पुलिस व स्वास्थ्य विभाग में आपसी तालमेल की कमी

जालन्धर, 16 जुलाई (एम.एस. लोहिया) : पुलिस विभाग द्वारा आदेश जारी किए गए हैं, कि हिरासत में लिए गए किसी भी व्यक्ति को अदालत में पेश करने के बाद यदि जेल भेजने के आदेश होते हैं तो उसकी पूरी तरह डाक्टरी जांच करवाई जाए तभी उस व्यक्ति को जेल छोड़ कर आया जाए। ऐसे ही निर्देश जेल प्रशासन को दिए गए हैं कि किसी भी हवालाती या कैदी जिसको जेल में रखना हो उसका पूरा डाक्टरी चैकअप हुआ हो, जिसकी रिपोर्ट सिविल अस्पताल के डाक्टरों द्वारा दी गई हो। परन्तु पुलिस विभाग द्वारा यह निर्देश जारी किए जाने से पहले स्वास्थ्य विभाग को सूचित नहीं किया गया और न ही इस संबंधी सिविल अस्पताल में प्रबन्धों का जायज़ा लिया गया है, जिसका खामियाज़ा कर्मचारी और आम लोग भूगत रहे हैं। दरअसल हवालातियों या कैदियों को अदालत में पेश करने के बाद जब पुलिस कर्मचारी डाक्टरी जांच के लिए लेकर जाते हैं तो उनको लगभग 10 कमरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। क्योंकि विभाग द्वारा जो प्रोफोर्मा दिया गया है, उसके अनुसार जेल भेजे जाने वाले व्यक्ति की पहचान के बारे में जानकारी से शुरू होकर उसकी सेहत संबंधी जानकारी भरी जाती है। उसके द्वारा कोई नशा तो नहीं किया जाता, इस बारे में जानकारी ली जाती है। फिर उसकी डाक्टरों द्वारा शारीरिक जांच की जाती है, जिसमें 7-8 तरह की जानकारी दी जाती है। उसकी आंखों, नाक, कान, गले, नाड़ियों के ज्ञान, दांतों, पेशाब की जांच और दिमागी जांच के अतिरिक्त अन्य भी कई तरह की जांच की जाती है। इस सारी जांच के लिए जेल भेजे जाने वाले व्यक्ति को हथकड़ी लगा कर उसके साथ कम-से-कम 2 कर्मचारी एक कमरे से दूसरे कमरे में लेकर जाते हैं, जहां पहले ही विशेषज्ञ डाक्टर बड़ी संख्या में मरीज़ों की जांच कर रहे होते हैं। * हथकड़ी लगे कर्मचारियों के घूमने से माहौल में फैलती है दहशत : जब सिविल अस्पताल में कर्मचारियों को हथकड़ी लगा कर पुलिस कर्मचारी एक कमरे से दूसरे कमरे में लेकर जाते हैं तो वहां पहले ही मौजूद महिलाएं और छोटे बच्चों में दहशत फैल जाती है।  मुलाज़िमों का कहना है कि एक आरोपी की डाक्टरी जांच करवाने में कम-से-कम 5 घंटे का समय लग जाता है। इस दौरान यह खतरा बना रहता है कि आरोपी कोई चालाकी न करे और फरार होने का प्रयास न करे। इसके अतिरिक्त यह परेशानी भी होती है कि दोपहर 2 बजे तक ही डाक्टर जांच करते हैं, यदि जांच समय पर पूरी न हो तो आरोपी को जेल प्रशासन के हवाले करने में भी बड़ी परेशानी खड़ी हो जाती है। नहीं आए कोई निर्देश : मैडीकल सुपरिंटैंडैंट : जब इस संबंधी सिविल अस्पताल के मैडीकल सुपरिंटैंडैंट डॉ. के.एस. बावा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि फिलहाल विभाग के पास ऐसे कोई निर्देश नहीं आए, कि आरोपी की दिए गए प्रोफार्मे के अनुसार सभी डाक्टरी जांच की जाए। जेल में ही हों डाक्टरी जांच के प्रबन्ध : पंजाब सरकार द्वारा प्रत्येक जेल में कैदियों की जांच के लिए डाक्टर तैनात किए गए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार आरोपियों की जांच का प्रबन्ध जेल में ही होना चाहिए। उनके अनुसार जब अदालत द्वारा निर्देश दिए जाते हैं कि आरोपी को जेल में भेजा जाए तो कर्मचारी उसको सीधा ही जेल में छोड़ आएं, जहां जेल में तैनात डाक्टर उसकी पूरी जांच करे और ज़रूरत के अनुसार उसको इलाज के लिए आगे भेजा जाए।