बिहार में महागठबंधन को मज़बूत करेगी जातिगत जनगणना की रिपोर्ट

बिहार में बेसब्री से इंतज़ार किए जा रहे जाति सर्वेक्षण के परिणामों को सार्वजनिक कर दिया गया है, जिससे मुख्यमंत्री नितीश कुमार और आर.जे.डी. प्रमुख लालू प्रसाद यादव को मज़बूती मिली है, जो इस कदम के प्रमुख समर्थकों में से एक थे। इसको व्यापक तौर पर अन्य पिछड़े वर्ग (ओ.बी.सी.), आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (ई.बी.सी.) और दलितों में सत्तारूढ़ महागठबंधन के सामाजिक समर्थन आधार को मज़बूत बनाने के लिए एक कदम के तौर पर देखा जाता है, जो 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले इन भाईचारों के साथ महागठबंधन के एक महत्वपूर्ण वायदे को पूरा करता है। बिहार जाति सर्वेक्षण अनुसार बिहार में 215 जातियां हैं। बिहार की कुल जनसंख्या 13.7 करोड़ (137 मिलियन) है, जिसमें 36 प्रतिशत ई.बी.सी., 27 प्रतिशत ओ.बी.सी., 19 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 1.68 प्रतिशत अनुसूचित जनजातियां शामिल हैं। जाति सर्वेक्षण की रिपोर्ट से पता चलता है कि उच्च जातियों की जनसंख्या 15.52 प्रतिशत है, जिसमें 2.86 प्रतिशत भूमीहार, 3.66 प्रतिशत ब्राह्मण, 3.45 प्रतिशत राजपूत और 0.60 प्रतिशत कायस्थ शामिल है। रिपोर्ट के मुताबिक मुख्यमंत्री नितीश कुमार की कुर्मी जाति की गिणती 2.87 प्रतिशत है। आर.जे.डी. प्रमुख लालू प्रसाद यादव की जाति की गिणती 14.26 प्रतिशत है, जो सभी जातियों में से सबसे अधिक है। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रधान सम्राट कुशवाहा की कोयरी या कुशवाहा (ओ.बी.सी.) जाति की गिणती 4.21 प्रतिशत है। रिपोर्ट से पता चलता है कि बिहार में हिन्दू जनसंख्या 81.9 प्रतिशत है, इसके बाद 17.7 प्रतिशत मुसलमान, 0.05 प्रतिशत ईसाई, 0.01 प्रतिशत सिख, 0.08 प्रतिशत बुद्ध, 0.0096 प्रतिशत जैन धर्म और शेष अन्य धर्मों से संबंधित लोग हैं। नितीश कुमार की पार्टी जे.डी.(यू) ने सर्वेक्षण को सामाजिक न्याय की जीत बताया और कहा कि इससे बहुत अति पिछड़े वर्गों के लिए तरक्की और खुशहाली के नए रास्ते खुलेंगे। दूसरी तरफ आर.जे.डी. को लीड प्राप्त है और तेज़स्वी यादव के लिए सत्तारूढ़ गठबंधन का नेतृत्व करने की मांग उठना तय है, यदि अभी नहीं तो अगले विधानसभा चुनावों में, बशर्त नितीश कुमार तब तक महागठबंधन के साथ बने रहें। आगामी दिनों में जाति कारक राजनीतिक चर्चा पर हावी होने वाली है: क्योंकि पार्टियां वर्ष के अंत में होने वाली विधानसभा चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनावों की तैयारी के लिए कई रणनीतियां अपना रही हैं।
राहुल ने श्री हरिमंदिर साहिब में की सेवा
कांग्रेस नेता तथा सांसद राहुल गांधी ने अमृतसर में सिख धर्म के सबसे पवित्र अस्थान श्री हरिमंदिर साहिब की आध्यात्मिक यात्रा की, जहां उन्होंने सर्वसांझी रसोई में सेवा की, पालकी साहिब को अपने कंधों पर उठाया, लंगर में रोटियां वितरित कीं और आम लोगों के साथ बैठ कर लंगर ग्रहण किया। चाहे राहुल की हरिमंदिर साहिब की यात्रा के दौरान शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एस.जी.पी.सी.) द्वारा उन्हें पूर्ण सहयोग दिया गया, परन्तु 1984 के सिख विरोधी दंगों के लिए उन (राहुल) पर निशाने भी साधे गए। 
ऐसे प्रतीत होता है कि राहुल गांधी द्वारा श्री हरिमंदिर साहिब की सेवा द्वारा पश्चाताप का एक मौन संदेश दिया गया है, जिसके राजनीतिक महत्व को 2024 के संसदीय चुनाव से पहले दृष्टिविगत नहीं किया जा सकता। सिख विरोधी दंगों के लिए 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सांसदों तथा देश से माफी भी मांगी थी। इससे पहले कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी इस पर खेद व्यक्त किया था।
भाजपा में अविश्वास 
भाजपा को राजस्थान में चुनाव से पहले उभरे कई अंतर-पार्टी विरोधी गुटों से निपटना मुश्किल हो रहा है। इन गुटों को पार्टी के दिग्गज नेताओं जैसे कि वसुंधरा राजे, राजेन्द्र सिंह राठौर, सतीश पूनिया, सी.पी.जोशी, गजेन्द्र शेखावत तथा अर्जुन राम मेघवाल द्वारा निर्देश दिए जाते हैं। दो बार की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को पार्टी के अभियान का चेहरा घोषित करने में भाजपा की अनिच्छा ने विशेष तौर पर इसकी प्रदेश इकाई में समस्या को जन्म दिया है। दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 25 सितम्बर को जयपुर में एक रैली में बिना किसी का नाम लिए कहा, ‘मैं हर भाजपा वर्कर को बताना चाहता हूं कि हमारी पहचान तथा गौरव केवल कमल है।’ भाजपा की 20 दिवसीय राज्य-व्यापी परिवर्तन संकल्प यात्रा के एक बड़े हिस्से से लम्बे समय तक गैर-हाज़िर रहने के बाद अब वसुंधरा राजे ने राजस्थान में अपने कार्यक्रमों को फिर से शुरू किया है। उन्होंने पूर्व विधायकों सहित अपने समर्थकों से मंगलवार को जैसलमेर तथा बाड़मेर में मंदिरों में दर्शन किए। प्रदेश में शक्ति प्रदर्शन के तौर पर टिकटों के वितरण होने तक राजे आने वाले दिनों में अपना ‘देव दर्शन’ कार्यक्रम जारी रखेंगी। टिकटों का वितरण 15 अक्तूबर से नवरात्रि शुरू होने से पहले होने की उम्मीद है। (आई.पी.ए. सेवा)