Chitrakoot में मंदाकिनी नदी किनारे सजा Donkey बाजार, मुगल बादशाह औरंगजेब के समय से चला आ रहा
चित्रकूट, मध्य प्रदेश, 1 नवंबर - चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़। ये तो सबने सुना है लेकिन आज चित्रकूट के घाट पर गधों और खच्चरों का मेला लगा है। आधुनिक टेक्नोलॉजी और मशीनरी के जमाने में भी चित्रकूट में एक गधों और खच्चरों का ऐतिहासिक मेला लगता है। गधों का मेला शायद ही आपने कहीं देखा हो लेकिन धार्मिक नगरी चित्रकूट में गधों का ऐतिहासिक मेला लगता है। दरअसल दीपावली के दूसरे दिन हर साल मंदाकिनी नदी के किनारे ये गधा मेला लगता है। यह मेला औरंगजेब के जमाने से लगता चला आ रहा है। इसमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश सहित अलग-अलग प्रांतों के व्यापारी गधों को बेचने और खरीदने आते हैं। लेकिन अब इस ऐतिहासिक मेले की लगातार अनदेखी किये जाने से जानवरों का यह मेला सिमटता जा रहा है। लगातार टेक्नोलॉजी के चलते मशीनों का बढ़ता प्रचलन कहीं ना कहीं गधों की डिमांड कम कर रहा है। जिसके चलते कहीं ना कहीं अब इसका व्यापार भी कम होता जा रहा है। बावजूद उसके आज भी यहां पर 1000 से ज्यादा खच्चर प्रतिवर्ष पहुंचते हैं, और लोग खरीदने और बिक्री करने के लिए यहां आते हैं। धार्मिक नगरी चित्रकूट मे दीपावली में लगने वाले गधा बाज़ार में आने वाले व्यापारियों को कभी घाटा तो कभी मुनाफा होता है। ये बाज़ार पर निर्भर होता है। व्यापारियों की माने तो गधों की यहा पर अच्छी खासी कीमत मिलती है और चित्रकूट का मेला सबसे अच्छा माना जाता है।