दहेज प्रथा पर रोक लगनी चाहिए

दहेज लेना और देना दोनों ही गलत हैं। दहेज प्रथा पर  पूरी तरह रोक लगनी चाहिए। सरकार और प्रशासन को सख्त होना होगा और समाज में रह रहे हर व्यक्ति को समझना होगा कि ‘कन्यादान करने वाला बेटी तो देता ही है, साथ में धन भी देता है।’ समाज के ठेकेदार वर्षों से सिर्फ दहेज के विरोध में बात कर रहे हैं परंतु परिणाम कोई निकलता तो है नहीं। दहेज के भय के कारण भी कन्या-भ्रूण हत्याएं हो रही हैं। परंतु इन बातों को गहराई से समझने वाले बहुत कम लोग हैं। नेता, राजनेता, धर्मगुरु, समाजसेवी इत्यादि को ‘दहेज’ जैसी बुराई नज़र नहीं आ रही चूंकि इससे उनको उतना प्रचार नहीं मिलेगा, जितना उनकी ऊट- पटांग ब्यानबाज़ी करके मिलता है। दहेज कैंसर से भी घातक बीमारी है परंतु इसका दर्द समझने वाला कोई नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति को मां चाहिए, पत्नी चाहिए परंतु बेटी नहीं चाहिए क्योंकि बेटी की शादी में दहेज देना पड़ता है। ज्यादातर लोग तो इतने गरीब हैं कि वह अपनी बेटी को दहेज दे ही नहीं पाते। ऐसे में परेशान होकर पूरे परिवार को आत्महत्या करनी पड़ती है। अब उनके दर्द को कौन समझेगा? इसलिए समाज में फैले इस दहेज रूपी कोढ़ को जितनी जल्दी हो सके, जड़ से उखाड़ फैंकना होगा नहीं तो पता नहीं यह और कितनी बेटियों की बलि लेगा?