किरायेदार मां-बाप

‘चंदन बेटा! खाना क्यों नहीं खाया तुमने? तुम्हारी मां बता रही थी कि तुम नाराज़ हो इसलिए खाना नहीं खा रहे हो। चलो मैं तुम्हें अपने हाथों से खिलाता हूं।’
‘नहीं पापा मैं खाना नहीं खाऊंगा मुझे भूख नहीं है। मां जब देखो मुझे ही डांटती  रहती हैं। नंदू को कभी नहीं डांटती। हमेशा उसी के पसंद का खाना बनाती है। अब आज मैंने खीर बनाने के लिए बोला तो सेवई बना दी उन्होंने। क्योंकि नंदू को सेवई ही पसंद है।’
‘तुम्हें कैसे पता कि तुम्हारी मां ने खीर नहीं बनाई होगी। उन्होंने तुम्हारी मनपसंद खीर और रसमलाई भी बनाई है जो तुम्हें सरप्राइज देना चाहती थी। चंदू बेटा मां भी तुम्हें बहुत प्यार करती हैं। बस तुम बड़े हो तो तुम्हें समझदार बनाना चाहती हैं, इसीलिए कभी-कभार तुम्हें डांट देती है। अच्छा यह  बताओ। तुमने नंदन से झगड़ा क्यों किया? कितनी बार तुम्हें समझाया है कि झगड़ा करना अच्छी बात नहीं है। तीनों भाई-बहन में तुम सबसे बड़े हो, तुम्हें तो उनके साथ मिलजुल कर रहना चाहिए।’
‘नहीं पापा मैंने झगड़ा नहीं किया नंदन और मम्मी केवल मेरी शिकायत करते रहते है। पूरी बात तो आपको बताते नहीं आप सुगंधा से पूछ लें। नंदन मुझसे मेरी पतंग उड़ाने के लिए मांगता तो मैं दे देता लेकिन उसने मेरी चार पतंगफाड़ दी, तो मैं क्या करता? संधू भी तो मेरे साथ पतंग उड़ा रही थी (सुगंधा को सभी प्यार से संधू कहते थे) उसे तो कभी मुझसे शिकायत नहीं रहती। नंदूखुद बदमाशी करता है और सारा इल्जाम मुझ पर लगा देता है। आप ही बताइए ना कितनी आरजू-मिन्नत के बाद आपने मुझे पतंग खरीदने के लिए पैसे दिए थे।’
‘ठीक है बेटा! तुम्हारी बात भी अपनी जगह सही है लेकिन तुम ही सोचो रोज-रोज तुम्हें नई पतंग चाहिए वह भी एक-दो नहीं बल्कि पांच। इसीलिए मैं आनाकानी करता हूं तुम्हें पतंग दिलवाने में।’
‘क्या करूं पापा हमेशा मेरी पतंग कट जाती है, तो इसीलिए मैं पांच पतंग एक साथ ले लेता हूं। एक कटी तो दूसरी उड़ा लूंगा। चंदू ने मुंह बनाते हुए कहा।’
श्याम सुंदर बाबू ने कहा, ‘चलो कोई बात नहीं। झगड़ा नहीं करना चाहिए। तुमको मुझे बताना चाहिए था, नई पतंग के लिए पैसे दे देता। यूआर ए गुडब्वाय।’ छोटे भाई से झगड़ा नहीं करते बेटा। तुम तो बड़े हो।
‘सॉरी पापा।’ यह कहते हुए चंदन ने अपने पापा के हाथों से अपनी मनपसंद खीर खाई और फिर सोने चला गया।
धीरे-धीरे बच्चे बड़े होने लगे। तीनों काफी समझदार एवं मेहनती थे। इन बच्चों में चंदन अपने पापा के दिल के काफी करीब था। क्योंकि वह बहुत आज्ञाकारी था। जबकि सुगंधा उनकी लाड़ली थी और छोटा वाला तो सबसे नटखट सबका प्यारा- दुलारा था ही। बड़े बेटे के बाद संधू ने भी बहुत कम उम्र में ही बैंक की नौकरी ज्वाइन कर ली थी। चंदन के लिए बहुत अच्छे रिश्तेभी आने लगे। कोई लड़की बैंक में जॉब करती थी, कोई शिक्षिका थी, कोई सॉफ्टवेयर इंजीनियर तो कोई असिस्टेंट प्रोफेसर थी। इतनी सारी लड़कियों में गायत्री उन्हें पसंद आई जोकि कॉलेज में पढ़ाती थी। बड़े धूमधाम से उन्होंने अपने बड़े बेटे चंदन की शादी गायत्री से कर दी।
 शादी के दिन श्याम सुंदर बाबू घर-परिवार के बारे में तरह-तरह के सपने संजो रहे थे। घर में पहली शादी थी इसलिए वह बहुत खुश थे। नंदन ही शादी की सारा व्यवस्था संभाले हुए था। बैंड की धुन पर उसने अपने दोस्तों के साथ बड़े भैया की शादी में खूब धमाल मचाया। सुगंधा ने भी शादी में अपने कॉलेज के और कुछ बैंक के दोस्तों को बुलाया था। दोनों भाई-बहन अपने दोस्तों के साथ मिलकर भाभी गायत्री से हंसी-मजाक और चुहलबाजी करने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते थे। केरल से आए उसके दोस्तों ने भी खूब इंजॉय किया। नंदन केरल से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था। अभी फाइनलईयर में ही था कि उसका भी कैंपस सलेक्शन हो गया। 
बहुत बढ़िया पैकेज मिला था। बड़े बेटे और बेटी की नौकरी के बाद अब छोटे बेटे की नौकरी लग जाने की खबर सुनते ही श्याम सुंदर बाबू के दोस्तों ने पार्टी की मांग की तो उन्होंने पार्टी देने का मन बना  साथ ही अपने सभी सगे संबंधियों को भी सूचना देकर पार्टी में सम्मलित होने के लिए बुलाया। जो मिलता उससे बोलते भाई अब सुगंधा बची है, बेटी की शादी किसी अच्छे लड़के से कर दे तो उऋण हो जाए। फिर आगे की सोचेंगे।
(क्रमश:)