एआई की मदद से वैज्ञानिक सीख रहे हैं ‘व्हेल’ की भाषा

वैज्ञानिकों को यह अंदेशा तो कई सालों पहले ही हो गया था कि सीतसिया क्रम से जुड़े जलीय स्तनधारियों की एक बड़ी प्रजाति ‘स्पर्म व्हेल’ आपस में न सिर्फ बातें करती हैं बल्कि एक-दूसरे के साथ सफल और संतोषजनक संवाद भी करती हैं। लेकिन इस अनुमान का कोई ठोस वैज्ञानिक सबूत नहीं था। इसलिए कुछ साल पहले वैज्ञानिकों ने इस अंदेशे को सबूत में बदलने के लिए खुद स्पर्म व्हेल मछलियों की भाषा सीखने की शुरुआत की। ताकि इसे सीखने के बाद वे उनकी दुनिया को नज़दीक से जान सकें और अब कुछ सालों बाद वैज्ञानिकों को किसी हद तक इस मामले में सफलता मिलती दिख रही है। डोमिनिका स्पर्म व्हेल प्रोजेक्ट के संस्थापक शेन गेरो कहते हैं, ‘स्पर्म व्हेल की बातचीत में आवाजों का उतार चढ़ाव, गति और संख्याओं में बदलाव बिल्कुल इंसानी बातचीत और इंसानी आवाज की माफिक ही उतार चढ़ाव से भरा होता है। मसलन जब स्पर्म व्हेल आपस में बात करती हैं, तो उनकी आवाज में ‘कट कट कट’ आवाज की एक निश्चित संख्या और अवधि का इस्तेमाल होता है। कई बार आखिर में एक कट कट जोड़ा जाता है और कई बार शुरुआत में। जैसे कि इंसान अपनी भाषा में शब्दों की रचना और अर्थों के विस्तार के लिए प्रत्यय का इस्तेमाल करता है।
गौरतलब है कि स्पर्म व्हेल (फिसेटर मेक्रोसेफालस) दांतेदार व्हेलों में सबसे बड़ी और सबसे बड़ा दांतदार शिकारी हैं। यह स्पर्म व्हेल का यह परिवार जीनस फिसेटर का एकमात्र जीवित सदस्य है। स्पर्म व्हेल को शुक्राणु व्हेल भी कहते हैं। आमतौर पर यह गहरे और भूरे रंग की होती है, हालांकि कुछ के पेट पर सफेद धब्बे भी देखे जाते हैं। स्पर्म व्हेल के सिर बहुत बड़े होते हैं, जो शरीर की कुल लंबाई का करीब एक तिहाई के बराबर होते हैं। इनके सिर के शीर्ष के बायीं ओर एक ब्लोहोल असम्मित रूप में स्थित होता है। स्पर्म व्हेल की त्वचा झुर्रीदार और शरीर पर गोलाकार निशान होते हैं, जोकि स्किट सकर के कारण होते है। सामान्य तौर पर स्पर्म व्हेल 70 साल जीती है, लेकिन कुछ की उम्र इससे काफी ज्यादा होती है।
स्पर्म व्हेल हमेशा से इंसान को अपनी ओर आकर्षित करती रही है, क्योंकि यह चौंपियन गोताखोर होती है और कई बार समुद्र में गोताखोरी करने वालों के साथ यह भी गोताखोरी करते दिखती है। स्पर्म व्हेल माना जाता है 3000 फीट से ज्यादा गहराई तक गोता लगा सकती है और दो घंटे से ज्यादा पानी में रह सकती है। इसका सबसे आम शिकारी ‘किलर व्हेल’ है। स्पर्म व्हेल खुले समुद्र में रहती है और भूमध्य रेखा से लेकर उच्च अक्षांशों तक लगभग सभी समुद्रों में पायी जाती है। इसकी सामान्य परिभ्रमण गति 5 से 15 किलोमीटर प्रति घंटे होती है और जब ये अपनी गति बढ़ाती है तो करीब 35 से 45 किलोमीटर प्रतिघंटे तक कर लेती है। स्पर्म व्हेल भोजन और प्रजनन के लिए मौसम के अनुसार प्रवास करती है।
वैज्ञानिकों को सालों से इस बात का अंदेशा था कि स्पर्म व्हेल मछलियां आपस में संवाद करती हैं और इनकी एक व्यवस्थित भाषा है। लेकिन यह तभी पूरी तरह से स्थापित हो सकता है, जब वैज्ञानिक इसकी भाषा को समझें और उनके आपसी संवाद के सटीक अर्थ निकालें, जो कि वैज्ञानिक अब करने के अपने मिशन पर मौजूद हैं। लगभग दो साल की अथक मेहनत के बाद वैज्ञानिक स्पर्म व्हेल की भाषा की वर्णमाला सीखने में किसी हद तक सफलता पायी है। खासकर यह अपनी बातचीत में जो शब्द ‘कट कट’ का इस्तेमाल करती है, इस आवाज को कोडाज कहते हैं और यह मोर्स कुंजी जैसी आवाज होती है। वैज्ञानिकों ने कई सालों तक पूर्वी कैरिबियाई समुद्र में रहने वाली 60 स्पर्म व्हेल मछलियों के इस संवाद को रिकॉर्ड किया है। इस शोध की प्रमुख भारतीय मूल की प्रत्यूषा शर्मा है, जो कहती हैं, ‘हम उनकी आवाज का अध्ययन और आवाज के बाद उनके व्यवहार का मूल्यांकन कर रहे हैं और हम इसमें एआई की मदद भी ले रहे हैं।’ अगर वैज्ञानिकों ने यह असंभव काम कर दिखाया तो दुनिया के सामने समुद्र के भीतर की दुनिया की एक ऐसी वास्तविकता सामने आयेगी, जिसे अब तक हम सिर्फ अनुमान से समझते रहे हैं।
माना जाता है कि स्पर्म व्हेल के पास चूंकि धरती के किसी भी जानवर के मुकाबले सिर सबसे बड़ा होता है, इसलिए माना जा रहा है कि उसका दिमाग भी बाकी सभी जानवरों से बड़ा और तेज होगा। गौरतलब है कि स्पर्म व्हेल का दिमाग इंसान के सिर से पांच गुना भारी होता है। ऐसे में माना जा रहा है कि यह मछली इंसान से पांच गुना ज्यादा बेहतर या उन्नत दिमागी गतिविधियों को सम्पन्न करती होगी। स्पर्म व्हेल सिर और दांतों वाला सबसे बड़ा जीव है, जिसमें छोटी पिग्मी स्पर्म व्हेल भी होती है और बेहद बौनी स्पर्म व्हेल भी । -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर