नितीश ने जाति आधारित जनगणना करवाने की मांग फिर दोहराई

बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने जहां पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण का समर्थन किया, वहीं उन्होंने सार्वजनिक तौर पर देश भर में जाति आधारित जनगणना करवाने की मांग भी की है। उन्होंने अनुसूचित जातियों, अनुसूचित-जनजातियों तथा अन्य पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा बढ़ाने का भी आह्वान किया है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी हमेशा से ही आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों (ई.डब्ल्यू.एस.) के लिए 10 प्रतिशत कोटे का समर्थन तथा सुझाव देती रही है। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि मुख्यमंत्री नितीश कुमार तथा विपक्षी दलों के अन्य नेता भाजपा द्वारा प्रचारित की जा रही कमंडल (धर्म आधारित) तथा भाषावादी राजनीति का मुकाबला करने हेतु जातियों के लिए जनसंख्या के अनुपात अनुसार आरक्षण की मांग कर सकते हैं। भाजपा के साथ नितीश कुमार का गठबंधन टूटने तथा विपक्ष में उनकी वापसी ने 2024 के आम चुनावों हेतु सहमति से संयुक्त उम्मीदवार के रूप में उनके बारे में हो रही चर्चा को एक बार फिर से शुरू कर दिया है। परन्तु यह यू.पी.ए. तथा क्षेत्रीय दलों पर निर्भर करता है कि वह नितीश को प्रधानमंत्री पद के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में समर्थन देंगे या नहीं।
 डिम्पल यादव चुनाव लड़ेंगी
खतौली, रामपुर की विधानसभा सीटों के साथ-साथ मैनपुरी (लोकसभा) सीट हेतु 5 दिसम्बर को होने वाले उप-चुनावों से पूर्व, राष्ट्रीय लोक दल (आर.एल.डी.) ने अपने राजनीतिक गढ़ उत्तर प्रदेश के शूगर बैल्ट के नाम से प्रसिद्ध इन क्षेत्रों में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। राज्यसभा सांसद तथा आर.एल.डी. प्रमुख जयन्त चौधरी ने दावा किया है कि उनको समाजवादी पार्टी के साथ पार्टी के गठबंधन के तहत खतौली से उम्मीदवार उतारने का विश्वास दिया गया था। 
इस वर्ष की शुरुआत में खतौली से आर.एल.डी. के उम्मीदवार राजपाल सिंह भाजपा के विक्रम सैनी से हार गये थे। मुजफ़्फरनगर दंगों के मामले में विक्रम सैनी को दोषी ठहराये जाने के बाद उन्हें विधायक के रूप में अयोग्य घोषित करार दिया गया है, जिसके बाद इस सीट पर उप-चुनाव ज़रूरी हो गया था। इस दौरान समाजवादी पार्टी ने मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई मैनपुरी संसदीय सीट से पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। वहीं शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया (पी.एस.पी.एल.) ने कहा है कि मैनपुरी सीट पर अंतिम फैसला पार्टी नेतृत्व करेगा। 
डिम्पल यादव की उम्मीदवारी को अपने ससुर मुलायम सिंह यादव की विरासत को आगे बढ़ाने के समाजवादी पार्टी के यत्नों के फलस्वरूप देखा जा रहा है, जिसे 1996 से पार्टी का गढ़ माना जाता है।
कांग्रेस को गठबंधन की उम्मीद
गुजरात कांग्रेस के नेताओं पर बढ़ते दबाव को देखते हुए पार्टी नेता राहुल गांधी के प्रदेश में दो या तीन बड़ी रैलियों को संबोधन करने की उम्मीद व्यक्त की जा रही है। कांग्रेस रणनीतिक तौर पर ‘खाम’ (क्षत्रीय, ओ.बी.सी., हरिजन, आदिवासी, मुस्लिम) के अपने मूल सिद्धांतों पर काम कर रही है, जिसने पार्टी को 1985 में 149 तथा 1980 में 139 सीटें जीतने में मदद की थी। कांग्रेस का दावा है कि उसके पास एक रणनीति है और समर्थन जुटाने के लिए स्थानीय स्तर पर घर-घर प्रचार पर ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है। 
कांग्रेस गुजरात में एन.सी.पी. के साथ गठबंधन की उम्मीद कर रही है, जहां पहली तथा पांच दिसम्बर को मतदान होगा। सूत्रों ने कहा है कि सीटों के वितरण पर चर्चा शुरू हो गई है और कांग्रेस के गुजरात प्रभारी रघु शर्मा तथा एन.सी.पी. के वरिष्ठ नेता प्र्रफुल्ल पटेल के शामिल होने की उम्मीद है। 
राजद के वोट बैंक में सेंध
बिहार में उप-चुनाव में राजद ने मोकामा सीट बड़े अंतर से जीत कर अपना दबदबा बरकरार रखा है, जबकि गोपालगंज सीट पर भाजपा ने भी अपना कब्ज़ा बरकरार रखा है। इसी प्रकार इन चुनाव परिणामों से बिहार की राजनीतिक स्थिति ज्यों की त्यों बन गई है। जनता दल (यू) के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन छोड़ने तथा अगस्त में नई सरकार बनाने के लिए महागठबंधन के साथ हाथ मिलाने के बाद प्रदेश में मतों की गिणती कठिन पहेली है। राजनीतिक विशेषज्ञों ने दावा किया है कि भाजपा गोपालगंज सीट को सिर्फ इसलिए बरकरार रख सकी है, क्योंकि आल इंडिया मजलिस-ए-इतेहादुल मुसलिमीन पार्टी (ए.आई.एम.आई.एम.) ने एक उम्मीदवार अब्दुल सलाम को खड़ा किया था, जिस ने 12 हज़ार से अधिक मत हासिल किये और राजद के वोट बैंक में सेंध लगाई।  ए.आई.एम.आई.एम. तथा बसपा के उम्मीदवारों ने बिहार में राजद को मिलने वाले मुस्लिम तथा यादव वोट को काटा है। 
खड़गे द्वारा एकता के लिए यत्न
कांग्रेस के नये चुने गये अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कर्नाटक में अपनी पार्टी के नेताओं के साथ आपसी मतभेद दूर करने तथा कांग्रेस को सत्ता में वापस लाने की दिशा में कार्य करने का आह्वान किया है। सी.एल.पी. नेता सिद्धारमैया भी इस बात से सहमत थे कि पार्टी के भीतर नेताओं में छोटे-मोटे मतभेद हो सकते हैं, परन्तु सभी को इसे एक चुनौती के रूप में लेना चाहिए। हाल ही में 80 वर्षीय खड़गे ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने के बाद कर्नाटक के अपने पहले दौरे को दर्शाने के लिए मैसूर के पैलेस मैदान में ‘सर्वोदया समावेश’ में शिरकत की।