राहुल और पित्रोदा के बयान भाजपा के लिए वरदान

कहते हैं कि इन्सान में आयु और अनुभव से समझ विकसित हो जाती है लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर यह बात लागू नहीं होती है। हालांकि इस बार उन्होंने होमवर्क करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है लेकिन इसके बावजूद उनके बयान कांग्रेस और ‘इंडिया’ गठबंधन पर ही भारी पड़ रहे हैं। वहीं कांग्रेस के एक सलाहकार और मास्टर माइंड सैम पित्रोदा ने ऐसे समय में माता-पिता से मिलने वाली सम्पत्ति पर विरासत कर की बात कह कर सारे खेल को ही बिगाड़ दिया है। प्रधानमंत्री मोदी इस बात को हाथों हाथ लिया और कहा है कि कांग्रेस का मंत्र लूट है, ज़िंदगी के साथ भी और ज़िंदगी के बाद भी। शहज़ादे और उनके सलाहकार देश के मध्यम वर्ग पर और अधिक टैक्स लगाने की योजना बना रहे हैं। माता-पिता से मिलने वाली सम्पत्ति पर भी विरासत कर लगाने की कांग्रेस की योजना है कांग्रेस का पंजा आपके बच्चों का अधिकार छीनने के लिए व्याकुल है। 
चुनावी माहौल देखकर ऐसा लगता है मानो विपक्षी दलों का कुनबा ‘इंडिया’ गठबंधन सत्तारूढ़ दल का मुकाबला करने असमर्थ प्रतीत हो रहा है। मतदाताओं को लुभाने के लिए वे किसी तरह की कमी नहीं छोड़ रहे। कांग्रेस ने तो गरीब महिलाओं के वोट हासिल करने के लिए 1-1 लाख रुपये देने की घोषणा भी कर डाली है। आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से आगे ले जाने, देश में जाति आधारित जनगणना जैसे वायदे भी कांग्रेस कर रही है। दूसरी ओर भाजपा ने मानो हर बात को इस तरह पेश करने में महारत हासिल कर ली है कि कांग्रेस जो भी कह या कर रही है, वह देश के लिए अत्यंत हानिकारक है।
वामपंथी सोच वाले सलाहकारों से घिरे कांग्रेस नेता राहुल गांधी अति उत्साह में कई बार ऐसी बातें बोल जाते हैं, जिनसे भाजपा को बड़ा मुद्दा मिल जाता है। एकाध बार हो जाए तो वह चूक या गलती मानी जा सकती है, किन्तु राहुल से बार-बार ऐसी गलतियां हो जाती हैं, जिनका लाभ भाजपा उठाती है। अब चुनावी सभा में राहुल ने कह दिया कि सत्ता में आने पर अमीरों का धन लेकर गरीबों में बांट देंगे। 7 अप्रैल को हैदराबाद में राहुल ने कहा, ‘हम पहले यह निर्धारित करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी जातीय जनगणना करेंगे कि कितने लोग अन्य ओबीसी, एससी, एसटी और अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। उसके बाद धन के समान वितरण को सुनिश्चित करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम के तहत हम एक वित्तीय और संस्थागत सर्वेक्षण कराएंगे।’ अब भाजपा ने इसे मुद्दा बना लिया है कि कांग्रेस पार्टी की नज़र आम आदमी की कमाई पर है, वह उसे छीनना चाहती है।
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अलीगढ़ में चुनावी जनसभा में कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ पर बेहद गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा, ‘मैं देशवासियों को आगाह करना चाहता हूं कि कांग्रेस और उसके गठबंधन की नज़र अब आपकी कमाई और संपत्ति पर है। कांग्रेस के शहज़ादे (राहुल गांधी) का कहना है कि उनकी सरकार आई तो कौन कितना कमाता है, किसके पास कितनी सम्पत्ति है, उसकी जानकारी हासिल करेंगे। इतना ही नहीं, वह कहते हैं कि यह जो सम्पत्ति है उसको अपने कब्जे में लेकर सबको बांट देगी। वह सर्वे करना चाहते हैं कि जो नौकरी पेशा कर्मचारी हैं श्री सम्पत्ति है। यह सर्वे कराकर कांग्रेस सरकार के नाम पर को छीन कर बांटने की बात कर रही है। 
राहुल को अपने शब्दों का चयन बहुत सोच-समझकर करने की ज़रूरत है। उन्होंने धन के बंटवारे का जो शिगूफा छोड़ा है, वह न व्यावहारिक है और न ही उचित। यदि परिश्रम कर कमाने वालों का धन छीनकर निठल्लों को देने लगे तो देश में क्या स्थिति होगी, इसकी कल्पना मात्र डराने वाली है। ऐसी अराजकता पैदा करने वाली योजनाओं के बारे में सार्वजनिक दावे कोई भी राजनीतिक तौर पर परिपक्व नेता तो नहीं करेगा।
प्रधानमंत्री मोदी राजनीति के मंजे खिलाड़ी हैं उनका मुकाबला कर पाना राहुल जैसे नौसिखि और समय की नज़ाकत से बेख़बर उनके सलाहकारों के वश की बात नहीं है। ऐसे कमज़ोर रणनीतिक माहौल में उन क्षेत्रीय दलों का भी नुकसान हो सकता है जो अपने बूते पर मतदाता के बीच अस्तित्व रखते हैं लेकिन अपने गठबंधन के नेता के ऐसे बयान उनके वोटर्स को भी भ्रमित कर सकते हैं। ऐसे गठबंधन को कौन वोट देगा जिसके नेता माता-पिता की सौंपी विरासत पर टैक्स लगाने की बात कर रहे हों। 

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