नीट-यूजी पेपर लीक पर क्यों हो रही है लीपापोती ?
अंडरग्रेजुएट मेडिकल सीटों के लिए नीट-यूजी काउंसलिंग चार चक्रों में होगी और जुलाई के तीसरे सप्ताह से आरंभ होगी। ऐसा सरकार का कहना है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने शपथ-पत्र में सरकार ने कहा है कि अगर काउंसलिंग प्रक्रिया के दौरान या उसके बाद भी यह पाया गया कि छात्र किसी भी अनाचार का लाभार्थी था, तो उसका प्रार्थीत्व रद्द कर दिया जायेगा। इस संदर्भ में अनेक याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवायी चल रही है, जिनमें कई याचिकाएं इस आग्रह की भी हैं कि तथाकथित पेपर लीक के आधार पर नीट-यूजी परीक्षा को रद्द करके नये सिरे से परीक्षा करायी जाये। अदालत में अगली सुनवायी 18 जुलाई, 2024 को होनी है।
गौरतलब है कि नीट-यूजी काउंसलिंग वह प्रक्रिया है, जिसके तहत सफल प्रार्थियों को उनके परीक्षा स्कोर पर आधारित सीटों का आवंटन किया जाता है। यह अजीब विरोधाभास है कि सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने अपने अपने शपथ-पत्रों में नीट-यूजी पेपर के लीक से इन्कार किया है, लेकिन सीबीआई ने 10 जुलाई, 2024 की देर रात पटना के कांति फैक्ट्री रोड से नीट पेपर लीक के सरगना राकेश रंजन उर्फ रॉकी को गिरफ्तार किया और उसे 11 जुलाई, 2024 को विशेष सीबीआई अदालत में पेश करके 10 दिन की उसकी कस्टडी भी हासिल कर ली है। इस गिरफ्तारी से सीबीआई का मानना है कि पेपर लीक के सारे राज़ फाश हो जायेंगे। रॉकी नालंदा ज़िला का रहने वाला है और उस पर आरोप है कि उसने लीक हुआ नीट प्रश्न-पत्र प्राप्त करने के बाद उसे हल किया और फिर एमबीबीएस में प्रवेश लेने के इच्छुक अभियार्थियों में वितरित किया।
सवाल यह है कि जब केंद्र सरकार व एनटीए के दावे के अनुसार पेपर लीक हुआ ही नहीं तो सीबीआई रॉकी व अन्य आरोपियों को गिरफ्तार क्यों कर रही है? कहीं तो कुछ गड़बड़ है, जिसे छुपाने का प्रयास किया जा रहा है या यह भी हो सकता है कि यह पूरी कवायद कुछ ‘असरदार लोगों’ को बचाने की कोशिश हो। केंद्र सरकार व एनटीए के शपथ-पत्रों में कहा गया है कि आईआईटी-मद्रास ने टॉप 1.4 लाख रैंक होल्डर्स (लगभग 23 लाख छात्र परीक्षा में बैठे थे) के नतीजों की समीक्षा की है, जिनमें कोई असामान्यता नहीं पायी गई है और टेलीग्राम चैनल पर जो प्रश्न-पत्र का तथाकथित वीडियो है, वह टाइम स्टैम्प में गड़बड़ी करके पोस्ट किया गया, यह दिखाने के लिए कि पेपर लीक हुआ है। एनटीए ने अपने शपथ-पत्र में यह भी कहा कि पटना (बिहार) व सवाई माधोपुर (राजस्थान) में जो पेपर लीक के आरोप हैं, वह सही नहीं हैं और पटना में जिन संदिग्ध अभियार्थियों पर अनियमितता के आरोप हैं, उनका बहुत मामूली स्कोर रहा है, जिससे परीक्षा की शुचिता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
इस संबंध में एनटीए का यह भी कहना है कि किसी भी ट्रंक से कोई प्रश्न-पत्र गायब नहीं हुआ है, कोई ताला टूटा हुआ नहीं मिला। एनटीए के पर्यवेक्षकों ने कोई प्रतिकूल रिपोर्ट नहीं दी और कमांड सेंटरों में निरन्तर मॉनिटर किये गये सीसीटीवी कवरेज में पेपर लीक की कोई घटना नहीं देखी गई। केंद्र सरकार व एनटीए के शपथ-पत्रों का दूसरे शब्दों में यह निष्कर्ष निकलता है कि कहीं कोई आग नहीं लगी है, अकारण ही धुंए की बात उठायी जा रही है। संभवत: इसी कारण से सरकार का कहना है कि असमर्थित आशंकाओं के आधार पर पुन: परीक्षा नहीं करायी जा सकती है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह स्वीकार किया है कि पटना व गुजरात के कुछ केंद्रों पर लीक व अनुचित तरीकों का प्रयोग हुआ है, जो परीक्षा की शुचिता से समझौते की ओर संकेत करता है। इसलिए अदालत ने कहा है कि अगर उसे यह यकीन हो जाता है कि सिस्टमिक फेलियर हुआ है और परीक्षा में इस हद तक बिगाड़ हुआ है कि बेईमान परीक्षार्थियों को ईमानदार परीक्षार्थियों से अलग करना असंभव है तो वह पुन: परीक्षा का आदेश देगा।
दरअसल, केंद्र सरकार व एनटीए के दावे अपनी जगह, मगर कहीं कुछ गड़बड़ तो अवश्य हुई है वर्ना पेपर लीक पर इतना शोर न मचता। इसलिए अनुमान यह है कि अगर सुप्रीम कोर्ट को लगता है कि लीक व अनियमितताएं सीमित व स्थानीय न थीं, तो वह नीट-यूजी परीक्षा दोबारा कराने का आदेश देगा। ध्यान रहे कि बिहार पुलिस व गुजरात पुलिस से जांच अपने हाथ में लेने के बाद सीबीआई ने भी सुप्रीम कोर्ट में अपनी स्टेटस रिपोर्ट दाख़िल की है, जिसकी कॉपी याचिकाकर्ताओं को नहीं दी गई है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली तीन सदस्यों की खंडपीठ कुल 45 याचिकाओं पर अब सुनवायी 18 जुलाई, 2024 को करेगी। बहरहाल, अगर अधिक साक्ष्य चाहिए कि फिलहाल हमारे देश में परीक्षा व्यवस्था किस तरह से चल रही है तो हमें केवल केवल यूजीसी-नेट से संबंधित अखबारी खबरों को पढ़ना होगा। यह परीक्षा अविश्वसनीय साक्ष्यों के आधार पर रद्द कर दी गई थी। यूजीसी-नेट ‘पेपर लीक’ की जांच कर सीबीआई ने पाया है कि परीक्षा के दिन टेलीग्राम पर पोस्ट किया गया प्रश्न-पत्र का स्क्रीनशॉट परीक्षा होने के बाद पोस्ट किया गया था।
लेकिन अधिकारियों ने बिना किसी गहन जांच के तुरंत परीक्षा रद्द कर दी, जिससे 9 लाख से अधिक छात्र प्रभावित हुए। ज़ाहिर है इससे अधिकारियों की योग्यता व समझ पर भी अनेक प्रश्न खड़े होते हैं। अब इसके विपरीत एनटीए को देखिए कि वह यह स्वीकार करने को तैयार ही नहीं है कि नीट-यूजी परीक्षा के दौरान अनियमितताएं हुईं, जबकि इस संदर्भ में पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध हैं। नवीनतम रहस्योद्घाटन से लाज़िमी तौर पर यह प्रश्न भी उठेंगे कि क्या सुरक्षित सीबीटी आधारित सीएसआईआर-नेट को स्थगित करने के पर्याप्त कारण थे? इस साल के यूजीसी-नेट में कुछ अन्य बातें भी हैं, जो परेशान किये हुए हैं।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर