बच्चों के समग्र विकास की वैश्विक चुनौती
आज अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस पर विशेष
बच्चे किसी भी देश के हों, वे समाज का भविष्य होते हैं। समाज में बच्चों के प्रति जागरूकता बढ़ाने तथा बच्चों की बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और अच्छे भविष्य के उद्देश्य से दुनिया के कई देशों में प्रतिवर्ष 20 नवम्बर को अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस की वर्ष 2024 की थीम है ‘प्रत्येक बच्चे के लिए, प्रत्येक अधिकार’, जो यह सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर देता है कि सभी बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, सुरक्षा और सुरक्षित वातावरण सहित उनके मौलिक अधिकारों तक पहुंच हो। कई दशकों से यूनिसेफ (यूनाइटेड नेशंस इंटरनेशनल चिल्ड्रन इमरजेंसी फंड) बाल विकास और कल्याण की दिशा में कार्यरत है। इसके अलावा भी कई अंतर्राष्ट्रीय संगठन बच्चों के अधिकारों के लिए कार्य कर रहे हैं। 20 नवम्बर को बच्चों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन की वर्षगांठ होती है, इसीलिए इसी दिन को ‘अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस’ के तौर पर मनाने का निर्णय लिया गया। वास्तव में अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस हमें बच्चों के अधिकारों की वकालत करने और उन्हें बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है। वैश्विक स्तर पर इस दिवस को मनाने का उद्देश्य दुनियाभर में बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार करना, उनकी समस्याओं को हल करना, उनके कल्याण के लिए काम करना तथा अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता को बढ़ावा देना है।
बाल दिवस मनाए जाने की शुरूआत वर्ष 1925 से ही हो गई थी लेकिन वैश्विक रूप में देखें तो इसे दुनियाभर में मान्यता 1953 में मिली थी और संयुक्त राष्ट्र द्वारा 20 नवम्बर 1954 को ‘अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस’ मनाए जाने की घोषणा की गई थी। इसका उद्देश्य यही था कि इस विशेष दिन के माध्यम से अलग-अलग देशों के बच्चे एक-दूसरे के साथ जुड़ सकें, जिससे उनके बीच आपसी समझ तथा एकता की भावना मजबूत हो सके। सर्वप्रथम बाल दिवस जेनेवा के इंटरनेशनल यूनियन फॉर चाइल्ड वैल्फेयर के सहयोग से विश्वभर में अक्तूबर 1953 में मनाया गया था। विश्वभर में बाल दिवस मनाए जाने का विचार वी.के. कृष्ण मेनन का था, जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1954 में अपनाया गया था। संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्वभर के तमाम देशों से अपील की गई थी कि वे अपनी परम्पराओं, संस्कृति तथा धर्म के अनुसार अपने लिए कोई एक ऐसा दिन सुनिश्चित करें, जो सिर्फ बच्चों को ही समर्पित हो। ‘अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस’ बाल अधिकार सम्मेलन को 20 नवम्बर, 1989 को स्वीकार किए जाने के उपलक्ष्य में यूनिसेफ का बच्चों के द्वारा बच्चों के लिए कार्रवाई के वैश्विक दिवस के रूप में मनाया जाने वाला दिन है। यूनिसेफ का कहना है कि हम साथ मिलकर एक बेहतर भविष्य की पुर्नकल्पना कर सकते हैं और हर दिन को बाल दिवस बना सकते हैं।
दुनियाभर में आज मासूम बच्चों के समक्ष कई तरह की समस्याएं और चुनौतियां हैं। नन्हीं उम्र में ही बहुत से बच्चों को कठिन चुनौतियों का सामना करना पढ़ता है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार बच्चों के लिए सबसे बड़ी समस्या चाइल्ड ट्रैफिकिंग (बाल तस्करी) की उभर रही है। पूरी दुनिया में मानव तस्करी सबसे तेज़ी से बढ़ते अंतर्राष्ट्रीय अपराधों में से एक बन गया है और बच्चे तस्करों के लिए सबसे आसान शिकार बन रहे हैं। अनेक मामले ऐसे देखे जाते हैं, जब बच्चों के सबसे करीबी लोग ही उन्हें बहला-फुसलाकर जघन्य अपराधों का शिकार बनाते हैं। इसी प्रकार विकसित होती दुनिया में आज भी बाल विवाह बड़ी समस्या बना है। ‘गर्लनॉटब्राइड’ के मुताबिक हर 3 सैकेंड में 1 लड़की बाल विवाह की शिकार हो रही है। वैसे तो इस समस्या से लड़कों को भी गुजरना पड़ना है लेकिन लड़कियां इससे ज्यादा प्रभावित होती हैं। दुनियाभर में 70 करोड़ से ज्यादा लड़कियों की शादी उनके 18वें जन्मदिन से पहले कर दी जाती है। हालांकि अनेक संस्थाएं इस पर कार्य कर रही हैं और लोगों में बाल विवाह के प्रति जागरूकता फैला रही हैं लेकिन इसके बावजूद दक्षिण अफ्रीका, सहारा और एशियाई देशों में यह अभी भी पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है।
दुनियाभर में बाल दिवस के माध्यम से लोगों को बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा, बाल मजदूरी इत्यादि बच्चों के अधिकारों के प्रति जागरूक करने का प्रयास किया जाता है। यूनिसेफ के अनुसार बच्चों के समग्र विकास के लिए उनके स्वास्थ्य और पोषण को लेकर भी वैश्विक स्तर पर अनेक चुनौतियां हैं। वैश्विक आंकड़ों के अनुसार विश्व स्तर पर पांच वर्ष से कम आयु के करीब 14 मिलियन बच्चों के लिए कुपोषण बड़ा खतरा बरकरार है, जिसे स्वास्थ्य विशेषज्ञ बच्चों के शारीरिक और मानसिक दोनों ही दृष्टि से स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मानते हैं। दुनिया के कई देश अभी वैश्विक खाद्य संकट का सामना कर रहे हैं। कोरोना महामारी के अलावा, रूस-यूक्रेन तथा इज़रायल-फिलिस्तीन युद्ध, जलवायु परिवर्तन और खाद्य पदार्थों की कीमतों में बेतहाशा बढ़ौतरी के चलते तो बच्चों के पोषण पर गंभीर असर देखने को मिला है। हालांकि अब दुनियाभर में बच्चे और युवा भी जलवायु परिवर्तन, शिक्षा तथा मानसिक स्वास्थ्य से लेकर नस्लवाद और भेदभाव को खत्म करने तक अपनी पीढ़ी के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर आवाज उठा रहे हैं, जो बेहतर भविष्य बनाने का आह्वान भी है।
वैसे तो बाल दिवस दुनियाभर में 190 से भी ज्यादा देशों में मनाया जाता है लेकिन कई देशों में इसे मनाने की तारीखें अलग-अलग हैं। जनवरी माह से लेकर दिसम्बर तक हर माह किसी न किसी देश में बाल दिवस का आयोजन होता है। भारत सहित कई देशों में वहां की तय तारीखों पर बाल दिवस मनाया जाता है, वहीं ब्रिटेन दुनिया का इकलौता ऐसा देश है, जहां बाल दिवस नहीं मनाया जाता। माना जाता है कि सबसे पहले बाल दिवस तुर्की में मनाया गया था। करीब 50 ऐसे देश हैं, जहां 1 जून को बाल दिवस मनाया जाता है। हालांकि विभिन्न देशों द्वारा अलग-अलग तारीखों पर अपनी-अपनी सुविधा के अनुसार बाल दिवस मनाया जाता है लेकिन हर जगह इसे मनाए जाने का मूल उद्देश्य यही है कि इसके जरिये लोगों को बच्चों के अधिकारों तथा सुरक्षा के लिए जागरूक किया जा सके और बच्चों से जुड़े मुद्दों का समाधान हो सके।