दक्षिण की रणनीति है वायनाड से प्रियंका का चुनाव लड़ना

कांग्रेस पार्टी ने अटकलों और प्रत्याशाओं की झड़ी के बीच वायनाड लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के लिए होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी को मैदान में उतारकर एक रणनीतिक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह सीट उनके भाई राहुल गांधी द्वारा रायबरेली को बरकरार रखने और वायनाड से हटने के फैसले के बाद खाली हुई है। दोनों ही सीटों पर उन्होंने लोकसभा आम चुनाव में जीत हासिल की थी। अगर कांग्रेस की यह रणनीति सफल होती है, तो यह प्रियंका, उनकी पार्टी व भारतीय राजनीति के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है। इसने जनता और राजनीतिक वर्ग के बीच उत्साह और संदेह को जन्म दिया है।
जब प्रियंका गांधी की उम्मीदवारी की घोषणा की गयी, तो उन्होंने कहा, ‘मुझे वायनाड का प्रतिनिधित्व करने में खुशी हो रही है और मैं यह सुनिश्चित करूंगी कि लोगों को राहुल गांधी की कमी महसूस न हो। ...मैंने अपने परिवार की राजनीतिक विरासत और दक्षिण में गांधी परिवार की मौजूदगी को जारी रखने के लिए वायनाड से चुनाव लड़ने का फैसला किया। मेरी दादी इंदिरा गांधी का वायनाड के लोगों से गहरा रिश्ता था और मुझे उम्मीद है कि मैं इसे और मज़बूत बना पाऊंगी।’ 
राहुल और उनकी मां सोनिया ने कई सालों तक कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व किया और सांसद के तौर पर काम किया। वायनाड में होने वाला आगामी चुनाव प्रियंका के लिए एक अहम परीक्षा होगी। वास्तव में यह उनकी पहली अग्निपरीक्षा होगी। भाजपा समेत पूरा देश उनके प्रदर्शन पर करीब से नज़र रखेगा। राजनीतिक परिवार में जन्मी प्रियंका ने अपनी मां के चुनाव प्रचार में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया है। उन्होंने 2004 में राजनीति में प्रवेश करने वाले अपने भाई के लिए भी प्रचार किया था। 2014 और 2019 में ऐसी अफवाहें थीं कि प्रियंका वाराणसी से नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ सकती हैं। 2024 के चुनावों से पहले उन्होंने कहा कि पार्टी का लक्ष्य वंशवाद की भाजपा की आलोचना का मुकाबला करने के लिए तीन गांधी को मैदान में उतारने से बचना है। गांधी परिवार ने 2024 के चुनावों को कांग्रेस के लिए एक बेहतरीन अवसर के रूप में देखते हुए अपना विचार बदल दिया। उन्होंने तय किया कि प्रियंका को केरल कांग्रेस सांसद के रूप में चुनावी राजनीति में उतारने का यह सही समय है। यह एक सुरक्षित सीट है।
अपनी दादी इंदिरा गांधी से मिलती-जुलती प्रियंका 2019 में राजनीति में आने के बाद से ही सुर्खियों में हैं। वह कांग्रेस पार्टी की महासचिव बनीं और उन्होंने पार्टी के प्रचार में अहम भूमिका निभायी। प्रियंका को 2024 के चुनाव में कांग्रेस की संख्या लगभग दोगुनी करने और पार्टी में नयी जान फूंकने का श्रेय दिया जाता है।
उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी अपना प्रभाव छोड़ने के लिए संघर्ष करती रहीं। जब उनकी देखरेख में 2022 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने खराब प्रदर्शन किया, तो उन्हें जवाबदेह नहीं ठहराया गया। उन्होंने विधानसभा चुनावों के दौरान पंजाब में भी खराब प्रदर्शन किया था। हालांकि हिमाचल प्रदेश में उनके व्यापक प्रचार को राज्य विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी की सफलता का श्रेय दिया गया।
2024 में प्रियंका ने देश भर में पार्टी के प्रचार पर ध्यान केंद्रित करते हुए लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया। उन्होंने 108 जनसभाएं कीं, रोड शो में भाग लिया और 16 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में प्रचार किया। वायनाड से चुनाव लड़ने का फैसला प्रियंका के लिए चुनौतियों और अवसरों का अनूठा संग्रह प्रस्तुत करता है। एक ओर उन्हें वंशवाद की राजनीति के मुद्दे पर भाजपा के हमलों का सामना करना पड़ सकता है, एक बाधा जिसे उन्हें चतुराई और लचीलेपन के साथ पार करना होगा। दूसरी ओर, यह उन्हें खुद को साबित करने और एक नए निर्वाचन क्षेत्र से जुड़ने का सुनहरा अवसर देता है, एक ऐसा मौका जिसे उन्हें दृढ़ संकल्प के साथ भुनाना होगा।
उत्तरी केरल में स्थित वायनाड निर्वाचन क्षेत्र में 14.6 लाख मतदाता हैं। पिछले चार चुनावों में इसने लगातार कांग्रेस के सांसदों को चुना है, जो पार्टी के लिए एक ठोस समर्थन का संकेत देता है। इस निर्वाचन क्षेत्र में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) का भी व्यापक समर्थन है, जिसमें मुस्लिम और ईसाई मतदाता लगभग 60 प्रतिशत हैं। आईयूएमएल प्रियंका का समर्थन करेगी। अगर प्रियंका जीतती हैं, तो गांधी परिवार के तीनों सदस्य भारतीय संसद में होंगे। इससे पार्टी के भीतर परिवार की स्थिति मज़बूत हो सकती है, लेकिन ऐसी स्थिति विरोधियों के हमले भी आमंत्रित करेंगे।
भारतीय राजनीति में, केरल में प्रियंका की उम्मीदवारी कांग्रेस पार्टी द्वारा दक्षिण में अपने समर्थन आधार को मज़बूत करने के लिए एक रणनीतिक कदम है, जो संभावित रूप से इसके क्षेत्रीय गतिशीलता को नया आकार देगा। कांग्रेस पार्टी दक्षिण के महत्व को स्वीकार करती है और वहां अपनी उपस्थिति को मज़बूत करने का लक्ष्य रखती है। राहुल उत्तर पर ध्यान केंद्रित करेंगे, जबकि प्रियंका दक्षिण पर ध्यान केंद्रित कर सकती हैं। उनकी संभावित जीत क्षेत्र में पार्टी की स्थिति को मज़बूत कर सकती है।
प्रियंका के पास कई लाभदायक स्थितियां हैं। वह प्रसिद्ध हैं और हिंदी पर उनकी अच्छी पकड़ है। हालांकि, उनके पति रॉबर्ट वाड्रा को कानूनी मुद्दों के कारण बोझ के रूप में देखा जाता है। अगर प्रियंका संसद के लिए चुनी जाती हैं तो उन्हें एक अच्छी सांसद बनने का प्रयास करना चाहिए। इसी तरह दोनों गांधी भाई-बहनों को संगठन को मज़बूत करना चाहिए और पार्टी को वापस पटरी पर लाना चाहिए। वायनाड राहुल के प्रति वफादार रहा है और प्रियंका का समर्थन करेगा। (संवाद)