अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी


अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी जहां बड़ी घटना है, वहीं हैरान करने वाली भी है। माह भर से जिस प्रकार उसके समाचार भिन्न-भिन्न राज्यों तथा पंजाब के अलग-अलग क्षेत्रों में होने संबंधी मिलते रहे और जिस प्रकार पुलिस उसे गिरफ्तार करने में विफल रही, उसे पुलिस प्रशासन और सरकार की असफलता ही कहा जा सकता है। जिस प्रकार का यह समूचा घटनाक्रम घटित हुआ, उसने सरकार की हालत दयनीय बनाई है। जिस ढंग से इस मामले से निपटा गया, वह सरकारी तंत्र की पोल खोलने के लिए काफी है। 
लगभग दो वर्ष पहले अमृतपाल सिंह दुबई से आया था और बहुत कम समय में ही उकसा कद-बुत्त बढ़ा और वह बड़ी संख्या में अपने सशस्त्र साथियों को साथ लेकर पंजाब में घूमता रहा। पहले-पहले उसने नौजवानों के एक बड़े वर्ग को नशा छोड़ने तथा अमृतपान के लिए भी प्रेरित किया, परन्तु बाद में जिस प्रकार उसने नौजवानों को खालिस्तान अथवा अन्य मुद्दों पर भड़काना शुरू किया, सरकारों से टक्कर लेने के लिए उत्तेजित करना शुरू किया तो उसकी कार्रवाइयां विवादों का रूप ले गईं। उसकी ओर से की गई बयानबाज़ी से भी अनेक विवाद उत्पन्न हुए। जालन्धर और कपूरथला में जिस प्रकार उसके तथा उसके साथियों द्वारा गुरुद्वारों में से बैंचों तथा कुर्सियों को बाहर निकाल कर जलाया गया था, उससे भी हज़ारों ही श्रद्धालुओं के मन को आघात पहुंचा था, परन्तु प्रबंधकों तथा श्रद्धालुओं द्वारा बार-बार अधिकारियों से सम्पर्क करने के बाद भी उस समय न कोई रिपोर्ट लिखी गई और न ही कोई कार्रवाई ही की गई। इससे लोगों में असुरक्षा की भावना भी पैदा हुई थी।
अजनाला पुलिस की ओर से उसके साथियों द्वारा एक युवक की मारपीट किये जाने के बाद उसके एक साथी को गिरफ्तार कर लिया गया तो उसने बड़ी संख्या में अपने साथियों के साथ श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की सवारी को साथ ले जाकर अजनाला थाने पर हमला कर दिया। कई पुलिस वाले उस समय हुई झड़पों में घायल भी हो गये। दबाव के अधीन उसके साथी को पुलिस ने रिहा भी कर दिया। सरकार ने उस समय उस पर कोई कार्रवाई नहीं की थी। इससे तीन सप्ताह के बाद पंजाब सरकार हरकत में आई। अमृतपाल सिंह के साथियों को गिरफ्तार किया गया लेकिन अमृतपाल सिंह फिर भी एक महीने से ज्यादा समय तक पुलिस के हाथ नहीं आया था। इस समय के दौरान 300 के लगभग अमृतपाल सिंह के निकटतम समझे जाने वाले नौजवानों को भी हिरासत में लिया गया। बाद में विरोध होने के कारण अढ़ाई सौ के लगभग नौजवानों को रिहा भी करना पड़ा। उसके कुछ साथियों को नैशनल सिक्योरिटी एक्ट (एन.एस.ए.) की धाराओं के अधीन असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद कर दिया गया। बाद में अब एक माह के बाद पुलिस ने उसको गिरफ्तार किया परन्तु अमृतपाल सिंह के पारिवारिक सदस्यों तथा कई अन्य शख्सियतों ने यह कहा है कि अमृतपाल सिंह ने स्वयं ही गिरफ्तारी दी है। 
इस सारे मामले को लेकर विश्व भर में जिस प्रकार सिख भाईचारे को खालिस्तान के नाम पर बदनाम किया गया, उससे बड़े स्तर पर सिख श्रद्धालुओं के मन को ठेस लगी है। यदि पुलिस उसको गिरफ्तार करना चाहती थी, तो आसानी से 8 मार्च की सुबह को उसके घर से ही गिरफ्तार कर सकती थी। लेकिन पुलिस ने अमृतपाल सिंह को और उसके साथियों को पकड़ने के लिए जो ढंग तरीका अपनाया, उससे देश-विदेश में सिख भाईचारे में रोष फैला है। आज पंजाब में खालिस्तान की कोई लहर नहीं है। पंजाबी एक भाईचारक साझ में रहना चाहते हैं लेकिन सरकार की सतही नीतियों के कारण सिख भाईचारे में बेगानगी की भावना का पैदा होना लाज़िमी है। आज बुरी तरह से लुढ़क रहे पंजाब को संभाले जाने की ज़रूरत है जिसके प्रति सरकार द्वारा कोई भी पुख़्ता नीति सामने नहीं आ रही। यदि हालात इसी प्रकार बने रहे तो ऐसी निराशा के और फैलने का भी अंदेशा नज़र आ रहा है, जो प्रदेश के लिए और भी बुरा संदेश होगा। 

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द