कठुआ दुष्कर्म मामलार् अतिरिक्त पूरक चालान पेश करने के लिए अपराध शाखा ढूंढ रही है वास्तविक सबूत : बचाव पक्ष 


पठानकोट, 31 जुलाई (सुरेन्द्र महाजन) : अतिरिक्त पूरक (सप्लीमेंट्री) चालान का अर्थ होता है कि यदि कोई मुजरिम या कोई बयान या एविडेंस रह गया है, उसको पेश किया जायेगा लेकिन सोमवार को जो 614 पन्नों का अतिरिक्त पूरक (सप्लीमेंट्री) चालान कठुआ दुष्कर्म और हत्या कांड की  माननीय उच्तम न्यायालय के आदेशों पर सुनवाई कर रही पठानकोट की जिला एवं सत्र अदालत में पेश किया गया है, पर अपनी प्रतिकिया देते हुए बचाव पक्ष के वकील अनिल कुमार साहनी ने बताया की अतिरिक्त पूरक (सप्लीमेंट्री) चालान में अभियोग पक्ष ने जो चालान पेश किया है, उसमें यह लिखा है की हम अभी भी टैंजिबल एविडेन्स (वास्तविक सबूत) ढूंढ 
रहे हैं। 
यदि अभी भी अपराध शाखा वाले टैंजिबल एविडेन्स ढूंढ रहे हैं तो अतिरिक्त पूरक चालान पेश करने की क्या जल्दी थी। यदि विशाल मंजोत्रा जो की मेरठ में पेपर देने की बात करता है, गलत है तो वहां पेपर देने वाला कौन था। उसको पेपरों में बैठने वाले कौन थे क्या वह सभी दोषी नहीं? फिर उनके विरुद्ध अपराध शाखा वाले केस क्यों नहीं दर्ज करते। उन्होंने अभियोग पक्ष की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा की रात को 614 पन्नों का अतिरिक्त पूरक चालान पेश किया और सुबह उसमें से दो गवाह बयान करवाने के लिए ले आये, तो फिर पहले चालान वाले गवाह कहां गए। 
उन्होंने कहा की अपराध शाखा वाले कहते है कि टैंजिबल एविडेंस ढूंढ रहे हैं इसका मतलब है कि अभी और सप्लीमेंट्री चालान आएंगे क्या अपराध शाखा वाले केस का ट्रायल करवा रहे हैं या अदालत सहित अन्यों को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं। अपराध शाखा को चाहिए कि वो पहले पूरा होम वर्क करले फिर चालन पेश करे। ऐसी स्थितियों में की गयी कार्यवाही से यह साबित होता है कि इन्होंने पहले जो भी कार्यवाही की है वह अनविलफुल कार्यवाही है। उन्होंने यह सवाल फिर उठाया की क्या बचाव पक्षया भारत के वकील कोई जादूगर है जो रात को पेश किये  614 पन्नों को देखते ही समझ जायेंगे कि किस गवाह के बयान क्या है और उस पर ठीक तरीके से जिरह कर पाएंगे। इसी लिए हमने माननीय जिला एवं सत्र न्यायालय से बेनती कि है कि हमें गवाहों की कम से कम पर्याप्त समय पहले जानकारी जरूर दें कि  हम उस पर जिरह की तैयारी कर सकें  तांकि केस का ट्रायल सही तरीके से हो सके। इस अवसर पर उनके साथ वकील मास्टर मोहन लाल भी थे।