हरियाणा के कई ज़िले भी हुए बाढ़ का शिकार

हरियाणा के कई ज़िलों में भारी बारिश होने व कुछ नदियों में ज्यादा पानी आने से बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है। कई जगह सड़कों व पुलों को नुकसान होने से लोगों की आवाजाही भी प्रभावित हुई है। इससे न सिर्फ लोगों के लिए भारी परेशानी खड़ी हो गई है बल्कि प्रशासन के भी हाथ-पांव फूल गए हैं। भारी बारिश व बाढ़ से हरियाणा के पंचकूला, अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, पानीपत, यमुनानगर व कैथल जिले ज्यादा प्रभावित हुए हैं। इन ज़िलों में नाजुक हालात को देखते हुए प्रदेश सरकार ने राज्य के वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को प्रशासनिक प्रभारी लगाया है ताकि संबंधित जिलों में बचाव व राहत के कार्यों की निगरानी करने और उपायुक्तों का मार्गदर्शन किया जा सके। जिन अधिकारियों को बाढ़ व अत्याधिक बारिश के कारण जलभराव की पैदा हुई स्थिति की निगरानी की जिम्मेदारी दी गई है उनमें से ज्यादातर अधिकारी अतिरिक्त मुख्य सचिव रैंक के अधिकारी हैं। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी टीवीएसएन प्रसाद को करनाल जिला, डॉ. सुमिता मिश्रा को पंचकूला, अंकुर गुप्ता को अंबाला, डॉ. जी. अनुपमा को कुरुक्षेत्र, एके सिंह को पानीपत, अरुण गुप्ता को यमुनानगर व विकास गुप्ता को कैथल का जिला इंचार्ज लगाया गया है। मुख्यमंत्री ने इन वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को संबंधित जिलों का दौरा करने व राहत और बचाव कार्यों में तेजी लाने के भी निर्देश दिए हैं। अंबाला जिले में हालात की गंभीरता इसी से लगाई जा सकती है कि प्रदेश के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के घर में और घर की तरफ जाने वाले रास्ते में भी पानी भर गया था। इस बात की परवाह किए बगैर गृह मंत्री अनिल विज लगातार अधिकारियों को साथ लेकर राहत और बचाव कार्यों की न सिर्फ निगरानी कर रहे हैं बल्कि संबंधित अधिकारियों को बचाव कार्यों में तेज़ी लाने के लिए भी निर्देश दे रहे हैं। 
कांग्रेस में गुटबाज़ी
वैसे तो हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी हमेशा से हावी रही है लेकिन पिछले कुछ सालों से कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा का गुट अन्य गुटों पर भारी रहा है। इन दिनों हुड्डा गुट से संबंधित उदयभान के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस में हुड्डा और उदयभान की जुगलबंदी ने पार्टी के अन्य नेताओं को एकजुट होने पर मजबूर कर दिया है। पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा, राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला और कांग्रेस विधायक दल की पूर्व नेता किरण चौधरी अपने-अपने स्तर पर राजनीति किया करते थे और इन सभी नेताओं को हड्डा का धुर विरोधी माना जाता था। लेकिन अब कांगे्रस में अपना दबदबा बनाए रखने और हुड्डा गुट का मुकाबला करने के लिए सैलजा, रणदीप और किरण न सिर्फ एक मंच पर आ गए हैं बल्कि इन्होंने चंडीगढ़ में एक संयुक्त पत्रकार सम्मेलन करके हुड्डा गुट को अपनी ताकत और जनाधर दिखाने का भी प्रयास किया है। सैलजा कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव हैं और वे कईं बार सांसद व केंद्रीय मंत्री रह चुकी हैं। सैलजा के पिता चौधरी दलबीर सिंह भी हरियाणा से 4 बार सांसद और केंद्र सरकार में मंत्री रह चुके हैं। 2005 में भूपेंद्र हुड्डा को मुख्यमंत्री बनवाने में सैलजा की अहम भूमिका रही थी। अब यह माना जा रहा था कि अगर हुड्डा विरोधी गुट के कांग्रेसी नेता अपना अलग-अलग राह चुनेंगे तो वे शायद हुड्डा-उदयभान के मुकाबले कमजोर पड़ सकते हैं। इसलिए सैलजा, सुरजेवाला व किरण ने न सिर्फ एकजुट होने का निर्णय लिया बल्कि प्रदेश सरकार के खिलाफ सामूहिक तौर पर राजनीतिक हमले भी शुरू कर दिए हैं। 
सम्भावी मुख्यमंत्री
आजकल सभी नेताओं के समर्थक अपने नेता को भावी मुख्यमंत्री कहकर संबोधित करने लगे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा व उनके सांसद बेटे दीपेंद्र हुड्डा प्रदेश में जहां कहीं भी किसी कार्यक्रम में जाते हैं तो उनके समर्थक उन्हें हरियाणा का भावी मुख्यमंत्री कहकर संबोधित करते हैं और जनसभाओं में भी उनके पक्ष में भावी मुख्यमंत्री के नाम से खूब नारे लगाए जाते हैं। अब सैलजा, सुरजेवाला व किरण के समर्थकों ने भी अपने-अपने नेताओं को भावी मुख्यमंत्री बताते हुए उनकी जनसभाओं में न सिर्फ यह कहकर उन्हें संबोधित करना शुरू कर दिया है बल्कि उनकी सभाओं में भी भावी मुख्यमंत्री के नाम पर उनके नारे लगाने लगे हैं। सैलजा और सुरजेवाला की गिनती राहुल गांधी व सोनिया गांधी के बेहद भरोसेमंद नेताओं में होती है। दोनों को कांग्रेस आलाकमान ने राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी दी है। सुरजेवाला को कांग्रेस आलाकमान ने राजस्थान से राज्यसभा सांसद बनवा रखा है। सुरजेवाला कर्नाटक के प्रभारी रहे हैं और पिछले चुनाव में कर्नाटक में कांग्रेस की जीत का श्रेय सुरजेवाला को भी दिया जा रहा है। इसलिए सैलजा व सुरजेवाला को उनके समर्थकों द्वारा भावी मुख्यमंत्री कहकर संबोधित करना स्वभाविक है। सिर्फ कांग्रेस में ही नहीं बल्कि इनेलो व जजपा की जन-सभाओं में भी इसी तरह के नारे सुनाई देने लगे हैं। जजपा की जनसभाओं में उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के पक्ष में भावी मुख्यमंत्री के नाम से नारेबाजी की जाती है और इनेलो की जनसभाओं में अभय चौटाला को भावी मुख्यमंत्री बताते हुए उनके समर्थक उनके पक्ष में नारे लगाते है। इसी के चलते प्रदेश में भावी मुख्यमंत्रियों की लंबी कतार होती जा रही है। 
चौटाला के चुनाव लड़ने की चर्चा
इनेलो की जींद में हुई राष्ट्रीय व राज्य कार्यकारिणी बैठक के बाद इनेलो के प्रधान महासचिव अभय चौटाला की ओर से यह घोषणा की गई कि अगर अदालत ने इजाजत दी तो इनेलो प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला अगला विधानसभा चुनाव उचाना सीट से लड़ेंगे व मुख्यमंत्री पद के दावेदार होंगे। इस घोषणा ने प्रदेश की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। उचाना से इस समय ओम प्रकाश चौटाला के पौत्र व प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला विधायक हैं और दुष्यंत चौटाला ने पहले ही यह ऐलान कर रखा है कि वे अपना अगला विधानसभा चुनाव भी उचाना हल्के से ही लड़ेंगे। दूसरी तरफ पूर्व केंद्रीय मंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता भी उचाना से चुनाव लड़ने की तैयारी में है। भाजपा के प्रदेश प्रभारी बिप्लब देब पहले ही प्रेमलता को उचाना से चुनाव लड़वाने का संकेत दे चुके हैं। बीरेंद्र सिंह व प्रेमलता के बेटे बिजेंद्र सिंह हिसार से भाजपा सांसद हैं और उन्होंने अपनी आईएएस की नौकरी से त्यागपत्र देकर पिछली बार हिसार सीट से चुनाव लड़ा था। पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला 2009 से 2014 तक उचाना से विधायक व नेता प्रतिपक्ष रहे हैं। इससे पहले वे उचाना के साथ लगते नरवाना हल्के से विधायक व मुख्यमंत्री बने थे। नरवाना हल्का आरक्षित होने के बाद ओम प्रकाश चौटाला ने साथ लगते उचाना से चुनाव लड़ा और 2009 में यहां से विधायक चुने गए। 2014 में उचाना से बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता विधायक चुनी गई। 2013 में इनेलो प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला को जेबीटी भर्ती मामले में सीबीआई कोर्ट द्वारा 10 साल की सजा सुनाए जाने के कारण वे 2014  व 2019 का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ पाए थे। अदालत द्वारा सुनाई गई 10 साल की सजा पूरी होने के बाद वे अब जेल से बाहर आ चुके हैं और निरंतर पार्टी की गतिविधियों को तेजी देने में जुटे हुए हैं। अदालत इनेलो प्रमुख को चुनाव लड़ने की इजाजत देती है या नहीं यह तो आने वाला समय बताएगा, लेकिन इनेलो द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला को उचाना से अगला चुनाव लड़वाने की घोषणा से प्रदेश की राजनीति में जरूर हलचल पैदा हो गई है। 

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