प्रिंट मीडिया की विशिष्ट पहचान
प्यारे बच्चों! आज हम ‘आज के मोबाइल युग में समाचार पत्रों के अस्तित्व’ के बारे में बात करने जा रहे हैं। बच्चों आधुनिक युग में भी प्रिंट मीडिया की अपनी अलग पहचान है। यह टीम वर्क से ही संभव है। समाचार पत्र के प्रकाशन में प्रधान संपादक के साथ-साथ समाचार संपादक, फीचर संपादक एवं उनके सहयोगियों का भी बराबर का सहयोग रहता है। रातोंरात अखबार तैयार करना और उसे अपने गंतव्य तक पहुंचाना कोई आसान काम नहीं है साथ ही सुधी पाठकों को अखबार पढ़ाना भी कोई आसान काम नहीं है। यह बहुत कठिन रास्ता है। इस क्षेत्र में विक्रेताओं और हॉकर का भी अपना महत्व है। वे भी दिन और रात एक कर देते हैं। वे गर्मी और सर्दी की कोई परवाह नहीं करते और साल में कुल कितनी छुट्टियां, केवल चार होती हैं।
अखबार कहां से आया और कहां पहुंचा? क्या यह आश्चर्यजनक नहीं है? दरअसल, इस मोबाइल युग में भी अखबार के अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों के हितों पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
दरअसल, प्रिंट मीडिया आज भी अपनी अमिट छाप रखता है। यही इसकी विशिष्टता है। संपादकीय समय-समय पर किसी भी सरकार को चेतावनी देते रहते हैं। जहां साहित्य प्रेमी साहित्य के सागर में गोते लगाकर मोती निकालते रहते हैं, वहीं खेल प्रेमी अपनी पसंदीदा टीमों के प्रदर्शन से भी वाकिफ रहते हैं। सोना, चांदी, दालें, सब्जियां, फल आदि के दैनिक भाव पाठकों को समाचार पत्र से ही पता चलते हैं। प्यारे बच्चों रविवार को प्रकाशित ‘बाल संसार’ अंक आपके लिए ही तो है। इसमें आपके लिए बहुत उपयोगी जानकारी बच्चों की कहानियां, बच्चों की कविताएं, चुटकुले, पहेलियां, छोटे बाल कलाकारों की अद्भुत कलाकृतियां और कई अन्य मनोरंजक सामग्री शामिल होती है। बच्चों इन्हें पढ़कर आप रोमांचित हो जाएंगे। हम सभी को अखबार के हर छोटे-बड़े कर्मचारी को सलाम करना चाहिए।