जन-जागरूकता से ही रोके जा सकते हैं साइबर अपराध

आज का युग डिजिटल युग है। दूसरे शब्दों में कहें तो आज हम सोशल नेटवर्किंग साइट्स व्हाट्स एप, फेसबुक, इंस्टाग्राम के युग में जी रहे हैं। कहना गलत नहीं होगा कि आज हम जितनी तेज़ी से डिजिटल दुनिया की ओर बढ़ रहे हैं, ठीक उतनी ही तेज़ी से साइबर अपराध की संख्या में भी वृद्धि हो रही है। जिस गति से तकनीक ने उन्नति की है, उसी गति से मनुष्य की इंटरनेट पर निर्भरता भी बढ़ी है। सोशल नेटवर्किंग साइट्स का एक तरफ तो इस जीवन में बहुत उपयोग है, लेकिन दूसरी तरप इससे अनेक अपराध, धोखाधड़ी भी पनप रहे हैं। आज सोशल नेटवर्किंग, ऑनलाइन शॉपिंग, डेटा स्टोर करना, गेमिंग, ऑनलाइन स्टडी, ऑनलाइन जॉब सब इंटरनेट से होता है।
यहां यह जानना ज़रूरी है कि आखिर साइबर अपराध का मतलब क्या है? तो साइबर अपराध का मतलब है कंप्यूटर, नेटवर्क या डिजिटल उपकरणों के माध्यम से की जाने वाली धोखाधड़ी या अन्य गैर-कानूनी कार्रवाईयां। किसी की भी निजी जानकारी कंप्यूटर या इंटरनैट के माध्यम से निकाल लेना या चोरी कर लेना भी साइबर अपराध है। साइबर अपराध भी कई प्रकार के होते हैं, जैसे कि किसी की जानकारी चोरी करना, जानकारी मिटाना, जानकारी में फेर बदल करना, हेरफेर करना, किसी की निजी अथवा पेशेवर जानकारी को किसी और को देना या नष्ट करना आदि। इतना ही नहीं, वित्तीय या कार्ड भुगतान डेटा की चोरी, कॉर्पोरेट डेटा की चोरी और बिक्री,  साइबर जासूसी (जिसमें हैकर्स सरकारी या कम्पनी के डेटा तक पहुंच बनाते हैं), सिस्टम में इस तरह हस्तक्षेप करना जिससे नेटवर्क को खतरा हो, कॉपीराइट का उल्लंघन करना, गैर-कानूनी जुआ, अवैध वस्तुओं को ऑनलाइन बेचना, बाल पोर्नोग्राफी का निर्माण करना या उसे अपने पास रखना आदि भी साइबर अपराधों की श्रेणी में आते हैं। 
सच तो यह है कि साइबर अपराध आज के युग में हमारे समक्ष एक गम्भीर खतरा बन गया है। कहना गलत नहीं होगा कि इंटरनेट और डिजिटल उपकरणों का बढ़ता उपयोग साइबर अपराधियों को नए-नए तरीकों से धोखाधड़ी करने के अवसर प्रदान कर रहा है। आज साइबर अपराधों में फिशिंग हमले, सोशल इंजीनियरिंग हमले लगातार हो रहे हैं और कोई भी सुरक्षित नहीं रह गया है, जैसा कि आज हम सभी डिजिटल युग में जी रहे हैं और एंड्रॉयड लैपटॉप पर इंटरनेट का जमकर प्रयोग कर रहे हैं। आज हम सभी ई-मेल व विभिन्न वेबसाइटों का प्रयोग करते हैं और फिशिंग हमलों के जरिए अपराधी हमारे अकाऊंट से अनेक संवेदनशील जानकारियां यथा हमारे विभिन्न पासवर्ड, हमारा डाटा, हमारा बैंक विवरण आदि चोरी कर लेते हैं। 
वास्तव में हमें यह चाहिए कि हम किसी भी अनजाने ई-मेल, लिंक या किसी अटैचमेंट पर कभी भी बिना सोचे समझे क्लिक न करें, अन्यथा हम कभी भी किसी भी समय साइबर हमले का शिकार हो सकते हैं। आज हम नेम एंड फेम कमाने के चक्कर में अपनी निजी जानकारियां, पेशेवर जानकारियां जाने-अनजाने में सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर शेयर कर देते हैं जो हमारे लिए घातक सिद्ध हो सकती हैं। जैसा कि सोशल इंजीनियरिंग हमलों में धोखेबाज लोग हमारी भावनाओं और भरोसे का भरपूर फायदा उठाते हैं। इससे बचने के लिए हमें हमेशा सतर्क तो रहना ही चाहिए। हमें हमेशा बहुत मजबूत और जटिल पासवर्ड का प्रयोग करना चाहिए, साथ ही यह चाहिए कि हम समय-समय पर अपने पासवर्ड को स्पेशल करेक्टर्स, अपर और लोअर केस एनंबर्स आदि का प्रयोग मजबूत पासवर्ड बनाने के लिए करें। साइबर हमलों से बचने के लिए कंप्यूटर और मोबाइल डिवाइस के ऑपरेटिंग सिस्टम और अन्य सॉफ्टवेयर को नियमित रूप से अपडेट करते रहना चाहिए। इससे न केवल सुरक्षा खामियों को दूर किया जा सकता है, बल्कि इससे हमारा सिस्टम भी सुरक्षित रहता है। 
इतना ही नहीं, एंटीवायरस सॉफ्टवेयर और फायरवॉल का उपयोग करना भी बहुत आवश्यक है। यह सॉफ्टवेयर मालवेयर, वायरस और अन्य खतरों से डिवाइस की सुरक्षा करते हैं। हम यह भी सुनिश्चित करें कि हमारा इंटरनेट कनेक्शन सुरक्षित हो। इसके लिए सार्वजनिक वाई-फाई का उपयोग करते समय हमें अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। संवेदनशील जानकारी के लिए हमेशा सुरक्षित और विश्वसनीय इंटरनेट कनेक्शन का उपयोग किया जाना चाहिए। इसके अलावा संदेहास्पद गतिविधियों की रिपोर्टिंग भी की जानी चाहिए। यदि किसी भी संदिग्ध गतिविधि का सामना करना पड़े, तो तुरंत अपने वरिष्ठ अधिकारियों, सहयोगियों को सूचित करना चाहिए और साइबर सुरक्षा विभाग से सम्पर्क करना चाहिए। इसके लिए प्रशिक्षण लेना भी बहुत ही ज़रूरी है। इस बारे में जागरूकता तो होनी ही चाहिए।
जरूरत पड़ने पर इस संबंध में एफआईआर भी दर्ज करवाई जा सकती है। राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर रिपोर्ट की जा सकती है। बैंक और वित्तीय संस्थान को भी समय रहते हम सूचित कर सकते हैं ताकि हमें आर्धिक नुकसान  न हो। भारत दुनिया में इंटरनेट का तीसरा सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है और हाल के वर्षों में साइबर अपराध कई गुना बढ़ गए हैं। साइबर सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिये सरकार की ओर से हालांकि कई कदम उठाए गए हैं। कैशलेस अर्थव्यवस्था को अपनाने के कारण आज भारत में साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करना बहुत ही आवश्यक हो गया है। इसके लिए जन-जागरूकता, सतर्कता बहुत ज़रूरी है। भारत में ‘सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम-2000’ पारित किया गया जिसके प्रावधानों के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता के प्रावधान सम्मिलित रूप से साइबर अपराधों से निपटने के लिये पर्याप्त हैं, लेकिन इसके बारे में सभी को अधिकाधिक जानकारी होनी चाहिए। (युवराज)

# जन-जागरूकता से ही रोके जा सकते हैं साइबर अपराध