हॉकी की लहर बनाने के लिए निजी प्रयासों की ज़रूरत

हम-आप सब हॉकी के खेल को प्यार करते हैं। इस खेल से भावुक तौर पर भी जुड़े हुए हैं। इस खेल को राष्ट्रीय खेल होने का मिला रुतबा हमारी इससे एक देश भक्ति की राष्ट्रीय साझ भी डालता है। राष्ट्रीय हॉकी टीम की जीत के लिए हम प्रार्थना भी करते हैं, जीत का जश्न भी मनाते हैं। टीम के घर जाने पर हम दुख भी महसूस करते हैं। इसी प्रेम में हमें क्रिकेट खेल की चढ़त पर गुस्सा भी आता है। इस विषय पर हम दूसरों के साथ वाद-विवाद, बहसबाज़ी भी करते हैं लेकिन हॉकी खेल के कद्रदानों। हॉकी खेल के साथ आपकी मोहब्बत, आपके इश्क का दायरा यहां तक ही क्यों सीमित रहा? हॉकी की कम होती जाती लोकप्रियता की चिंता करने वाला, सिर्फ चिंता करने तक ही सीमित क्यों रहा? सिर्फ मूक-दर्शक ही क्यों है? जब सर्बजीत पाकिस्तान की जेल में हमले का शिकार हुआ तो पूरा देश भारत रोष में आया। तब आप घर में बैठे ही अपना गुस्सा नहीं दिखा रहे थे, आपका गुस्सा, आपके जज्बातों को पूरी दुनिया ने देखा। पूरे राष्ट्र ने आपकी भावनाओं का सम्मान किया।
दशकों से राष्ट्रीय खेल को आपकी ज़रूरत थी और अब भी राष्ट्रीय खेल हॉकी की ज़रूरत है आपकी वह खेल जिसको अतीत में भारत को विश्व स्तर पर बहुत सम्मान दिया। वह खेल, जिसने अतीत में आपको बहुत सारा खेल रोमांच दिया। हम समझते हैं कि हॉकी खेल की दुर्गति को लेकर आप सही अर्थों में भावुक कभी नहीं हुए, सही अर्थों में रोष में कभी नहीं आए। शायद आपको यह पता नहीं कि आप राष्ट्रीय खेल के लिए क्या कुछ नहीं कर सकते थे। आप समझते रहे कि आप सिर्फ हॉकी प्रेमी हो, सिर्फ हॉकी मैच देखना ही और रोमांचित होना ही इसके प्रति आपकी ज़िम्मेदारी है। इससे आगे आपका कोई रोल नहीं है।
हॉकी के कद्रदानो! दीवानो! आप इस खेल के लिए व्यक्तिगत तौर पर बहुत बड़ा योगदान डाल सकते हैं। आपको किसी भी सूरत में निराश होने की ज़रूरत नहीं। हॉकी खेल के प्रति भावुक होकर निराशा के आलम में तो बहुत सारे हॉकी प्रेमी हमें देखने-सुनने को मिलते रहे लेकिन इस खेल के प्रति किसी  ने कुछ नहीं किया है। कोई हॉकी को प्रेम करने वाला, जिसने अपने बच्चे या किसी रिश्तेदार के बच्चे को उपहार के तौर पर हॉकी स्टिक लेकर दी हो? है कोई पढ़ा-लिखा तालीम याफता शख्स, जो स्वयं को हॉकी प्रेमी तो बहुत बड़ा बताता हो लेकिन जो कभी किसी स्कूल के प्रिंसीपल से जाकर मिला हो कि अगर आपके स्कूल में हॉकी नहीं है तो इसको शामिल किया जाए, अगर है तो इसका भली-भांति विकास किया जाए? दूसरे स्कूलों के बच्चों और प्रिंसीपलों को भी जहां हॉकी खेल नहीं है। शुरू करने के लिए उत्साहित किया जाए। है कोई हॉकी का पूर्व खिलाड़ी जो किसी स्कूल में कोचिंग की सेवाएं देने के लिए प्रिंसीपल या खेल विभाग के अध्यापकों को मिलता हो? है कोई हॉकी प्रेमी जो दो मिनट के लिए यह सोचता हो कि वह हॉकी के लिए क्या कर सकता है? हम एक ऐसे हॉकी प्रेमी से मिले, जिसने अपने स्कूटर, कार पर हॉकी लिखवाया हुआ था। घर गए तो ‘नेम प्लेट’ हॉकी हाऊस की लगी हुई थी।