गुरुद्वारा बाबे की बेर में 71 वर्ष बाद हुई श्री अखंड पाठ साहिब की शुरुआत

अमृतसर, 22 मार्च (सुरिन्द्र कोछड़) : पाकिस्तान के ज़िला सियालकोट में मौजूद पहली पातशाही गुरु नानक देव जी के साथ संबंधित गुरुद्वारा बाबे की बेर में देश की बांट से 71 वर्ष बाद कल सुबह पहली बार श्री अखंड पाठ साहिब शुरू किए गए, जिनके भोग 23 मार्च शुक्रवार को डाले जाएंगे। प्राप्त जानकारी के अनुसार 1517 ई. में पहली पातशाही गुरु नानक देव जी महाराज पहली बार उक्त स्थान पर पधारे थे तथा इसके 500 वर्ष पूरे होने की खुशी में यह शुभ शुरुआत की गई है। इस मौके पर कथा कीर्तन उपरान्त गुरु का अटूट लंगर भी बांटा गया। उक्त धार्मिक समारोह में पाकिस्तान के विभिन्न शहरों सहित विदेश से भी संगत पहुंची हुई है। गुरुद्वारा साहिब के प्रबंधकों ने गुरुद्वारा बाबे की बेर के इतिहास बारे अधिक जानकारी देते बताया कि ज़िला सियालकोट की जफरवाल रोड स्थित निक्कापुरा आबादी के उक्त गुरुद्वारा साहिब में मौजूद जिस बेरी के रुख अधीन सतगुरुओं ने आसन किया था, बाद में संगत द्वारा उसी बेरी के वृक्ष के पास यादगार के रूप में एक आलीशान गुरुद्वारा निर्मित कर दिया गया। उक्त गुरुद्वारा साहिब की इमारत को भारत में उठे बाबरी मस्जिद विवाद के समय दंगाकारियों द्वारा भारी नुक्सान पहुंचाए जाने उपरान्त सिख भाईचारे की मांग पर 30 जनवरी 2012 को पाकिस्तान के इवैकुई ट्रस्ट प्रापर्टी बोर्ड (ई.टी.पी.बी.) द्वारा इस ऐतिहासिक गुरुद्वारे के नवनिर्माण का काम शुरू करवाकर अक्तूबर 2015 में यह निर्माण मुकम्मल करवाया गया।