रूस के राष्ट्रपति पुतिन और PM मोदी ने भारत-रूस बिजनेस फोरम में लिया हिस्सा 

नई दिल्ली, 5 दिसंबर - रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत-रूस बिजनेस फोरम में हिस्सा लिया।

डिया-रूस बिज़नेस फोरम में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा, "...रूसी प्रतिनिधि मंडल सिर्फ़ एनर्जी के मामलों पर बात करने और तेल और गैस की सप्लाई के लिए कॉन्ट्रैक्ट साइन करने नहीं आया था। हम चाहते हैं कि भारत के साथ अलग-अलग क्षेत्र में हमारे कई तरह के रिश्ते बनें। प्रधानमंत्री मोदी ने हमारी प्राइवेट बातचीत में कई मौकों पर इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत के पास कई क्षेत्रों में बड़े और बढ़ते हुए मौके हैं, लेकिन अब तक उनका उतना इस्तेमाल नहीं हुआ है जितना दोनों देश चाहते हैं। यही वजह है कि हमने यह फोरम बुलाया। 
मैं इस बात पर ज़ोर देना चाहूंगा कि PM मोदी के नेतृत्व में भारत एक स्वतंत्र और संप्रभु नीति पर चल रहा है और साथ ही बहुत अच्छे रिज़ल्ट भी पा रहा है। आज, भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। PM मोदी की अच्छी आर्थिक नीति और मेक इन इंडिया प्रोग्राम जैसे बड़े ऐतिहासिक पहल की वजह से, इंडिया टेक्नोलॉजी के मामले में संप्रभु बन रहा है। भारत के IT और फार्मा सेक्टर दुनिया में प्रमुख स्थान पर हैं। 

भारत-रूस बिज़नेस फोरम में PM नरेंद्र मोदी ने कहा, "राष्ट्रपति पुतिन का आज इतना बड़ा प्रतिनिधिमंडल लेकर इस कार्यक्रम का हिस्सा बनना बहुत महत्वपूर्ण रहा। मैं आप सभी का हृदय से स्वागत करता हूँ। आप सभी के बीच आकर, इस फोरम में शामिल बनकर अपने विचार शेयर करके मुझे बहुत खुशी हो रही है। मैं अपने दोस्त राष्ट्रपति पुतिन का दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ। भारत और यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन के बीच FTA पर बातचीत शुरू हो गई है... चाहे बिज़नेस हो या डिप्लोमेसी, किसी भी साझेदारी की नींव आपसी विश्वास है। यही विश्वास भारत-रूस संबंधों की सबसे बड़ी ताकत है।

भारत रूस बिज़नेस फोरम में PM नरेंद्र मोदी ने कहा, "डिफेंस और स्पेस को प्राइवेट सेक्टर के लिए खोल दिया गया है। इससे इन सेक्टर में नए मौके बने हैं। अब हम सिविल-न्यूक्लियर सेक्टर में भी नई संभावनाओं के द्वार खोलने जा रहे हैं। यह सिर्फ़ एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म नहीं है, बल्कि माइंडसेट रिफॉर्म है। इन रिफॉर्म के पीछे एक ही संकल्प है- विकसित भारत"

उन्होंने आगे कहा, "मेरी तरफ से हमारे सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए कुछ विचार रखना चाहूंगा। सबसे पहले, लॉजिस्टिक्स और कनेक्टिविटी के क्षेत्र में, आज की बैठक में राष्ट्रपति पुतिन और मैंने अपनी कनेक्टिविटी की पूरी क्षमता का इस्तेमाल करने पर ज़ोर दिया। INSTC या नॉर्दर्न सी रूट, यानी चेन्नई-व्लादिवोस्तोक कॉरिडोर पर आगे बढ़ने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। इस दिशा में जल्द ही प्रगति होगी। इससे ट्रांज़िट टाइम कम होगा, लागत कम होगी और बिज़नेस के लिए नए मार्केट खुलेंगे। डिजिटल टेक्नोलॉजी की ताकत के साथ, हम वर्चुअल ट्रेड कॉरिडोर के ज़रिए कस्टम, लॉजिस्टिक्स और रेगुलेटरी सिस्टम को जोड़ सकते हैं। इससे कस्टम क्लियरेंस तेज़ होगा, पेपरवर्क घटेगा और कार्गो मूवमेंट ज़्यादा आसान बनेगा। 

 

 

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