दो धार्मिक विचारधाराओं की लड़ाई है गाज़ा युद्ध 

रूस और यूक्रेन का युद्ध अभी थमा भी नहीं था कि इज़रायल और हमास के बीच युद्ध शुरू हो गया। इज़रायल और हमास के बीच जंग 20 दिन से जारी है और यह युद्ध लम्बा चल सकता है, इसमें कोई संदेह नहीं। यह कोई दो देशों के बीच की लड़ाई नहीं है, अपितु दो धार्मिक विचारधाराओं की लड़ाई है। एक तरफ  इस्लामिक कट्टरवादी सोच है तो दूसरी तरफ  इज़रायल की उदारवादी सोच है। हमारे देश के लिए बहुत असमंजस की स्थिति है क्योंकि एक समय वह भी था जब हमारा देश फिलिस्तीनी राष्ट्र का समर्थन किया करता था और हम यासर अराफात को गले लगाते थे लेकिन आज हम इज़रायल के साथ खड़े हैं और ये होना भी चाहिये क्योंकि हम किसी भी हाल में आतंकवाद का समर्थन नहीं कर सकते। 
हमास ने जो इज़रायल में किया है, वह मानवता को शर्मसार करने वाली घटना है। इसके बाद जो इज़रायल अभी कर रहा है, वह पूरी तरह जायज़ प्रतीत हो रहा है। किसी भी युद्ध में किसी भी सिद्धांत की कोई गुंजाइश बाकी नहीं रह जाती है। युद्ध की स्थिति में आम नागरिकों का भी हर पक्ष से भारी नुकसान होता है। 
इज़रायल एक यहूदी देश है जो चारों तरफ  से इस्लामिक देशों से घिरा हुआ है। उसे अपने अस्तित्व को बचाने के लिए कई बार इन देशों से लड़ना पड़ा है। आज हमास के पीछे ईरान पूरी तरह खड़ा है और इस हमले की साज़िश में वह शुरू से ही शामिल प्रतीत हो रहा था। हमास को सभी इस्लामिक देशों से लगातार मदद मिल रही है। फिलिस्तीनियों को जितनी भी आर्थिक मदद दुनिया भर से मिल रही थी, उसका इस्तेमाल हमास ने अपने हथियारों के निर्माण में किया। आज भी गाज़ा पट्टी के लोगों की मदद के लिए सहयोग देने की बात हो रही है। आखिर में वह हमास तर ही पहुंचने वाली है। काफी समय पहले जॉर्डन ने अपने यहां इनको शरणार्थी के रूप में बसने की इजाज़त दी थी लेकिन वे वहां के शासक को हटाने की साज़िश करने लग गए थे। आज कोई भी इस्लामिक राष्ट्र चाहे वह मिस्र, जॉर्डन, सऊदी अरब या ईरान ही हो, अपने यहां फिलिस्तीनियों को बसाना नहीं चाहते हैं। इनका इतिहास अच्छा नहीं माना जाता। 
इज़रायल गाज़ा पट्टी में फिलिस्तीनियों को बिजली, पानी, गैस और खाद्य पदार्थ मुहैया कराता रहा है,  लेकिन ये उसी देश को मिटाने के सपने देखते रहते हैं।एक इज़रायली मूल की महिला वहां दो नि:शुल्क अस्पताल चलाती थी  जिसमें गाज़ा पट्टी में रहने वाले फिलिस्तीनियों का मुफ्त में इलाज होता था। इज़रायली होते हुए भी वह इज़रायलियों का विरोध करती थीं लेकिन उन्हीं फिलिस्तीनियों ने उसे भी नहीं बख्शा। यमन के हूती विद्रोहियों की तरफ  से भी इज़रायल पर लम्बी दूरी की मिसाइलें दागे गईं। यह अलग बात है कि इन्हें इंटरसेप्ट कर लिया गया। लेबनान के हिजबुल्लाह विद्रोहियों के पास भी आधुनिक हथियार हैं और वे हमास से ज्यादा प्रशिक्षित हैं। वे इज़रायल के लिए ज्यादा सिरदर्द बने हुए हैं।