पानी तेरा मोल नहीं !

जल ही जीवन है कहते हम थकते नहीं मगर जल बचाने के लिए कुछ करते-धरते भी नहीं। शायद यह सोचकर चुप बैठ जाते है कि मेरा पडोसी जल बचाएगा मुझे क्या जरुरत है। हमारी यही दकियानूसी सोच हमें बर्बादी की ओर ले जा रही है और वह दिन दूर नहीं जब हमारे प्यासे मरने की नौबत आ जाएगी। तब तक बहुत देर हो जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी मन की बात में इस बार जल संरक्षण का आह्वान किया है। प्रधानमंत्री ने देश में पानी की समस्या से जुड़ी चुनौती का जिक्र करते हुए लोगों से स्वच्छता आंदोलन की तरह ‘जल संरक्षण’ आंदोलन चलाने की अपील की।  मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में ‘मन की बात’ के पहले कार्यक्रम में कहा, ‘मेरा पहला अनुरोध है  जल संरक्षण के लिए एक जन आंदोलन की शुरुआत करें।  उन्होंने कहा कि दूसरा अनुरोध यह है कि देश में पानी के संरक्षण के लिए जो पारंपरिक तौर-तरीके सदियों से उपयोग में लाए जा रहे हैं, उन्हें साझा करें।  प्रधानमंत्री ने लोगों से अपील की कि जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले व्यक्तियों का, स्वयं सेवी संस्थाओं का और इस क्षेत्र में काम करने वाले हर किसी की जानकारी को जल शक्ति के साथ शेयर करें ताकि उनका एक डाटाबेस बनाया जा सके।  एक वह भी समय था जब तालाब ,बावड़ियां और कुएं हमारे जल के स्रोत थे। वे राज्य आसरे न होकर जनता के आसरे थे। उनका रख-रखाव भी जनता करती थी। मगर जब से पानी का जिम्मा सरकार ने संभाला है हम राज्याश्रित हो गये और अपने परंपरागत स्रोतों को भूल बैठे जिसका नतीजा यह निकला आबादी बढ़ती गई और जल घटता गया। वैश्विक संस्थाओं की लगातार चेतावनियों का लगता है लोगों पर कोई असर नहीं पड़ा है। विभिन्न संगठनों की पानी सम्बन्धी रिपोर्टों में साफ  कहा गया है कि भूगर्भ में अब पानी नहीं रहा है और वर्षा का पानी सहेजने में हम नाकारा साबित हुए हैं। विशेषकर भारत में पानी के प्रति घोर लापरवाही का परिणाम आम आदमी को शीघ्र भुगतना होगा।  यएन वॉटर एवं इंटरनेशनल फंड फॉर एग्रीकल्चर डेवलपमेंट के अनुसार आंकड़े खुद बोलते हैं कि प्राकृतिक पर्यावरण के क्षरण और जल संसाधनों पर दबाव इसी तरह बना रहा तो 2050 तक विश्व का 45 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद और 40 प्रतिशत खाद्यान्न पर खतरा मंडराएगा। गरीब और वंचित तबके इससे बुरी तरह प्रभावित होंगे। देश इस समय भीषण जल संकट से गुजर रहा है और इस आसन्न संकट पर जल्द काबू नहीं पाया गया तो हालत बदतर होने की सम्भावना है। भारत अब तक के सबसे बड़े जल संकट से जूझ रहा है।  जल जीवन का सबसे आवश्यक घटक है और जीविका के लिए महत्वपूर्ण है। यह समुद्र, नदी, तालाब, पोखर, कुआं, नहर इत्यादि में पाया जाता है। हमारे दैनिक जीवन में जल का बहुत महत्व है। हमारा जीवन तो इसी पर निर्भर है। यह पाचन कार्य करने के लिए शरीर में मदद करता है और हमारे शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है। यह हमारी धरती के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह हमारे जीवन की गुणवत्ता निर्धारित करने में महत्वपूर्ण घटक है और सार्वभौमिक है।  प्रधानमंत्री ने सामाजिक हस्तियों से जल संरक्षण कार्यों में योगदान की अपील की है और कहा है हम अपने परंरागत जल स्रोतों की सुध बुध लें, उनका जीर्णोद्धार कराएं ताकि पानी की एक एक बूंद का सदुपयोग हो सके। आवश्यकता इस बात की है कि हम जल के महत्व को समझें और एक-एक बूंद पानी का संरक्षण करें तभी लोगों की प्यास बुझाई जा सकेगी।