शारीरिक एवं मानसिक तौर पर निरोग रहने का साधन है योग

9वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर विशेष

प्रत्येक वर्ष 21 जून को विश्व स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। इस बार 9वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस ‘वसुधैव कुंटुबकम’ की थीम पर मनाया जा रहा है। इसकी जानकारी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ में देश के योग प्रेमियों को दी थी। भारत के साथ-साथ पूरा विश्व अब योग की ताकत को मान रहा है। यह हमें सिर्फ शारीरिक मज़बूती ही नहीं, मानसिक मज़बूती भी प्रदान करता है। संयुक्त राष्ट्र के मुख्याल्य न्यूयार्क में देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी इस बार के अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का नेतृत्व करेंगे, जोकि भारत के लिए बड़े ही गर्व की बात है। 
योग—एक सम्पूर्ण विज्ञान 
वैश्विक दृष्टिकोण से देखा जाए तो योग आज घने जंगलों तथा गुफाओं से निकल कर गांव के गलियारों, शहरों के शोर-शराबे में शांति की तलाश में भटकते व्यक्तियों की जीवन-शैली का हिस्सा बन रहा है। बहुत-से लोग इस सदीवी सत्य को समझ गए हैं कि योग ही शरीर तथा मन को निरोग रखने का एक अहम साधन है। शुगर, उच्च रक्तचाप, कैंसर, डिप्रैशन तथा मोटापा आदि रोगों के सरल, सफल तथा प्रामाणित उपचार के रूप में योग पूरे विश्व में फैल चुका है। देर रात तक कार्पोरेट सैक्टर में कार्य करने वाला व्यक्ति भी नींद की गोद में लीन होने के लिए आज योग का सहारा ले रहा है। दूसरी ओर देखा जाए तो योग रोज़गार का साधन बन कर भी उभरा है। देर रात तक काम में व्यस्त लोगों के लिए योग अध्यापकों की मांग  दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इसके साथ ही देश-विदेश के बहुत-से स्कूलों, कालेजों तथा विश्वविद्यालयों में भी योग पाठ्यक्रम का हिस्सा बनता जा रहा है, जिसके कारण समाज में एक ऐसी पीढ़ी का निर्माण हो रहा है, जो दिखने में चाहे साधारण ही क्यों न हो? परन्तु आंतरिक तौर पर पूरी तरह योग में रंगी हुई है। पूरा विश्व जीवन तथा जगत से संबंधित सभी क्षेत्रों में ‘योग’ की उपयोगिता को दिन-प्रतिदिन आवश्यक अनुभव करता आ रहा है। वास्तव में लोग योग से जितनी उम्मीद कर रहे हैं, योग उन्हें उससे कई गुणा अधिक लाभ पहुंचा रहा है। 
योग से जान-पहचान
योग आत्म अनुशासन है। इससे व्यक्ति स्वयं पर नियंत्रण रख कर मन की निर्मलता तथा तन की तंदुरुस्ती प्राप्त करता है तथा समाज एवं राष्ट्र के लिए हितकारी बन जाता है। पवित्र जीवन व्यतीत करना योग का मुख्य लक्ष्य है। योग एक ऐसा विशुद्ध विज्ञान है, जिसके माध्यम से व्यक्ति की स्व-चेतना का जागरण होता है। उसकी सोयी हुई शक्ति जागृत होती है, वे अनेक शक्तियों का स्वामी बन जाता है। संक्षिप्त में यही कहा जा सकता है कि स्वै-चेतना, स्वै-शक्ति, स्वै-बल अर्थात आत्मबल आदि को पूरी तरह जागृत करने का विज्ञान है। योग सिर्फ ऋषि-मुनियों तथा विचारशील-विवेकवान लोगों के लिए ही नहीं, अपितु प्रत्येक व्यक्ति किसान, मज़दूर, व्यापारी, नौकरीपेशे वाला, गृहस्थ, वानप्रस्थ तथा संन्यासी से लेकर विद्यार्थी आदि सभी के लिए ऋषियों की उत्तम देन है।     
साधक जिस पल लक्ष्य को ध्यान में रखकर निर्धारित उद्देश्य की प्राप्ति के लिए योग ‘अभ्यास’ शुरू कर देता है, उसी पल से उसका मिलना शुरू हो जाता है।
सुख पूर्वक शरीर को स्थिर रखना, शरीर को अत्यंत मज़बूत बनाना और रोगों को दूर करना शरीर को अनेक प्रकार की आकृतियों में (यह आकृतियां 84 लाख तक बनाई जा सकती है) ढाला जाता है, व्यायाम द्वारा शरीर में से पसीना निकल कर अंदर के ज़हरीले पदार्थों को बाहर निकाला जाता है। हल्के व्यायाम की क्रियाओं के माध्यम से एक-एक अंग को लचकदार और ज़हर से मुक्त बनाया जाता है।
योग वह साधना-प्रणाली है, जिसके माध्यम से प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन की सभी कमजोरियों पर जीत प्राप्त कर लेता है। इसके लिए योग को ‘समूचे रूपांतरण का विज्ञान’ (स्ष्द्बद्गठ्ठष्द्ग शद्घ ञ्जशह्लड्डद्य ञ्जह्म्ड्डठ्ठह्यद्घशह्म्द्वड्डह्लद्बशठ्ठ) कहा गया है।
जीवन की सभी कमजोरियों पर क्रमवार जीत प्राप्त करवाने की विधि का नाम ही योग है।
डाक्टरी जगत में चाहे वह ऐलोपैथिक हो या अन्य पैथीयां कोई ऐसी दवाई नहीं बनाई जा सकती है, जोकि ऩफरत, दोष, लोभ, मोह, इर्ष्या, क्रोध और अहंकार को कम कर सके, परन्तु यदि व्यक्ति प्रणायाम, ध्यान आदि योग अंगों का अभ्यास नियमित रूप से करता है, तो उसके अंदर मौजूद इस प्रकार के नकारात्मक विचार सहज़ के साथ ही समाप्त हो जाएंगे।
संसार प्रसिद्ध योगऋषि स्वामी रामदेव जी के अनुसार योग-समाधी है, योग आत्मदर्शन, आत्ममिलन या आत्मबोध की अध्यात्मिक प्रणाली है, योग जीवन दर्शन है, योग जीवन प्रबंधन है, योग आत्मानुशासन है। योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि सम्पूर्ण जीवन शैली है। योग मन को निर्मल और शांत करने की अध्यात्मिक विद्या है। योग एक सम्पूर्ण चकित्सा विज्ञान है। योग जीवन का विज्ञान है। योग व्यक्ति, समाज, राष्ट्र और संसार की सम्पूर्ण समस्याओं का हल है। योग और कर्मयोग भाव साधना और निष्काम सेवा ही योग के मुख्य साधन है।
स्वास्थ्य को निरोग रखने की प्रमुख विद्या योग है। आज 21 जून विश्व योग दिवस हम सभी को गौरवमयी कर रहा है। अब पूरा विश्व योगमयी हो रहा है। नि:संदेह 21 जून के ऐतिहासिक दिन को योगमयी बनाने का संकल्प प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लिया था, उन्होंने ही विश्व योग दिवस का प्रस्ताव रखा और उनकी पहलकदमी के कारण आज पूरा विश्व योग कर रहा है।

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