महागठबंधन का आधार बढ़ाने के लिए यत्नशील हैं नितीश

2024 के लोकसभा चुनावों से पहले, बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार के नेतृत्व में सात पार्टियों का गठबंधन बेज़मीने लोगों को घर बनाने के लिए ज़मीन देने की योजना बना रहा है। इसके अलावा बिहार में सत्ताधारी गठबंधन उन  भूमिहीन लोगों का विशेष सर्वेक्षण करने की भी योजना बना रहा है, जिन्हें पहले ही ज़मीन दी जा चुकी है तथा जिनके परिवार अलाट हुए प्लाटों पर रह रहे हैं। बिहार सरकार द्वारा नई योजना का लाभ उन अनुसूचित जाति, पिछड़े तथा अत्याधिक पिछड़े वर्गों के लोगों को पहुंचाया जाएगा, जिनके पास अपना घर बनाने के लिए ज़मीन नहीं है। बिहार सरकार द्वारा प्रदेश-व्यापी जाति जनगणना शुरू करने तथा अब लोकसभा चुनावों से ठीक पहले भूमिहीनों को प्लाट देने के मद्देनज़र, नितीश कुमार अनुसूचित जाति, पिछड़े तथा अति-पिछड़े वर्गों में महागठबंधन के वोट बैंक को मज़बूत करने तथा सोशल इंजीनियरिंग को मज़बूत करने का प्रयास कर रहे हैं।
गहलोत-पायलट तकरार
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तथा पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट के मध्य बढ़ रही तकरार ने राजस्थान कांग्रेस में हड़कम्प मचा रखा है। गहलोत तथा पायलट दोनों गुट अपनी-अपनी टिकट सूची बना रहे हैं तथा राजस्थान के आने वाले विधानसभा चुनावों में टिकटों के वितरण में अधिक हिस्सेदारी की मांग कर रहे हैं।
 इस दौरान सचिन पायलट ने विधायक दल की बैठक न होने के तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी के आदेश का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई करने में नेतृत्व द्वारा की जा रही देरी संबंधी सवाल उठाये हैं तथा कहा कि यदि प्रदेश में नई सरकार बनने के रुझान को रोकना है तो राजस्थान में  पार्टी के मामलों संबंधी शीघ्र ही कोई न कोई फैसला ले लिया जाना चाहिए।
भाजपा की ‘स़ूफी संवाद’ योजना 
2024 के लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा ने उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, केरल तथा तेलंगाना में मुस्लिम बहुसंख्यक ज़िलों में मुस्लिम समुदाय, विशेष रूप से आर्थिक तौर पर पिछड़े वर्ग के लोगों तक अपना सम्पर्क बनाने के लिए एक स़ूफी संवाद या अल्पसंख्यकों के साथ योजनाबद्ध बातचीत करने के लिए एक नई रणनीति शुरू की है। यह संवाद प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पार्टी नेताओं को देश में मुस्लिम समुदायों के पसमांदा तथा बोहराओ तक पहुंचने के लिए कहने के बाद संवाद आयोजित किए गए थे। अभियान की शुरुआत के अवसर पर मुस्लिम, इसाई तथा सिख समुदायों के प्रतिनिधियों को संवाद के लिए भाजपा मुख्यालय में निमन्त्रण दिया गया था। पार्टी ने प्रत्येक मंडल में 20 सदस्यों की एक टीम बनाने का फैसला किया है, जो फिर अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों का दौरा कर उनके साथ भविष्य की योजना संबंधी बात करेगी। 
अखिलेश यादव की सरगर्मी
मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तथा मुख्यमंत्री के. चन्द्रशेखर राव के बाद अब समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने 2024 में राष्ट्रीय राजनीति में प्रमुख भूमिका निभाने की अपनी इच्छा संबंधी संकेत दिया है। पार्टी उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य प्रदेशों में अपने पांव जमाने की फिराक में है। इस सिलसिले में समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने गुजरात दौरे के दौरान गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला के साथ बातचीत की। अनुमान लगाए जा रहे हैं कि वाघेला आगामी दिनों में समाजवादी पार्टी में शामिल हो सकते हैं।
 सूत्रों के अनुसार समाजवादी पार्टी इस वर्ष होने वाले छत्तीसगढ़, राजस्थान तथा मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ेगी तथा किसी अन्य राजनीतिक दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी। यादव तथा मुस्लिम समुदायों के मतदाताओं के दबदबे वाली सीटों के लिए समाजवादी पार्टी नए सिरे से प्रारूप तैयार कर रही है। इस दौरान समाजवादी पार्टी मुख्य रूप से बुंदेलखंड क्षेत्र जोकि उत्तर प्रदेश की सीमा के साथ लगता है, के अलावा मध्य प्रदेश में ग्वालियर-चम्बल, रीवा तथा सागर क्षेत्र तथा राजस्थान के अलवर क्षेत्र पर ध्यान केन्द्रित करेगी। जाति गणित समाजवादी पार्टी के पक्ष में है तथा पार्टी इन प्रदेशों में न सिर्फ चुनाव लड़ना चाहती है, अपितु 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले जन-लहर को मज़बूत करते हुए अपनी जड़ों को मज़बूत करना चाहती है। 
अमित शाह द्वारा टिपरा मोथा पार्टी प्रमुख के साथ बैठक
त्रिपुरा में सरकार बनने के बाद केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 60 में से 13 सीटें जीतने वाली क्षेत्रीय पार्टी टिपरा मोथा पार्टी के साथ बैठक की। सरकार को सुचारू रूप से चलाने के लिए टी.एम.पी. के साथ सम्भावित गठबंधन के लिए भाजपा का प्रयास जारी है। टिपरा मोथा पार्टी के प्रमुख प्रयोत देबबर्मा ने कहा कि गृह मंत्री ने त्रिपुरा के मूल निवासियों के लिए एक संवैधानिक समाधान प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस प्रक्रिया के लिए शीघ्र ही वार्ताकार की नियुक्ति की जाएगी। भाजपा के पक्ष में टी.एम.पी. का होना न सिर्फ विपक्षी एकता को कमज़ोर करता है, जिसमें वामपंथी तथा कांग्रेस शामिल हैं, अपितु इससे 2024 के लोकसभा चुनावों में भी भाजपा को लाभ मिल सकता है। (आई.पी.ए.)