धरती का स्वर्ग गंगोत्री

वैसे तो पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण सारा भारत ही दर्शनीय है पर यदि उत्तर भारत और उसमें भी पहाड़ों के सौन्दर्य को देखने की ललक मन में जगे तो फिर उत्तराखंड से बेहतर शायद ही कोई दूसरा स्थान कल्पना के कैनवस पर उभर सकेगा। यह अकेला राज्य ही चार धामों में से दो धाम बद्रीनाथ व केदारनाथ का मालिक है। इसके अलावा  यमुनोत्री, गंगोत्री, लंका, गौमुख, तपोवन,नंदनवन, रक्तवन,हर्षिल, मंसूरी, हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून जैसे एक से बढ़ कर एक धार्मिक व पर्यटन के लिहाज से दर्शनीय स्थलों से भरा पड़ा है। इतना ही नहीं, यहां राजाजी नेशनल पार्क व  जिम कार्बेट नेशनल पार्क जैसे प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण वन क्षेत्र तो हैं ही, नदियों के रूप में गंगा, यमुना, भागीरथी, जाह्नवी, नीलगंगा, बाणगंगा जैसी छोटी बड़ी अनेक नदियां उत्तराखंड की सुंदरता को चार चांद लगा रही हैं। जब भीषण गर्मी से तन-मन दोनों ही उकता जाएं, तब शीतलता पाने और पुण्य कमाने दोनों ही लिहाज से उत्तराखंड चले आइए। मन तो तृप्त होगा ही, तन भी ताज़गी व स्फूिर्त से भर उठेगा।  उत्तराखंड में घूमने-फिरने और रहने व खाने पीने के लिहाज इतना कुछ है कि मन भरने का सवाल ही नहीं उठता। एक बार में कोई सा भी एक रास्ता थाम लीजिए। उसी में हफ्ता या पखवाड़ा नहीं, महीनों आराम से बिताए जा सकते हैं। यमुनोत्री की राह पकड़ी तो अलग सौन्दर्य और गंगोत्री का रास्ता पकड़ा तो प्रकृति की अलग छटा मन मोहने को तैयार। दिल्ली या दिल्ली की तरफ से आने पर वाया मेरठ, मुजफ्फरनगर होते हुए शिक्षा के नगर रुड़की को पार करके महज 31 किलोमीटर की दूरी पर तीर्थों का तीर्थ हरिद्वार आपका स्वागत करने को तत्पर मिलेगा। यहां आप पतित पावनी गंगा के दर्शन व स्नान का लाभ तो लेंगे ही, हर की पौड़ी से  गंगा का स्वच्छतम जल भी साथ ले जा सकते हैं और यदि पर्याप्त समय आपके पास हो तो फिर शाम 7 बजे गंगा की मनोरम आरती का पुण्य कमाना न भूलिएगा। झिलमिल दीपों के प्रकाश में गंगा मैया की सुंदरतम शोभा अन्यत्र कहीं देखने को नहीं मिल सकती है। हजारों दीपों को गंगा में प्रवाहित होते देखना अपने आप में एक   अनुपम अनुभूति देता है। तिस पर भी इस आरती का पौराणिक व धार्मिक महत्त्व जान लें तो फिर गंगा की आरती में शामिल होने का लोभ मानव तो क्या, देवता व दानव तक भी नहीं छोड़ पाते हैं।  दिन में बाजार घूमने के साथ साथ सात मंजिला भारतमाता मंदिर, चंडी मंदिर, मनसा देवी आदि पर पैदल या उड़नखटोले यानी ट्रॉली से जाया जा सकता है। वैसे ऑटो या फिर टैक्सी का सहारा भी लिया जा सकता है पर ध्यान रहे, दूसरे पर्यटन स्थलों की तरह यदि आपने पहले से रेट तय नहीं किया तो आप ठगे भी जा सकते हैं। बेहतर हो कि आप ‘लम्पसम’ यानी एकमुश्त धनराशि तय करके ही बैठें तो अच्छा होगा और यह मूल्य भी आप घूमने फिरने के बाद ही दें तो ज्यादा अच्छा रहेगा। वैसे ऐसा भी नहीं है कि सारे के  सारे ऑटो वाले ही बेईमान हों। अच्छे व मृदुभाषी चालकों की भी कमी नहीं हैं पर फिर वही बात सावधानी हटी, दुर्घटना घटी। सो, सावधान रहने में कोई बुराई तो है नहीं।  और भी मंदिर देखने को मन कर रहा हो तो भूपतवाला में चले आइए। मंदिर ही मंदिर और वह भी एक से  बढ़ कर एक। न वैष्णो देवी जाने की जरूरत और न ही कष्ट उठाने की ज़हमत। सब आपको भूपतवाला में देखने को मिल जायेगा। मंदिरों की सज्जा ऐसी कि बस देखते ही रह जाएं। हां, कुछ मंदिरों में प्रवेश शुल्क जरूर वसूला जा सकता है पर सच में यह न दुखता है और न ही पर्यटक ठगा सा महसूस करता है।  शांति की इच्छा हो तो भला शांतिकुंज देखे बगैर कौन जाना चाहेगा। योग सीखना या कि करते हुए देखना हो, बाबा रामदेव द्वारा स्थापित पतंजलि योगपीठ भी जाया जा सकता है और यहां के उत्पाद खरीद कर उनकी गुणवत्ता का प्रमाण भी ले सकते हैं। हरिद्वार क्षेत्र सचमुच ही आनंद और पुण्य एक साथ प्रदान करता है।  जब हरिद्वार भ्रमण पूरा हो जाये और पेट पूजा का मन कर रहा हो तो शुद्ध वैष्णव भोजनालयों की कमी आपको कतई नहीं खलेगी। चोटीवाला से लेकर दूसरे सैंकड़ों ऑप्शन आपके सामने खुले रहेंगे। ठहरने को भी धर्मशालाओं से लेकर होटलों, सरायों, आश्रमों, मठों, पेईंग गेस्ट हाउसों तक की लम्बी फेहरिस्त आपके सामने होगी लेकिन फिर से एक बार कहूंगा कि पहले ही किराया व सुविधाओं की पूरी पूरी जानकारी लेना ही बेहतर होगा अन्यथा फिर वही ‘सावधानी हटी दुर्घटना...’। यानी कि हरिद्वार में आपको पर्यटन व पुण्य दोनों ही प्रचुर मात्र में उपलब्ध हो जाते हैं। एक दिन से लेकर तीन चार दिन तो आप आराम से यहां बिता ही सकते हैं। थोड़ा आगे बढ़ेंगे तो ऋषिकेश के रूप में एक और मनोरम स्थल बाहें फैलाए आपके स्वागत में तैयार है। शिवालिक श्रेणी में बसा यह स्थान हरिद्वार से पहले ही गंगा का स्वागत करता है। यहां भी एक से बढ़कर एक घूमने फिरने की जगह आपको मिल जायेंगी। पवित्र गंगा तो है ही, यहां लक्ष्मण झूला, राम झूला, गीता भवन, मुनि की रेती, शिव मंदिर  देखने के साथ साथ आप बोटिंग, राफ्टिंग, केनॉइंग, क्याकिंग जैसे वाटर गेम्स  का आनंद भी भरपूर मात्रा में ले सकते हैं और वह भी हरिद्वार व दूसरे स्थानों से अपेक्षाकृत कम दाम पर लेकिन पहले ही तय करने में यहां भी न शर्मायें तो ही बेहतर है। 

-घनश्याम बादल