पिछड़ा प्रदेश

विगत दिवस प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों संबंधी समिति की सम्पन्न हुई बैठक में देश भर में 50655 करोड़ की लागत वाले आठ महत्त्वपूर्ण सड़क प्रोजैक्टों को स्वीकृति दी गई। इससे जहां इन सड़कों पर वाहनों की रफ्तार बढ़ेगी, वहीं यह भी खुलासा किया गया है कि इनके शुरू होने से लगभग साढ़े चार करोड़ रोज़गार के प्रत्यक्ष एवं परोक्ष अवसर पैदा होंगे। जिन राज्यों को केन्द्र की ओर से यह तोह़फा दिया गया है, उनमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, असम, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र एवं झारखंड आदि प्रदेश शामिल हैं। यह भी कहा गया है कि इन प्रोजैक्टों के निर्माण के समय तथा इनके पूर्ण होने के बाद वहां हर तरह की गतिविधियां बढ़ जाएंगी। भीड़भाड़ कम हो जाएगी तथा इन स्थानों का अन्य प्रदेशों के साथ सम्पर्क पूरी तरह बन जाएगा। यह भी कि इनमें कुछ सड़कें देश की समुद्री बंदरगाहों के साथ जोड़ी जाएंगी ताकि अन्य प्रदेशों का हर तरह का उत्पादन तथा सामान उनके द्वारा बिना रोक-टोक आ-जा सके, जिससे व्यापारिक प्रबन्धों में सुधार होगा। दूसरी तरफ पंजाब से गुज़रते इन राष्ट्रीय मार्गों के संबंध में स्थिति बेहद जटिल बनी हुई है। इनमें से प्रदेश को देश के अन्य राज्यों के साथ जोड़ने वाले कुछ राष्ट्रीय मार्गों के निर्माण को बंद करने की कुछ समय पहले केन्द्र सरकार ने घोषणा भी कर दी थी तथा शेष अन्य मार्गों संबंधी भी अभी तक पूरी तरह अनिश्चितता बनी हुई है।
विगत दिवस राज्यसभा के सांसद बिक्रमजीत सिंह साहनी की ओर से सदन में जब इन प्रोजैक्टों का मुद्दा उठाया गया तो केन्द्रीय सड़क यातायात एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि पंजाब में लगातार इस संबंध में आ रही मुश्किलों के दृष्टिगत यहां के तीन नैशनल हाईवे प्रोजैक्टों का काम रोका ही नहीं गया, अपितु बंद कर दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश में अब तक 52000 करोड़ रुपये की लागत से 1500 किलोमीटर लम्बे राष्ट्रीय राजमार्गों का विकास किया जाना था परन्तु भूमि की उपलब्धता तथा कब्ज़े में देरी के साथ-साथ किसानों को मुआविज़े में देरी के दृष्टिगत कई प्रोजैक्टों को संबंधित ठेकेदारों ने न सिर्फ रोक ही दिया है, अपितु इन्होंने नैशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के विरुद्ध केस भी कर दिए हैं।
इससे पहले भी अक्सर केन्द्र के संबंधित मंत्रालय को ये शिकायतें मिल रही थीं कि पंजाब सरकार के अधिकारियों का रवैया बेहद ढीला है, जिसके कारण केन्द्र ने पंजाब में 3303 करोड़ रुपए के तीन प्रोजैक्टों—लुधियाना-रोपड़-खरड़, दक्षिणी लुधियाना बाईपास तथा अमृतसर से टांडा को भी मौजूदा समय में रोकने का फैसला कर लिया है। कुछ समय पहले केन्द्र के संबंधित अधिकारी ने पंजाब के मुख्य सचिव को इस संबंध में एक पत्र लिख कर अपनी नाराज़गी प्रकट की थी तथा यह कहा था कि पंजाब सरकार के अधिकारियों के ढीलेपन के कारण न सिर्फ 8245 करोड़ रुपए की ये परियोजनाएं ही ़खतरे में हैं, अपितु 42175 करोड़ रुपए की ऐसी अन्य परियोजनाओं संबंधी भी अनिश्चितता बन गई है। इन परियोजनाओं में कटरा-अमृतसर-दिल्ली-एक्सप्रैस हाईवे का काम अधर में ही लटका पड़ा है तथा तरनतारन और अमृतसर में भी ऐसी रुकावटों के कारण यह काम अधूरा पड़ा है।
हम जानना चाहते हैं कि विगत लम्बी अवधि से पंजाब के प्रशासन की ओर से अनेक महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं के प्रति लापरवाही दिखाने के कारण तथा केन्द्र के संबंधित मंत्रालयों की शर्तों एवं प्रस्तावों को समय पर पूरा न करने के कारण पहले ही हर पक्ष से डावांडोल प्रदेश का जो भारी नुक्सान हो रहा है, उसके लिए  कौन ज़िम्मेदार है, उसकी निशानदेही प्राथमिकता के आधार पर करने के उपरांत ज़िम्मेदारी तय की जानी चाहिए। नि:संदेह प्रदेश सरकार को इसके प्रति लोगों के समक्ष उत्तरदायी होना पड़ेगा।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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