बिहार के ‘खजुराहो’ का अस्तित्व खतरे में

हाजीपुर, 28 अक्तूबर (एजैंसी): बिहार का ‘खजुराहो’ कहा जाने वाले हाजीपुर के नेपाली मंदिर का अस्तिव खतरे में है। रखरखाव के अभाव में यह मंदिर जर्जर हो चुका है। इस मंदिर को देखने कभी दूर-दूर से पर्यटक आया करते थे और इसे देखकर प्रसन्न होते थे लेकिन आज इस नेपाली मंदिर को देखने पर्यटक आते तो जरूर हैं लेकिन इसकी हालत देख मायूस लौट जाते हैं। बिहार का खजुराहो या मिनी खजुराहो वैशाली जिला मुख्यालय हाजीपुर के गंगा-गंडक नदी के संगम के कौनहारा घाट पर बना नेपाली मंदिर है। भगवान शिव के इस मंदिर में काष्ठ कला का खूबसूरत कारीगरी की गई है। इसी काष्ठ (लकड़ी) कला में काम कला के अलग-अलग आसनों का चित्रण है। यही कारण है कि इसे बिहार का खजुराहो कहा जता है। हाजीपुर के आर.एन. कॉलेज में इतिहास विभाग की अध्यक्ष डॉ़ जयप्रभा अग्रवाल ने बताया कि ऐतिहासिक इस मंदिर का निर्माण 18वीं सदी में नेपाली सेना के कमांडर मातबर सिंह थापा ने करवाया था। नेपाली वास्तुकला शैली के इस मंदिर में काम-कला के अलग-अलग आसनों का चित्रण लकड़ी पर किया गया है। इस मंदिर का संरक्षण ठीक से नहीं हो पाया, इसलिए इन बेशकीमती लकड़ियों में दीमक भी लग गई है।’ उन्होंने बताया कि मंदिर को नेपाली सेना के कमांडर ने बनवाया था, इसलिए आम लोगों में यह ‘नेपाली छावनी’ के तौर पर भी लोकप्रिय है। तीन तल्लों में निर्मित मंदिर के मध्य कोने के चारों किनारों पर कलात्मक काष्ठ स्तंभ हैं, जिनमें युगल प्रतिमाएं रोचकता लिए हुए हैं। मंदिर के निर्माण में ईंट, लौहस्तंभ, पत्थरों की चट्टानें, लकड़ियों की पट्टियों का भरपूर इस्तेमाल हुआ है। मंदिर के गर्भगृह में लाल बलुए पत्थर का शिवलिंग विद्यमान है। आज इस मंदिर में जगह-जगह से लकड़ी गिर रही है। लकड़ियों को दीमक खाए जा रही है। वे कहते हैं कि आज भी यह मतंदिर देखने पर्यटक खुशी-खुशी आते हैं, लेकिन आने के बाद इसके रख-रखाव की स्थिति देखकर उन्हें दुख होता है।