मराठी साहित्य सम्मेलन में आजादी की लड़ाई की महक है- प्रधानमंत्री मोदी

नई दिल्ली, 21 फरवरी - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "आज दिल्ली की धरती पर मराठी भाषा के इस गौरवशाली कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है। अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन एक भाषा या राज्य तक सीमित आयोजन नहीं है। मराठी साहित्य सम्मेलन में आजादी की लड़ाई की महक है। इसमें महाराष्ट्र और राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत है। 1878 में अपने पहले आयोजन से लेकर अब तक अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन देश की 147 साल की यात्रा का साक्षी रहा है...आज मुझे इस गौरवपूर्ण परंपरा से जुड़ने का अवसर मिल रहा है। मैं आप सभी को इस आयोजन की बधाई देता हूं।

मराठी भाषा अमृत से भी अधिक मीठी है, इसलिए मराठी भाषा और मराठी संस्कृति के प्रति मेरा जो प्रेम है, उससे आप भली भांति परिचित हैं...ये मराठी सम्मेलन एक समय में हो रहा है जब छत्रपती शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 350 वर्ष पूरे हुए हैं। आज हम इस बात पर भी गर्व करेंगे कि महाराष्ट्र की धरती पर मराठी भाषी एक महापुरुष ने 100 वर्ष पहले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का बीज बोया था आज ये अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है। भारत की महान परंपरा और संस्कृति को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का एक संस्कार यज्ञ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पिछले 100 वर्ष से चला रहा है। मेरे जैसे लाखों लोगों को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने देश के लिए जीने की प्रेरणा दी है और संघ के ही कारण मुझे मराठी भाषा और मराठी परंपरा से जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। इसी कालखंड में मराठी भाषा को अभिजात भाषा का दर्जा दिया गया है। 
हमारी मुंबई महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि पूरे देश की आर्थिक राजधानी बनकर उभरी है... ये महाराष्ट्र और मुंबई ही है जिसने मराठी फिल्मों के साथ-साथ हिंदी सिनेमा को ऊंचाई दी है और इन दिनों तो नई फिल्म छावा की धूम मची हुई है।

 

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