मेट्रिक सिस्टम का आविष्कार क्यों हुआ?
‘दीदी, आज जो हमारे पास मापने या तोलने के तरीके हैं क्या वह हमेशा से ही ऐसे थे?’
‘नहीं। मापने के स्टैंडर्ड न सिर्फ एक देश से दूसरे देश में भिन्न थे बल्कि एक ही देश में भी अलग-अलग थे।’
‘इससे तो बहुत परेशानी होती होगी?’
‘हां। दरअसल, जब कुछ सौ साल पहले विज्ञान विकसित होने लगा तो वैज्ञानिकों को माप को लेकर बहुत दिक्कतें होने लगीं। इसलिए सन् 1700 में वैज्ञानिकों ने यह बहस शुरू कर दी कि मापने का एक ऐसा समझदारी भरा सिस्टम होना चाहिए जो पूरी दुनिया में स्वीकार्य हो।’
‘फिर ऐसे सिस्टम का विकास किसने किया?’
‘फ्रांस ने 1791 में। इस विकसित करने के लिए फ्रांस के पास अन्य कारण भी थे।’
‘वह क्या?’
‘उस समय वह अपनी क्रांति के बीच में था। क्रांति के नेता नफरती अतीत की सभी यादों से मुक्ति पाना चाहते थे। इसलिए फ्रेंच क्रांति के नेता माप का एक नया सिस्टम विकसित करना चाहते थे।’
‘ओके।’
‘उन्होंने लम्बाई से शुरुआत की। उन्होंने स्टैण्डर्ड के तौर पर ‘मीटर’ स्थापित करना तय किया, जोकि लैटिन शब्द से बना है, जिसका अर्थ है ‘मापना’।’
‘तो इसी की वजह से माप की पूरी व्यवस्था को मैट्रिक सिस्टम कहते हैं।’
‘जी। पहले वह मीटर को पृथ्वी की सरकमफ्रेंस का एकदम 1/40,000,000वां हिस्सा बनाना चाहते थे। लेकिन जब यह हिसाब गलत निकला तो मीटर प्लैटिनम-इरीडियम बार पर दो मार्क के बीच के फासले को ले लिया गया। इस सिस्टम में माप के सभी यूनिट्स-लेंथ, कैपेसिटी, मास किसी न किसी तरह से मीटर से ही जुड़े हुए हैं।’
‘इसलिए मेट्रिक सिस्टम याद करने व इस्तेमाल करने में आसान है।’
‘सही कह रहे हो। वैसे पहले लोग अपने अपने मूल माप के तरीके को छोड़ना नहीं चाहते थे। फिर 1840 में फ्रेंच सरकार ने ज़ोर दिया कि लोग मेट्रिक सिस्टम का प्रयोग करें वर्ना उन्हें सज़ा दी जायेगी। फिर अन्य देश भी धीरे-धीरे मेट्रिक सिस्टम अपनाने लगे और आज लगभग पूरी दुनिया इसे अपनाये हुए है।’
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर