सीटों को लेकर ‘इंडिया’ के घटक दलों में तालमेल की कमी

विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में साझेदार समाजवादी पार्टी और कांग्रेस 2024 के लोक सभा चुनावों में उत्तर प्रदेश की 80 सीटों के बंटवारे को लेकर बड़ी सौदेबाजी करने के लिए अधिकाधिक संख्या में सीटों का दावा कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (यूपीसीसी) अध्यक्ष अजय राय ने अपनी पार्टी के नेताओं के साथ-साथ समाजवादी, आरएलडी और वामपंथी दलों सहित ‘इंडिया’ गठबंधन  के अन्य सहयोगियों को यह घोषणा कर आश्चर्यचकित कर दिया कि उनकी पार्टी सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पत्रकारों से बात करते हुए अजय राय ने कहा कि उन पर  सभी 80 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयारी करने की ज़िम्मेदारी है। जब से अजय राय ने यूपीसीसी अध्यक्ष का पद संभाला है, वह अगले लोकसभा चुनावों के लिए राज्य में कांग्रेस को भाजपा के लिए मुख्य चुनौती के रूप में पेश करने में व्यस्त हैं।
अजय राय ने दावा किया कि राहुल अमेठी से चुनाव लड़ेंगे और उन्होंने प्रियंका से वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुकाबला करने का अनुरोध किया। गौरतलब है कि उनके नेतृत्व में कांग्रेस भी जातियों और समुदायों के मतदाताओं से जुड़ने के लिए बड़े पैमाने पर जनसंपर्क कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करने में व्यस्त है।
जब से राहुल गांधी ने जाति जनगणना के लिए समर्थन की घोषणा की है तब से राज्य में कांग्रेस नेतृत्व इस मुद्दे को ग्रामीण स्तर पर उठाने के लिए कार्यक्रमों को अंतिम रूप दे रहा है। मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री रहते हुए 1990 में बाबरी मस्जिद की रक्षा के लिए अयोध्या में गोली चलाने के आदेश के बाद से कांग्रेस मुस्लिम मतदाताओं के समर्थन का आनंद ले रही समाजवादी पार्टी के अल्पसंख्यकों के समर्थन में सेंध लगाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। कांग्रेस ने हाल ही में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शक्तिशाली मुस्लिम नेता इमरान मसूद को पार्टी में शामिल किया है जो पहले समाजवादी पार्टी, बसपा और कांग्रेस में रह चुके हैं।
गौरतलब है कि यूपीसीसी अध्यक्ष अजय राय सपा के पूर्व मंत्री मोहम्मद आज़म खान से मिलने के लिए सीतापुर जेल पहुंचे। राय को पता था कि उन्हें आज़म खान से मिलने नहीं दिया जायेगा लेकिन वह मुस्लिम समुदाय को राजनीतिक संदेश देना चाहते थे। कांग्रेस राज्य के अलग-अलग हिस्सों से मुस्लिमों को अपने पाले में करने में जुटी है। इसी तरह सपा के भी मुस्लिम कार्यकर्ताओं से संपर्क करने में पार्टी का अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ काफी सक्रिय है। तथ्य यह है कि कांग्रेस पार्टी 2019 के लोकसभा चुनावों में बहुत कम वोट प्रतिशत के साथ लोकसभा में एक सीट पर सिमट गयी थी। इस बात का अहसास है कि 2019 में जीती गयी सीट और वोट शेयर को देखते हुए समाजवादी पार्टी कुछ सीटें ही देगी। इसीलिए कड़ी सौदेबाजी की पूरी कोशिश की जा रही है।
मध्य प्रदेश में पैदा हुई कड़वाहट जहां समाजवादी पार्टी को कांग्रेस नेतृत्व द्वारा पर्याप्त संख्या में सीटों से वंचित कर दिया गया, का असर उत्तर प्रदेश में कुल 80 लोकसभा सीटों के सीट बंटवारे पर पड़ेगा।
उधर समाजवादी पार्टी ने भी साफ  कर दिया है कि पार्टी 65 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी और 15 सीटें कांग्रेस, आरएलडी और छोटी पार्टियों के लिए छोड़ेगी। 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान समाजवादी पार्टी प्रभावशाली वोट प्रतिशत के साथ 111 सीटों पर विजय हासिल कर मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरी है।
समाजवादी पार्टी ने 2019 से सबक सीखा है जब उसने बसपा के साथ गठबंधन करके लोकसभा चुनाव लड़ा, उसकी सीटें शून्य से 10 हो गईं। समाजवादी पार्टी 2014 में जीतीं हुईं केवल पांच सीटें बरकरार रख सकी। समाजवादी पार्टी को 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के साथ गठबंधन का कड़वा अनुभव भी था, जब पार्टी सत्ता से बाहर हो गयी। 
अखिलेश यादव पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) गठबंधन को मजबूत करने पर ध्यान दे रहे हैं और उन्होंने बार-बार पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से गांव स्तर पर हर घर तक जाति जनगणना का संदेश फैलाने के लिए कहा है। उन्होंने पीडीए को मज़बूत करने के लिए अपनी साइकिल यात्रा भी शुरू की।राजनीतिक दलों में यह अहसास है कि ‘इंडिया’ गठबंधन में सीट बंटवारे की प्रक्रिया पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद ही शुरू होगी। विधानसभा चुनावों के माध्यम से प्रतिबिंबित होने वाला मतदाताओं का मूड विपक्षी गठबंधन के सहयोगियों के लिए सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय करेगा। (संवाद)