देश के अमन तथा सद्भावना के लिए हानिकारक हो सकता है साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण

सियासत का चलन ये है 
कि जो न हो वही कहिये,
सुबह को रात साबित कर 
अंधेरे को उजाला भी।
(लाल फिरोज़परी)
हालांकि सारी भाजपा विरोधी सोशल मीडिया लॉबी यह सिद्ध करने पर ज़ोर लगा रही है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लोकसभा चुनावों के पहले चरण में संभावित हार को देख कर घबरा गए हैं, और इसी कारण ही वह कांग्रेस के चुनाव घोषणा पत्र को तत्कालीन प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के 2006 में दिये गये एक पुराने बयान से गडमड करके हिन्दू-मुस्लिम राजनीति करने पर उतर आए हैं। हालांकि 2006 में डा. मनमोहन सिंह का बयान बिल्कुल ही अलग संदर्भ में था और फिर उसके बाद लगातार 10 वर्ष से भाजपा शासन करती आ रही है। निजी तौर पर मुझे प्रतीत नहीं होता कि भाजपा हार रही है, परन्तु हां, उसका 400 पार का नारा अवश्य खोखला प्रतीत हो रहा है और भाजपा की कुछ सीटें कम होने के आसार भी ज़रूर दिखाई दे रहे हैं। यह आम प्रभाव है कि भाजपा आरएसएस के एजेंडे को लागू कर रही है और इस बार वह भारी संख्या में लोकसभा सीटें जीत कर भारतीय संविधान में कुछ बुनियादी तथा बड़े बदलाव करने की गुप्त रणनीति पर विचार कर रही है। हालांकि इस बारे किसी बड़े नेता ने कभी कुछ नहीं कहा। 
परन्तु यह भी सच है कि जैसे भाजपा ने पहले राम मंदिर बनाने को चुनावों का मुख्य मुद्दा बनाया, परन्तु बाद में उसके स्थान पर भारत के विकास की बात को आगे किया और 2047 तक का विज़न देते हुए भारत के विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने को चुनावी मुद्दे के रूप में उभारा, परन्तु अचानक पहले चरण के मतदान में कम मतदान के बाद कांग्रेस के कुछ सप्ताह पहले जारी हुए चुनाव घोषणा पत्र पर हमलावर होते हुए प्रधानमंत्री ने यह प्रभाव तो बनाया ही है कि भाजपा में कहीं न कहीं कम मतदान से कारण घबराहट का आलम अवश्य है। प्रधानमंत्री ने स्वयं यह प्रचार किया कि यदि विपक्ष जीत जाता है तो वह आपकी जायदाद तथा सोना छीन कर अधिक बच्चे पैदा करने (अप्रत्यक्ष रूप में मुसमलानों) वालों को दे देगी। 
हम समझते हैं कि रानजीति में अनहोनी बात कहना राजनीति का चलन बन चुका है। केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने भी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी और अब कांग्रेस ने भी कई ऐसी गारंटियां दी हैं, जो धरातल पर अनहोनी ही हैं। रानजीतिज्ञ दिन को रात तथा रात को दिन सिद्ध करने के माहिर होते हैं परन्तु नोट करने वाली बात यह है कि देश का प्रधानमंत्री पूरे देश का प्रधानमंत्री भी होता है। प्रधानमंत्री स्तर के किसी भी व्यक्ति द्वारा ऐसे बयान नहीं दिये जाने चाहिएं जो देश को धर्म के नाम पर बांटने का प्रभाव देते हों। यह ठीक है कि भाजपा सत्ता में आई ही बहुसंख्यकों के ध्रुवीकरण के कारण है। उसने सफलता से बहुसंख्यक को अल्पसंख्यक से डराने का खेल खेला है। अब भी पहले चरण के मतदान के बाद भाजपा वापिस उसी खेल पर उतर आई है। चाहे अभी भी कांग्रेस तथा ‘इंडिया’ गठबंधन मुख्य धारा (मेन स्ट्रीम) के मीडिया में भाजपा से कहीं पीछे है, परन्तु फिर भी वह इस बार सोशल मीडिया के माध्यम से जवाब देने में काफी सीमा तक सफल दिखाई दे रहा है। 
हमारे हिसाब से प्रधानमंत्री का यह तीव्र प्रहार भी इस बार अभी उतना कारगर दिखाई नहीं दे रहा क्योंकि इस बार मुस्लिम अल्पसंख्यक जवाबी तौर पर हमलावर नहीं हुए और वे चुप हैं जिस कारण बहुसंख्यक हिन्दू भी व्यापक स्तर पर इस प्रचार से प्रभावित दिखाई नहीं दे रहे। यही कारण है कि अब भाजपा अपने काडर को इस चुनाव घोषणा पत्र के विरोध में प्रदर्शन करने के लिए मजबूर कर रही है।
जिस प्रकार की ‘सरगोशियां’ सुनाई दे रही हैं कि इतने सख्त हमले के बावजूद बहुसंख्यकों का ध्रवीकरण होता दिखाई नहीं दे रहा तथा इसी कारण भाजपा प्रदर्शन करने लग पड़ी है, हमें भय लग रहा है कि यदि दूसरे तथा तीसरे चुनावी चरण में भी भाजपा शासित राज्यों में लोगों ने चुनावों में उत्साह न दिखाया और मतदान प्रतिशत कम ही रहा तो भाजपा बहुसंख्यक का ध्रुवीकरण करने के लिए कोई और कड़ा कदम उठाने की ओर न चल पड़े जिसका परिणाम देश की साम्प्रदायिक एकता के लिए खतरनाक निकल सकता है। भाजपा को इतना अवश्य याद रखना चाहिए कि वह सत्तारूढ़ है और देश की साम्प्रदायिक एकता को बनाए रखने की अधिक ज़िम्मेदारी भी उसकी ही है। हमें डर है कि यदि देश का साम्प्रदायिक ताना-बाना डोल गया और बात किसी प्रकार साम्प्रदायिक दंगों की ओर बढ़ गई तो चुनाव प्रक्रिया को शांतिपूर्ण ढंग से जारी रखने में भी कठिनाई आ सकती है। इसलिए सभी राजनीतिक पार्टियों को सचेत रूप में ध्यान रखना चाहिए कि यदि ऐसा हुआ तो यह किसी के भी हित में नहीं होगा, न किसी अल्पसंख्यक के और न ही किसी बहुसंख्यक के। यह देश के लोकतांत्रिक ढांचे के लिए भी खतरनाक ही सिद्ध होगा। हम तो दुआ करते हैं कि हमारे मन का डर एवं भ्रम गलत ही सिद्ध हो। जहांगीर नायाब के शब्दों में—
जैसे कि होने वाली है अनहोनी फिर कोई,
हर पल तवह-तुमात में उलझा हुआ हूं मैं।
(तवह-तुमात-़िफक्र, डर, भ्रम)
आशा की एक नई किरण
कोई जुगनू सा जगा है कि सितारे की चमक है,
नई उम्मीद जगी जब, तो दुआ मांग ली मैने।
(लाल फिरोज़पुरी)
यू.के. के सिख जजों, वकीलों, बैरिस्टरों तथा अन्य विचारकों ने विश्व भर के सिखों को लिए उम्मीद की एक नई किरण जगाई है। सिखों को आपसी रंजिश, धार्मिक विवाद तथा सामाजिक मामलों का समाधान करने के लिए एक नया राह सुझाया है। सिख कानूनी विशेषज्ञों द्वारा यू.के. में ‘सिख अदालत’ की स्थापना की गई है, जो यू.के. के इंग्लैंड, स्काटलैंड तथा वेल्स क्षेत्रों में सिखों के आपसी विवाद खत्म करने के लिए काम करेगी। इस अदालत के जजों ने शपथ ली है कि वे श्री गुरु ग्रंथ साहिब तथा सिख धर्म की शिक्षाओं में दर्शाये गए न्याय, समानता तथा अखंडता के सिद्धांतों को कायम रखेंगे तथा अपने कर्त्तव्यों को बिना किसी भय, पक्ष या बुरी इच्छा के अदालत के कानूनों एवं नियमों को निष्पक्षता से लागू करेंगे। 
इस अदालत ने अपनी वैबसाइट भी बना दी है। 222.ह्यद्बद्मद्धष्शह्वह्म्ह्ल.ष्श.ह्वद्म (डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू  सिख कोर्ट डॉट को डॉट यूके) नामक यह वैबसाइट एक जून से बाकायदा रूप में शुरू हो जाएगी और अदालत भी अपना काम शुरू कर देगी। हम श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार, शिरोमणि कमेटी तथा अन्य प्रमुख सिख संस्थाओं के प्रमुखों को निवेदन करते हैं कि वे भारत के प्रमुख सेवानिवृत्त जजों तथा प्रमुख वकीलों से सम्पर्क करें कि वे भी भारतीय संविधान के दायरे में रह कर सिखों के आपसी पारिवारिक, सामाजिक, धार्मिक विवादों का समाधान करने के लिए ऐसी सालसी अदालतें देश के प्रत्येक राज्य में स्थापित करें और एक बड़ी देश स्तरीय अदालत भी बनाएं, जिसमें सिख गुरुद्वारों की कमेटियों के विवाद, सिख स्कूल-कालेजों की कमेटियों एवं जायदादों के विवाद बिना किसी देरी के ज़मीनी इन्साफ से हल हो सकें और ऐसा सिर्फ भारत में ही नहीं अपितु विश्व के प्रत्येक उस देश में जहां सिख न्यायकार उपलब्ध हैं और सिख आबादी है, में उस देश के कानूनों, नियमों के अनुसार सालसी अदालतें स्थापित की जाएं। हम समझते हैं कि यदि सिख यह कर सकें तो बाद में इन अदालतों की कोई वर्ल्ड कन्फैडरेशन भी अस्तित्व में आ सकेगी और यह सिखों के लिए विश्व भर में न्याय की ध्वज-वाहक भी बन सकेगी। 
-1044, गुरु नानक स्ट्रीट, समराला रोड, खन्ना
-मो. 92168-60000