अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस पर विशेष  कोरोना जंग में नर्सिंग सेवा के जज़्बे को सलाम

कोरोना के खिलाफ  महाजंग में नर्सिंग कर्मचारी मानव सेवा के जज्बे से इस महामारी को हराने के लिए खुद की जान जोखिम में डालकर बीमारों की ज़िंदगी बचाने में लगे हैं। ये न सिर्फ  मरीज़ों की देखभाल कर रहे हैं, बल्कि उनका साहस भी बढ़ा रहे हैं। मरीज़ के दवा से लेकर खाने तक का ध्यान रखते हैं। आज पूरी दुनिया में हेल्थ वर्कर्स सरकार और प्रशासन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कोरोना से जंग लड़ रहे हैं। कोरोना काल में देश भर में हज़ारों स्वास्थ्य कर्मी कोरोना के मरीज़ों की सेवा करते हुए संक्रमित हुए। इनमें बड़ी संख्या में नर्सिंग स्टाफ  की कोरोना के कारण मृत्यु भी हुई है। हालांकि देश के अनेक स्थानों से कुछ स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा मरीज़ और उनके परिजनों से दुर्व्यवहार की खबरें सेवा के जज़्बे पर प्रश्न चिन्ह लगाती हैं। 
रिश्वत मांगने और मरीज़ की समुचित देखभाल नहीं करने पर आपसी मारपीट की घटनाएं भी सामने आती रहती हैं। कुछ नर्सों का कहना है कतिपय मेल नर्सों की लापरवाही और आपराधिक वारदातों के कारण उनके पवित्र पेशे को बदनाम करने की साज़िश की जा रही है जो असहनीय है। उनका कहना है कि भीषण गर्मी में जब लोग घरों में ए.सी. और कूलर में चैन की नींद ले रहे होते हैं लेकिन नर्सिंग स्टाफ  भीषण गर्मी में पीपीई किट पहनकर कोरोना पीड़ितों की सेवा कर रहा है। अपनी जान की परवाह किये बिना कोरोना मरीज़ों के बीच रहकर उनकी देखभाल करते हैं। हम भी किसी मां-बाप की सन्तान हैं इसलिए कुछ लोगों की कारगुज़ारियों का दोषारोपण सब पर थोपना सरासर अन्याय है।
इस नोबल नर्सिंग सेवा की शुरुआत करने वाली फ्लोरैंस नाइटिंगेल के जन्म दिवस पर  अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस 12 मई को मनाया जाता है। यह दिवस स्वास्थ्य सेवाओं में नर्सों के योगदान को सम्मानित करने तथा उनसे संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए मनाया जाता है। मानवता की सेवा के लिए नर्सिंग जॉब को सबसे बेहतर माना जाता है। देश और दुनिया इस समय कोरोना महामारी से पीड़ित है। ऐसे में नर्सिंग कर्मियों का दायित्व और बढ़ जाता है। कोरोना संक्रमण से जूझ रहे हमारे समाज को स्वस्थ रखने में नर्सिंग कर्मियों की अहम भूमिका है। चौबीसों घंटे, सातों दिन अविराम नर्सिंग स्टाफ अपनी सेवाएं दे रहा है। परिजन और घर की चिंता के बावजूद पूरे उत्साह के साथ मरीज़ों की सेवा में लगे नर्सिंग कर्मी यह संदेश दे रही हैं कि सेवा ही परम कर्त्तव्य है। कोरोना की इस दूसरी लहर से जहां चारों तरफ  स्वास्थ्य सेवा चरमरा चुकी है, कहीं ऑक्सीजन की कमी तो कहीं बैड नहीं मिल रहे हैं, ऐसे में नर्सिंग स्टाफ  ही है जिसे सब को संभालना पड़ता है। मरीज़ को एडमिट करने से लेकर डिस्चार्ज करने के दौरान उनकी सेवाएँ महत्वपूर्ण और अमूल्य हैं। नर्सों का कहना है कि जब उनकी ड्यूटी कोरोना वार्ड में लगती है तो पूरा परिवार तनाव में आ जाता है। कई बार उन्हें ड्यूटी छोड़ने के सुझाव भी देते हैं, लेकिन वे उन्हें अपनी ड्यूटी का महत्व बताकर शांत कर देती हैं।
कहते हैं चिकित्सक की अपेक्षा नर्स मरीज़ की बेहतर सेवा करती है। चिकित्सक मरीज़ को देखकर पर्ची पर दवा आदि लिखकर चला जाता है मगर नर्स हर समय मरीज़ के पास होती है और उसकी बेहतर देखभाल करती है जिससे मरीज़ शीघ्र स्वास्थ्य लाभ करता है। नर्स की यही सेवा भावना मरीज़ और उसके परिजन याद रखते हैं। इसीलिए यह कहा जाता है नर्सिंग कोई व्यवसाय नहीं बल्कि एक सेवा है। जिस प्रकार से परिजन दुख की घड़ी में अपने बीमार व्यक्ति की रक्षा करते है, उसी प्रकार से नर्स भी मरीज़ों की बीमारी के समय सेवा देती है। मरीज़ों की सेवा करना बहुत बड़ी समाज सेवा है। सेवा भाव से हर व्यक्ति का दिल जीता जा सकता है। अस्पतालों में मरीज़ देखने के बाद डॉक्टर का काम ज्यादातर खत्म हो जाता है। उसके बाद भर्ती मरीज की सेवा नर्सें ही करती हैं। सबसे ज्यादा समय नर्सें ही मरीज़ को देती हैं। इसलिए नर्सों को अपने अंदर सेवा भावना जागृत रखनी चाहिए। जिस प्रकार घर में मां बच्चे की देखभाल करती है, ठीक उसी तरह अस्पताल में नर्स मरीज़ की सेवा कर उसकी बीमारी के इलाज में अहम भूमिका अदा करती है। मरीज़ के साथ नर्स का सकारात्मक रवैया उसके आधे दुख काट देता है। नर्स का काम ईश्वरीय कार्य है। वह अस्पताल की ओपीडी से लेकर जनरल वार्ड, आप्रेशन थियेटर हर जगह दिन-रात सेवा करती हैं।
नर्सिंग एक सेवाभाव का कार्य है जिसमें रोगी का उपचार कर उसे शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ रखा जाता है। एक अच्छी नर्स केवल मरीज़ का उपचार ही नहीं करती, वह उसे स्वस्थ्य होने का भरोसा दिलाकर मनोवैज्ञानिक रूप से मज़बूत करने का कार्य भी करती है।  उसकी सेवा भावना सबके लिए एक समान ही होती है। कई बार देखा जाता है कि अस्पताल में  किसी न किसी बात पर मरीज के परिजन नर्सों से भिड़ जाते हैं और मारपीट तक कर बैठते हैं। यह अच्छी बात नहीं है। लोगों को सूझबूझ से काम लेकर अप्रिय स्थिति को टालना चाहिए ताकि अच्छी से अच्छी सेवा के साथ मरीज स्वस्थ होकर अपने घर लौटे।
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