राजनीति पर सोशल मीडिया का प्रभाव

विगत कुछ वर्षों से सोशल मीडिया लोगों के दैनिक जीवन और यहां तक कि पूरे समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। सरल शब्दों में कहा जा सकता है कि सोशल मीडिया एक ऐसा मंच है जो उपयोगकर्ताओं और उनके समूहों को सामग्री बनाने और आदान-प्रदान करने की स्वच्छंद अनुमति देता है। सोशल मीडिया के अनुमाध्यमों में फेसबुक, एक्स (ट्विटर), टेलीग्राम, इंसटाग्राम, माइक्त्रोब्लॉग और वीचैट आदि अनेक मंच या पटल सम्मिलित हैं। पिछले दस वर्षों से सोशल मीडिया के उपयोगकर्ताओं की संख्या में तेज़ी से वृद्धि हो रही है, सोशल मीडिया में सभी के लिए आवश्यकताओं की कोई कमी नही हैं। इसका उपयोग कभी भी, कहीं भी और कम्प्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल सहित किसी भी ऑनलाइन यांत्रिक उपकरण के माध्यम से किया जा सकता है। लोग जब तक चाहें एक-दूसरे से संवाद करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग कर सकते हैं जो समय और स्थान के प्रतिबंध को तोड़ देता है। 
सोशल मीडिया लोगों के संचार के पारम्परिक तरीकों को बदल दिया है। लोगों को अब दूसरों से आमने-सामने या सीमित स्थान पर बात करने की आवश्यकता नहीं है। यह लोगों को अधिक सहयोगी बनने में तो मदद करता ही है, कई अप्रत्याशित अवसर भी प्रदान करता है। इसके अलावा सोशल नेटवर्किंग ने न केवल अनगिनत तरीकों से संचार में मध्यस्थता की है, बल्कि लोगों के संवाद करने के तरीके और यहां तक कि सोचने के तरीके को भी बदल दिया है।  
इसके अलावा सोशल मीडिया न केवल संचार के रूपों को बदलता है, बल्कि सरकारों और नागरिकों के बीच संबंधों को बदल कर नागरिकों को राजनीति में भाग लेने के अवसर प्रदान करता है। लोकतंत्र के बारे में जागरूकता फैला कर, अनुचित सामाजिक घटनाओं के खिलाफ लड़ने की शक्ति देकर, उस शक्ति को पुनर्वितरित करने की क्षमता भी रखता है। सरकारों के व्यवहार की निगरानी करने में भी यह अहम भूमिका निभाता है। आजकल सोशल नेटवर्किंग के विकास के साथ दुनिया को बदलने की ताकत केवल नेताओं के ही पास नहीं है। एक अध्ययन के अनुसार सबसे बड़े परिवर्तन के सूत्रधार सोशल मीडिया द्वारा सशक्त लोग हैं। राजनीतिक क्षेत्र पर सोशल मीडिया का प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि सूचना को कौन नियंत्रित करता है, उस सूचना को कैसे वितरित किया जा रहा है या उसे कैसे परोसा जा रहा है।
सोशल मीडिया युग से पहले लोग सरकार से प्राप्त जानकारी को निष्क्रिय रूप से स्वीकार करते थे, अपने विचार व्यक्त करना आसान नहीं था। सूचना के स्वामी के पास यह नियंत्रित करने की क्षमता होती है कि सूचना किस प्रकार प्रसारित की जाती है और उसे कैसे तैयार किया गया है।
पिछले दो लोकसभा चुनाव में जनता ने देश की राजनीति को अपनी अपार शक्ति का अहसास कराया है। उसी का प्रभाव है कि अब सभी दल सोशल मीडिया का इस्तेमाल सुनियोजित ढंग से अपने एजेंडे चलाने के लिए कर रहे हैं। जनतंत्र को अब आमजन के विचारों की ज़रूरत आ पड़ी है।
आज स्थिति यह है कि सोशल मीडिया दैनिक जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा बन चुका है। इसमें शक्ति को स्थानांतरित करने और पुनर्वितरित करने की भी अकूत क्षमता है और इसका समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है। 
सोशल मीडिया दुनिया में एक नई उभरती शक्ति है जिसमें अभी भी कई समस्याएं हैं। इन मुद्दों से सही ढंग से निपटकर ही सोशल मीडिया की ताकत का सही तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है। (युवराज)