्वंदिता अभी क्रिकेट में फुटबॉल या बास्केटबॉल जैसी नहीं है, जहां क्लब कल्चर का लम्बा व उतार-चढ़ाव वाला इतिहास है। मुंबई के फैन्स द्वारा अपने ही कप्तान को हूट करना अजीब लगता है, विशेषकर जब वह एमआई के सुनहरे वर्षों में टीम का अटूट हिस्सा रहे हों। साथ ही हार्दिक एक तेज़ गेंदबाज़ आलराउंडर के रूप में दुर्लभ खिलाड़ी हैं, उन्होंने अतीत में अनेक मैचों को अपने दम पर जिताया है। वह अब भी ट्राफी दिला सकते हों (जोकि टीम पिछले तीन साल से नहीं जीती है)। बावजूद इसके आज के दौर में किसी को नापसंद करने में अक्सर देर नहीं लगती है। 
वानखेड़े ने तो इससे भी ख़राब हालात देखे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि सचिन तेंदुलकर विश्व क्रिकेट के प्रतीक हैं, वह एक ऐसे खिलाड़ी हैं, जिनसे नफरत नहीं की जा सकती, लेकिन जब 2006 में इंग्लैंड के विरुद्ध वह 21 गेंदों में एक रन बनाकर आउट हो गये थे तो दर्शकों ने उन्हें भी हूट किया था। अगर तेंदुलकर के विरुद्ध असंतोष की आवाजें उठ सकती हैं तो हार्दिक जैसा हाल किसी का भी या हर किसी का हो सकता है। वैसे भी आज ट्रोलिंग का दौर है, लोग पल में तोला, पल में माशा हो जाते हैं। किसी को हीरो से जीरो बनाने में देर नहीं लगती है। तेंदुलकर की घटना से दो दशक पहले ईडन गार्डन्स की भीड़ ने इंग्लैंड के विरुद्ध चल रहे टेस्ट में सुनील गावस्कर के ऊपर सड़े गले फल फेंके थे, न सिर्फ धीमी बल्लेबाज़ी के लिए बल्कि उन्हें कपिल देव की जगह कप्तान बना दिया गया था, जोकि विश्वकप जीतने की वजह से उस समय दर्शकों के दिलों पर राज कर रहे थे। टॉस के समय दर्शक ‘नो कपिल, नो टेस्ट’ के नारे लगा रहे थे। गावस्कर ने कसम खायी कि वह दोबारा ईडन गार्डन्स में टेस्ट नहीं खेलेंगे और वह अपनी बात पर कायम रहे, उन्होंने 1987 में पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट में हिस्सा नहीं लिया। 2013 में वानखड़े में विराट कोहली का स्वागत भी ‘चीटर, चीटर’ के नारों से किया गया था। जवाब में कोहली ने कहा था, ‘यह मत भूलो, मैं भारत के लिए भी खेलता हूं।’
हार्दिक भी भारत के लिए खेलते हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि आईपीएल ने अपने 17वें सत्र के क्रमविकास में राष्ट्रीय भावनाओं को एक किनारे करते हुए अलग प्रकार के उपभोक्ता व फैन्स विकसित कर लिए हैं। आईपीएल को यूरोपियन फुटबॉल लीग की तज़र् पर विकसित किया गया है, इसलिए यह संभव है कि वह उसके कुछ गुण भी ग्रहण कर ले, दोनों अच्छे, बुरे व कुछ बीच के भी। फुटबॉल में तो अब हूटिंग मैच-दिवस के अनुभव का हिस्सा बन गई है। शायद ही कोई खिलाड़ी, मालिक, सरकार या संसार इससे बच पाता हो। ‘गद्दर जर्सी’ का शोर पूरे स्टेडियम में सुनायी पड़ता है। इन घटनाओं में जब नस्लवाद शामिल हो जाता है या विख्यात खिलाड़ी कट्टर प्रतिद्वंदी क्लब में शामिल होता है, तब ही मामला गंभीर होता है। बहरहाल, जब खिलाड़ी अपने नये क्लब को जीत दिला देता है तो उसे हीरो बनने में भी देर नहीं लगती है। इसी तरह बेहतर प्रदर्शन करने पर हार्दिक को भी मुंबई का प्यार मिलने लगेगा। मैच में जीत व ट्राफी सबकुछ बदल देती है। हार्दिक फिर हीरो बन जायेंगे, जैसे टी-20 विश्व कप में ट्रोलिंग के बाद एक दिवसीय विश्व कप में रिकॉर्ड विकेट लेकर मुहम्मद शमी हीरो बन गये थे। इतिहास हमें अच्छा सबक देता है। मुंबई अगले एक दशक तक तेंदुलकर के लिए चीयर्स करती रही, अब भी करती है। यही हाल कोहली का भी है। गावस्कर जब कमेंटेटर के रूप में ईडन गार्डन्स में प्रवेश करते हैं तो उनका तालियों से स्वागत होता है।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर