कटघरे में मुख्यमंत्री

आजकल पंजाब भर में जालन्धर पश्चिमी विधानसभा हलके के उप-चुनाव की कई पक्षों से व्यापक चर्चा हो रही है। दिल्ली में भी इसे पूरी दिलचस्पी के साथ देखा जा रहा है। यह चुनाव 10 जुलाई को हो रहा है। इसके लिए मात्र पांच दिन ही शेष हैं तथा 13 जुलाई को इसके परिणाम सामने आ जाएंगे। यह चुनाव इसलिए भी चर्चा का विषय है, क्योंकि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इसे चुनौती के रूप में लिया है। अपनी पहले की गई घोषणाओं के अनुसार उन्होंने पिछले कई दिनों से जालन्धर में अपने परिवार सहित डेरा लगाया हुआ है। यहां तक कि पंजाब सरकार के बड़ी संख्या में मंत्री तथा विधायक भी यहां पहुंचे हुए हैं तथा दिन-रात इस हलके के मतदाताओं को रिझाने के लिए उनके घरों तथा गलियों-बाज़ारों में चक्कर लगा रहे हैं। यहीं बस नहीं, हमारी सूचना के अनुसार अन्य ज़िलों से भी पुलिस सहित प्रशासनिक अधिकारी यहां पहुंचे हुए हैं। पंजाब सरकार चुनावों के अवसर पर हलके के लोगों के साथ उनकी समस्याओं को हल करने के दिन-रात वायदे कर रही है। आगामी समय में इस क्षेत्र का, यहां के लोगों की नियति बदलने के दावे भी किये जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने तो बार-बार यह भी घोषणा की है कि पार्टी की ओर से खड़े उम्मीदवार को जीतने पर मंत्री बना दिया जाएगा। ऐसे यत्न उनकी ओर से इसलिए भी किए जा रहे हैं कि उन्हें अहसास हो चुका है कि आगामी समय राजनीतिक तौर पर उनके तथा उनकी पार्टी के लिए चुनौतियों से भरपूर होगा। 
पिछली बार हुए लोकसभा चुनावों में मुख्यमंत्री लगातार यह मुहारनी सुनाते रहे थे कि वह प्रदेश की 13 की 13 सीटों पर जीत हासिल करेंगे। शायद इसका आधार यह रहा होगा कि वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को लोगों की ओर से भारी समर्थन मिला था, जिस कारण उन्हें प्रदेश की 117 में से 92 सीटों पर बड़ी जीत प्राप्त हुई थी। कांग्रेस को 18 सीटें, अकाली दल-बसपा गठबंधन को मात्र 4 तथा भाजपा को 2 तथा आज़ाद उम्मीदवार को एक सीट मिली थी। नई पार्टी को मिले इस जनादेश ने एक बार तो प्रदेश के राजनीतिक गलियारे में उथल-पुथल मचा दी थी। अन्य पार्टियों को नमोशी का सामना करना पड़ा था। आम आदमी पार्टी के पक्ष में यह हवा इसलिए चली थी, क्योंकि लोग अन्य पारम्परिक पार्टियों से निराश हो गए थे, परन्तु मात्र दो वर्ष की अवधि में ही प्रदेश का राजनीतिक परिदृश्य एक बार फिर बदल गया है तथा हवा ने अपनी दिशा बदल ली है। इसलिए पिछले मास हुए लोकसभा चुनावों में जहां कांग्रेस को 7 सीटें मिलीं, वहीं आम आदमी पार्टी मात्र 3 सीटों पर ही सिमट गई। इस तरह मुख्यमंत्री भगवंत मान के दावों की एक तरह से हवा ही निकल गई थी। इन चुनावों में कई विधायक भी खड़े थे, जिनके जीतने के बाद विधानसभा की डेरा बाबा नानक, गिद्दड़बाहा, चब्बेवाल तथा बरनाला आदि सीटें रिक्त हो गई हैं, परन्तु जालन्धर पश्चिमी की रिक्त हुई सीट की कहानी कुछ अलग है। 
2022 के विधानसभा चुनावों में जालन्धर पश्चिमी से शीतल अंगुराल कांग्रेस के उम्मीदवार सुशील कुमार रिंकू को हरा कर आम आदमी पार्टी के विधायक बने थे, परन्तु डेढ़ वर्ष की अवधि के उपरांत ही उनका पार्टी की त्रुटिपूर्ण कारगुज़ारी को देखते हुए मोह भंग हो गया था तथा वह ‘आप’ से त्याग-पत्र देकर भाजपा में शामिल हो गए थे, जिससे मुख्यमंत्री सहित आम आदमी पार्टी को बहुत नमोशी में से गुज़रना पड़ा था। विधानसभा से शीतल अंगुराल का त्याग-पत्र स्वीकार होने के बाद इस हलके के उप-चुनाव हो रहे हैं, जबकि शेष रिक्त हुए चार विधानसभा क्षेत्रों के चुनाव बाद में करवाए जाएंगे। त्याग-पत्र देने के समय भी शीतल अंगुराल ने पार्टी के ज्यादातर सभी छोटे-बड़े नेताओं पर गम्भीर आरोप लगाये थे तथा यह भी कहा था कि वह इस पार्टी में बेहद घुटन महसूस करते रहे थे तथा इससे छुटकारा पाना चाहते  थे। अब चुनावों की घोषणा के बाद भी इस हलके की राजनीतिक स्थिति व्यापक स्तर पर उथल-पुथल वाली तथा बेहद दिलचस्प बनी दिखाई देती है। शीतल अंगुराल ‘आप’ से त्याग-पत्र देकर भाजपा में शामिल हो गए थे, इसलिए पार्टी की ओर से अब उन्हें ही चुनाव मैदान में उतारा गया है। 
यहां यह भी बताना बनता है कि इन लोकसभा चुनावों में जालन्धर हलके से कांग्रेस के उम्मीदवार चरणजीत सिंह चन्नी बड़े अन्तर से यह सीट जीते हैं। लोकसभा चुनावों के दौरान जालन्धर पश्चिमी हलके में भी कांग्रेस को मतदाताओं का भरपूर समर्थन मिला था। तीसरी पार्टी अकाली दल है। जिस तरह का इसकी ओर से इस चुनाव के दौरान प्रदर्शन किया गया है, उससे इस पार्टी की स्थिति और भी नमोशी वाली बन गई है। उम्मीदवार को लेकर भिन्न-भिन्न अकाली गुटों की ओर से खेली जा रही राजनीतिक खेल ने एक तरह से इस पार्टी को कमज़ोर करके रख दिया है। वैसे इस समय यह प्रतीत होता है कि जैसे प्रदेश की पूरी राजनीति ही इस हलके तक सिकुड़ गई हो। बहुत-से राजनीतिक नेताओं की ओर से जिस तरह लगातार पार्टियां बदलने का खेल खेला जा रहा है, उससे संबंधित पार्टियों की छवि पर भी प्रभाव पड़ रहा है। शीतल अंगुराल मुख्यमंत्री के नज़दीकी माने जाते रहे थे। उनकी ओर से यह आरोप लगाया गया था कि भाजपा ने उन्हें खरीदने के लिए 50 करोड़ रुपए की पेशकश की थी। इतना नज़दीकी साथी रहने के कारण मुख्यमंत्री तथा उनके अन्य साथियों के ज्यादातर रहस्यों से वह भली-भांति अवगत हैं। अब चुनावों में उन्होंने जिस तरह भगवंत मान, उनके परिवार एवं उनके नज़दीकी रहे अन्य साथियों के राज़ खोलने शुरू किए हैं, उनसे एक बार तो प्रदेश की राजनीति में व्यापक स्तर पर हलचल पैदा हो गई है, जिससे स्वयं को ‘शुद्ध ईमानदार’ कहने वाले मुख्यमंत्री को भी कटघरे में खड़ा होना पड़ेगा, क्योंकि पंजाब के लोग उन पर लगे इन गम्भीर आरोपों के संबंध में स्पष्टीकरण तो ज़रूर मांगेंगे।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द