सीवीसी रिपोर्ट को बनाया गया आधार

नई दिल्ली, 10 जनवरी (भाषा): केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) द्वारा उसकी जांच रिपोर्ट में भ्रष्टाचार और कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही के आरोपों के कारण आलोक वर्मा को सीबीआई प्रमुख के पद से हटना पड़ा। जांच एजेंसी के 50 साल से अधिक के इतिहास में यह अपनी तरीके का पहला मामला है। सीवीसी की जांच रिपोर्ट में खुफिया एजेंसी ‘रॉ’ द्वारा की गई ‘टैलीफोन निगरानी’ का हवाला दिया गया। अधिकारियों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत उच्चशक्ति प्राप्त समिति ने सीवीसी रिपोर्ट पर विचार किया। इस रिपोर्ट में वर्मा पर आठ आरोप लगाए गए। सीवीसी रिपोर्ट में विवादित मांस कारोबारी मोइन कुरैशी के मामले का जिक्र किया गया और दावा किया गया कि इस मामले पर गौर कर रही सीबीआई टीम हैदराबाद के कारोबारी सतीश बाबू सना को इस मामले में आरोपी बनाना चाहती थी लेकिन वर्मा ने मंजूरी नहीं दी। अधिकारियों ने कहा कि सीवीसी रिपोर्ट में बाहरी खुफिया एजेंसी ‘रॉ’ द्वारा फोन पर पकड़ी गई बातचीत का भी जिक्र है। खास बात यह है कि सना, अस्थाना के खिलाफ दर्ज मामले में शिकायतकर्ता है। उसने इस मामले में अपने बिचौलियों को दी गई रिश्वत के बारे में जानकारी दी थी। उसने ‘रॉ’ के दूसरे शीर्ष अधिकारी सामंत गोयल के नाम पर भी जिक्र किया जो बिचौलिये मनोज प्रसाद को बचाने में कथित रूप से शामिल थे। एक अन्य मामला सीबीआई द्वारा गुड़गांव में भूमि अधिग्रहण के बारे में दर्ज शुरुआती जांच से संबंधित है। सीवीसी ने आरोप लगाया कि इस मामले में वर्मा का नाम सामने आया था। सीवीसी ने इस मामले में विस्तृत जांच की सिफारिश की थी। सीवीसी ने यह भी आरोप लगाया था कि वर्मा ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री लालू प्रसाद से जुड़े आईआरसीटीसी मामले के एक अधिकारी को बचाने का प्रयास भी किया था। आयेग ने यह भी आरोप लगाया कि वर्मा सीबीआई में दागी अधिकारियों को लाने की कोशिश कर रहे हैं।