ईरान के लिए एक हथियार की तरह है होर्मुज

होर्मुज जलडमरूमध्य फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ने वाला एक संकरा समुद्री मार्ग है। वैश्विक तेल और गैस व्यापार का सबसे महत्वपूर्ण चोक पॉइंट है। हाल ही में अमरीका द्वारा ईरान के तीन परमाणु ठिकानों (फोर्डो, नतांज और इस्फहान) पर हवाई हमलों के बाद ईरान की संसद ने 22 जून, 2025 को होर्मुज़ को बंद करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। हालांकि अंतिम निर्णय ईरान की सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के पास है जिसकी अध्यक्षता सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई करते हैं। ईरान की इस धमकी ने वैश्विक ऊर्जा बाज़ारों में हलचल मचा दी है और भारत जैसे तेल-आयातक देशों के लिए गंभीर चिंताएं पैदा कर दी।  होर्मुज जलडमरूमध्य ईरान और ओमान के बीच स्थित है जिसकी सबसे संकरी चौड़ाई मात्र 33 किलोमीटर है और नौवहन के लिए उपयोगी शिपिंग लेन केवल 3 किलोमीटर चौड़ा है। यह जलमार्ग विश्व का लगभग 20-21 प्रतिशत कच्चा तेल (प्रतिदिन 20.22 मिलियन बैरल) और 25-30 प्रतिशत तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) का परिवहन करता है। सऊदी अरब, इराक, कुवैत, कतर और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) अपने तेल और गैस निर्यात के लिए इस पर निर्भर हैं। 2024 में इस मार्ग से गुजरने वाले 74 प्रतिशत कच्चे तेल और 73 प्रतिशत एलएनजी का गंतव्य एशियाई देश जैसे भारत, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया थे। जलडमरूमध्य की संकरी चौड़ाई और ईरान के नियंत्रण वाले टापू (जैसे क्वेशम और हेंगम) इसे सैन्य दृष्टि से संवेदनशील बनाते हैं। ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के कमांडर अलीरेजा तांग्सीरी ने दावा किया कि होर्मुज को कुछ ही घंटों में बंद किया जा सकता है। ईरान ने पहले भी 1980 के ईरान-इराक युद्ध के दौरान इस होर्मुज को बंद करने की धमकी दी थी लेकिन इसे कभी पूरी तरह बंद नहीं किया।
ईरान असममित युद्ध रणनीतियों पर निर्भर करता है जो उसे पारम्परिक रूप से मजबूत विरोधियों के खिलाफ  प्रभावी बनाती हैं। संभावित रणनीतियों में तेज़ गति वाली छोटी नौकाओं द्वारा स्वार्म टैक्टिक्स, नूर, कादिर और खलीज-ए-फार्स जैसी एंटी-शिप मिसाइलें (120-300 कि.मी. रेंज), सस्ती और प्रभावी समुद्री माइंस, शाहेद-136 जैसे ड्रोन, गदिर-क्लास पनडुब्बियों द्वारा टॉरपीडो या माइंस की तैनाती और नेविगेशन सिस्टम या तेल टर्मिनलों को बाधित करने के लिए साइबर हमले शामिल हैं। हालांकि अमरीका की 5वीं फ्लीट बहरीन में तैनात है जो माइंस साफ  करने, मिसाइल रक्षा और गश्त के लिए तैयार है, जिससे होर्मुज को पूरी तरह बंद करना ईरान के लिए चुनौतीपूर्ण कार्य है।
होर्मुज जलडमरूमध्य के बंद होने से तेल की कीमतें 120-150 डालर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं जो वर्तमान में 90 डालर (ब्रेंट क्रूड) के स्तर पर हैं। इसेस एशियाई देश (भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया) सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे क्योंकि उनका 70-74 प्रतिशत तेल आयात इस मार्ग से होता है। ईंधन की बढ़ती लागत से परिवहन, विनिर्माण और रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी। सऊदी अरब और यूएई की पाइपलाइनें (2.6 मिलियन बैरल प्रतिदिन की क्षमता) होर्मुज को बाईपास कर सकती हैं, लेकिन यह पूरी कमी की पूर्ति नहीं कर सकती। ईरान स्वयं अपने तेल निर्यात के लिए इस मार्ग पर निर्भर है, इसलिए इसे बंद करने से उसकी अपनी अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होगी और विशेष रूप से चीन जैसे सहयोगियों को भी नुकसान होगा।
भारत अपनी 80-90 प्रतिशत तेल और 50 प्रतिशत एलएनजी आवश्यकताओं के लिए आयात पर निर्भर है। भारत अपने कच्चे तेल का लगभग 40 प्रतिशत और एलएनजी का 50 प्रतिशत होर्मुज के माध्यम से आयात करता है। तेल आयात की लागत बढ़ने से व्यापार घाटा बढ़ सकता है जिससे रुपये और विदेशी मुद्रा के भंडार पर दबाव पड़ेगा। लाल सागर मार्ग पहले से ही हूती हमलों के कारण बाधित है।
भारत ने रूस, अमरीका, ब्राज़ील और अफ्रीका से तेल आयात बढ़ाकर आयात स्रोतों का विविधीकरण किया है। रूसी तेल, जो स्वेज नहर या केप ऑफ  गुड होप के माध्यम से आता है, होर्मुज़ पर निर्भर नहीं है। भारत के पास 74 दिनों का तेल भंडार है, जो अल्पकालिक संकट को संभाल सकता है। कतर भारत का प्रमुख एलएनजी आपूर्तिकर्ता है लेकिन ऑस्ट्रेलिया, रूस और अमरीका से एलएनजी आयात होर्मज़ पर निर्भर नहीं है। भारत नवीकरणीय ऊर्जा (सौर, पवन) और परमाणु ऊर्जा में निवेश बढ़ा रहा है, जो दीर्घकाल में तेल पर निर्भरता कम करेगा। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत स्थिति पर नज़र रख रहा है और आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए तैयार है। रूस और अमरीका से तेल आयात महंगा हो सकता है और लॉजिस्टिक्स जटिल हैं। यदि होर्मज़ एक सप्ताह से अधिक बंद रहता है तो भारत के भंडार अपर्याप्त हो सकते हैं। चीन ईरान का सबसे बड़ा तेल खरीदार है। वह होर्मुज़ खुला रखने के लिए ईरान पर दबाव डाल सकता है, लेकिन यह भारत के लिए अप्रत्यक्ष लाभ होगा।
ईरान की होर्मुज बंद करने की धमकी वैश्विक ऊर्जा बाजारों और भारत की अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर खतरा मानी गई थी। (अदिति)

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