आईपीएल में गेंदबाज़ों पर भारी बल्लेबाज़

‘खुदा का शुक्र है कि मैं इस युग में क्रिकेट नहीं खेल रहा हूं। मेरा मतलब है कि 20 ओवर में 270 रन बनाये जा रहे हैं। यह 50-ओवर के खेल में 450 या 500 रन बनाने जैसा है। अगर यह एक बार होता तो भी ठीक था, लेकिन यह तो बार-बार हो रहा है, जो बल्लेबाज़ी की ताकत तो दिखलाता है, लेकिन पांच ओवर में 100 रन बनाना अवैध है। यह कैसे हो सकता है? अगर आप फुलटॉस भी फेंकें तो भी ऐसा करना कठिन है। गेंदबाज़ों के लिए तो ऐसा हो गया है कि पैसे लो और बर्बाद हो जाओ। इस फॉर्मेट में मुझे गेंदबाज़ों पर तरस आ रहा है।’ यह शब्द हैं पाकिस्तान के लीजेंड वसीम अकरम के। वह आईपीएल में गेंदबाज़ों की अप्रत्याशित धुनाई पर बोल रहे थे।  लेकिन यह चिंता उनकी अकेले की नहीं है। भारतीय लीजेंड सुनील गावस्कर ने बीसीसीआई को सावधान किया है कि वह गेंदबाज़ों को सुरक्षित रखने के रास्ते तलाश करे। उन्होंने कहा, ‘मैं क्रिकेट बैट में बदलाव का सुझाव नहीं दूंगा; क्योंकि वह नियमों के भीतर ही है, लेकिन लम्बे समय से कहता आ रहा हूं हर मैदान में बाउंड्री का साइज़ कई मीटर बढ़ा दो, पर्याप्त जगह है। ऐसा करने से कैच और छक्के में अंतर दिखायी देने लगेगा, वर्ना, केवल गेंदबाज़ ही पिसते रहेंगे। आईपीएल में पॉवर हिटिंग कभी-कभी अच्छी लगती है, लेकिन जब बार-बार हो तो बोरियत होने लगती है, जब बल्ले और गेंद में मुकाबला ही नहीं रह जाता।’ वर्तमान क्रिकेटरों में रविचन्द्रन अश्विन ने भी गेंदबाज़ों को बचाने की गुहार लगायी है और सैम करन ने कहा है कि क्रिकेट बेस बॉल बन गई है। वर्तमान आईपीएल में लम्बे-लम्बे स्कोर हो रहे हैं और टीमें उन्हें चेज़ भी कर रही हैं। मसलन, कोलकाता ने 262 रन का लक्ष्य दिया और पंजाब ने आठ गेंद शेष रहते उसे हासिल भी कर लिया। 
क्या पिछले साल तक भी यह कल्पना की जा सकती थी कि 260 प्लस का स्कोर चेज़ करते समय अंतिम दो ओवर में सिंगल लेने से ही टीम जीत जायेगी? लेकिन बल्ले और गेंद में जो यह मुकाबला हो नहीं रहा है, उससे दर्शक भी तंग आ गये हैं, क्योंकि वे भी बहुत बोर हो रहे हैं। इसलिए वह आईपीएल 2024 को आज तक की सबसे खराब प्रतियोगिता कह रहे हैं। अगर हम वर्तमान आईपीएल के ट्रेंड्स को ट्रैक करें तो दर्शकों की बातों में काफी दम प्रतीत होता है। आईपीएल के इस सत्र का लगभग दो-तिहाई लीग चरण पूरा हो गया है। इसमें कुछ नये ट्रेंड्स देखने को मिले हैं और कुछ पुराने ट्रेंड्स को सिर के बल खड़ा कर दिया गया है। मसलन, 250 का स्कोर अब पुराने 200 के स्कोर जैसा है। इस सत्र से पहले आईपीएल के इतिहास में केवल दो 250 प्लस के स्कोर थे, जिनमें से एक 2013 में था, जब बेंगलुरु ने पुणे के विरुद्ध 5 विकेट खोकर 263 रन बनाये थे और दूसरा 2023 में था जब लखनऊ ने पंजाब के खिलाफ 5 विकेट खोकर 257 रन बनाये थे।
दूसरी तरफ इस सत्र में इस लेख के लिखे जाने तक 250 प्लस के आठ टोटल हो चुके हैं, जिनमें से तीन हैदराबाद ने बनाये हैं और दो कोलकाता ने। अब तो 250 प्लस का स्कोर करना भी जीत की गारंटी नहीं है, जैसा कि कोलकाता बनाम पंजाब के मैच से स्पष्ट है, जिसका ऊपर उल्लेख किया जा चुका है। पॉवरप्ले में 12 रन प्रति ओवर बनाना तो आम सी बात हो गई है। टॉप आर्डर के बैटर्स जैसे जेक फ्रेंज़र-मैकगुर्क, ट्रेविस हेड, अभिषेक शर्मा, फिल साल्ट, सुनील नारायण, जोस बटलर, यशस्वी जयसवाल आदि पहले छह ओवर का भरपूर फायदा उठा रहे हैं। इससे पहले स्टैण्डर्ड ‘विस्फोटक’ आरंभ पॉवरप्ले में 55-60 रन बनाना था, लेकिन इस सत्र में बेंचमार्क पहले छह ओवर में 70 प्लस रन का हो गया है। हैदराबाद ने तो दिल्ली के विरुद्ध बिना कोई विकेट खोये 125 रन बनाये जोकि पॉवरप्ले में आईपीएल के इतिहास में सर्वाधिक है। कोलकाता के विरुद्ध 262 के रिकॉर्ड चेज़ में पंजाब ने पॉवरप्ले में एक विकेट के नुकसान पर 93 रन बनाये थे और दिल्ली ने मुंबई के खिलाफ बिना विकेट गंवाए 92 रन बनाये थे। 
अब पारी को संवारने व संभालने का तो चलन ही नहीं रहा है। चूंकि ‘इम्पैक्ट प्लेयर’ से बल्लेबाज़ी करने वाली साइड को लाभ हो रहा है, इसलिए पॉवरप्ले के बाद भी पॉवर-हिटिंग जारी रहती है। अब से पहले टीमें सातवें ओवर से 15वें ओवर तक 7-8 रन प्रति ओवर बनाने में ही प्रसन्न रहती थीं, लेकिन इस सत्र में टेकटोनिक शिफ्ट आया है- बैटर्स प्रति ओवर 10-12 रन सोच रहे हैं। वह छक्का या कम से कम चौका मारने के प्रयास में रहते हैं। पहले हर वेन्यू पर अलग चरित्र की पिच होती थी, होम व अवे कंसेप्ट का कुछ अर्थ था। वानखड़े स्टेडियम की पिच तेज़ी व उछाल प्रदान करती और नई गेंद स्विंग होती। चेन्नै में गेंद स्पिन लेती। दिल्ली में गेंद धीमी व नीची रहती। बेंगलुरु की पिच हर प्रकार के गेंदबाज़ों के लिए मौत का कुआं थी। लेकिन अब कोई पिच गेंदबाज़ की मदद नहीं करती है, सब बेंगलुरु की तरह हो गई हैं। बैटर्स की मौज आ गई है। तेज़ गेंदबाज़ों को प्रति ओवर दो बाउंसर फेंकने की अनुमति दी गई है। इसलिए दिल्ली (कुलदीप यादव व अक्षर पटेल) ही स्पिनर्स पर भरोसा किये हुए है, अधिकतर टीमें तेज़ गेंदबाज़ों पर भरोसा कर रही हैं। चेन्नै भी अपनी स्पिन परम्परा को तोड़ते हुए तेज़ गेंदबाज़ों पर ही निर्भर है कि अक्सर रविन्द्र जडेजा ही टीम में एकमात्र स्पिनर होते हैं। यही हाल कोलकाता का भी है। इस सत्र में विकेट लेने वाले जो टॉप-20 गेंदबाज़ हैं, उनमें केवल दो ही स्पिनर हैं (कुलदीप यादव व युज्वेंदर चहल शेष तेज़ गेंदबाज़ हैं। -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर