क्या सचमुच बदल जायेगी भारत की परमाणु नीति ?

जम्मू-कश्मीर के अनुच्छेद-370 हटने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार का रुख शीशे की तरह साफ  दिखाई दे रहा है। सरकार असमंजस वाली मध्यमार्गी नीति से मुक्त हो रही है। कोई रहमदिली दिखाने की बजाय सरकार अब इस मूड में आ गई है कि जहां भी लोहा गरम हो, हथौड़ा चला दिया जाए। धूर्त पाकिस्तान के परिप्रेक्ष्य में ऐसी कड़ाई बरतना भी जरूरी है। लिहाजा रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने युधिष्ठर की शैली में कहा है, ‘हमारी परमाणु नीति का सिद्धांत कहता है कि हम पहले परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं करेंगे, लेकिन भविष्य में क्या होगा यह परिस्थिति पर निर्भर करेगा।’ इसी तर्ज पर महाभारत युद्ध में द्रोणाचार्य से युद्ध लड़ते हुए युधिष्ठर ने भीम से कहा था, ‘अश्वत्थामा हतो: नरो व कुंजरो व’ अर्थात अश्वत्थामा तो मरा है, लेकिन मनुष्य है या हाथी यह स्पष्ट नहीं है। यहां हाथी शब्द इतनी धीमी आवाज में बोला था कि द्रोणाचार्य उसे ठीक से सुन नहीं पाए थे। फ लत: उन्होंने समझा कि उनका पुत्र अश्वत्थामा मारा गया। इसके बाद द्रोणाचार्य ने अस्त्र पटक दिए और ध्रश्टद्युम्न ने उनकी हत्या कर दी। बहरहाल इशारों-इशारों में पाक प्रधानमंत्री इमरान खान को राजनाथ ने कड़ी चेतावनी दे दी है कि पाक अपनी हरकतों से बाज नहीं आया तो भारत पहले परमाणु हमला करने के सिद्धांत पर स्थिर नहीं रहेगा।  
भारत ने 1998 में दूसरे परमाणु परीक्षण के बाद इस सिद्धांत को अपनाया था। इस समय अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। भारत ने पहला परमाणु परीक्षण इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए पोखरण में किया था। अगस्त-1999 में भारत सरकार ने इस सिद्धांत का एक प्रस्ताव जारी किया था। इसमें कहा था कि परमाणु हथियार केवल निरोध के लिए है और भारत केवल प्रतिशोध की नीति अपनाएगा। अर्थात भारत कभी स्वयं आगे बढ़कर पहले परमाणु हमला नहीं करेगा। परंतु यदि किसी देश ने उस पर परमाणु आक्रमण किया तो वह प्रतिकार की भावना से परमाणु हमला करके प्रतिक्रया देगा। दरअसल बौखलाए इमरान खान यह कह चुके हैं कि भारत और पाक के बीच युद्ध हो सकता है। पाक के पूर्व मंत्री और सेना प्रमुख भी परमाणु हमले की धमकियां दे चुके हैं। इसलिए भारत को अपना रुख स्पष्ट करना जरूरी था। 
अमरीकी गुप्तचर संस्था सीआईए के पूर्व वरिष्ठ खुफिया अधिकारी केविन हलबर्ट की बात मानें तो पाकिस्तान दुनिया के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक देशों में से एक है। पाकिस्तान की यह खुंखार और डरावनी सूरत इसलिए बन गई है, क्योंकि तीन तरह के जोखिम इस देश में खतरनाक ढंग से बढ़ रहे हैं। एक आतंकवाद, दूसरे ढह रही अर्थव्यवस्था और तीसरे परमाणु हथियारों का जरूरत से ज्यादा भंडारण। आर्थिक संकट के ऐसे ही बदतर हालात से उत्तर कोरिया जूझ रहा है। मानव स्वभाव में प्रतिशोध और ईर्ष्या दो ऐसे तत्व हैं, जो व्यक्ति को विवेक और संयम का साथ छोड़ देने को मजबूर कर देते हैं। इस स्वभाव को क्रूरतम परिणति में बदलते हम अमरीका द्वारा हिरोशिमा और नागासाकी पर किए परमाणु हमलों के रूप में देख चुके हैं। अमरीका ने हमले का जघन्य अपराध उस नाजुक परिस्थिति में किया था, जब जापान इस हमले के पहले ही लगभग पराजय स्वीकार कर चुका था। पाक इस समय इसी क्रूरतम मानसिकता से गुजर रहा है। 
पाकिस्तान दुनिया के लिए खतरनाक देश हो अथवा न हो, लेकिन भारत के लिए वह खतरनाक है, इसमें किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए ? दशकों से वह भारत पर हमला करने के लिए आतंकियों के इस्तेमाल को सही ठहरता रहा है। पाक भारत के खिलाफ  छद्म युद्ध के लिए कट्टरपंथी मुस्लिम अतिवादियों को खुला समर्थन दे रहा है। मुंबई और संसद पर हमले के दिमागी कौशल रखने वाले योजनाकार दाऊद और हाफिज सईद को पाक ने शरण दे रखी है। पुलवामा हमले का अपराधी अजहर मसूद वहां कुछ समय पहले तक खुला घूमता था। यही नहीं भारत के खिलाफ आतंकी रणनीतियों को प्रोत्साहित व सरंक्षण देने का काम पाक की गुप्तचर संस्थाएं और सेना भी कर रही हैं। हालांकि पाकिस्तान द्वारा आतंकियों को संरक्षण देने के उपाय अब उसके लिए भी संकट बन रहे हैं। आज पाक में आतंकी इतने वर्चस्वशाली हो गए हैं कि लश्कर-ए-झांगवी, पाकिस्तानी तालिबान, आफ गान तालिबान और कुछ अन्य आतंकवादी गुट पाकिस्तान की निर्वाचित सरकार के लिए भी चुनौती बन गए हैं। ये चुनी हुई सरकार को गिराकर देश की सत्ता पर सेना के साथ अपना नियंत्रण चाहते हैं। अगर ऐसा हो जाता है या परमाणु हथियार आतंकियों के हाथ लग जाते हैं, तो तय है, पाक को दुनिया के लिए खतरनाक देश बन जाने में देर नहीं लगेगी? इस नाजुक परिस्थिति में सबसे ज्यादा जोखिम भारत को उठाना होगा, क्योंकि भारत पाक सेना और आतंकी संगठनों के लिए दुश्मन देशों में पहले नम्बर पर है। 
एक रिपोर्ट के मुताबिक अमरीका के पास 6185, रूस 6500, यूके 200, फ्रांस 300, चीन 290, पाकिस्तान, 150-160, भारत 130-140 और इजराइल के पास 80-90 हथियार हैं। पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर नजर रखने वाले लेखकों के दल की 2018 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के पास इस समय 140 से 150 परमाणु हथियार हैं। यदि परमाणु अस्त्र-शस्त्र निर्माण करने की उसकी यही गति जारी रही तो 2025 तक इनकी संख्या बढ़कर 220 से 250 हो जाएगी। यदि यह संभव हो जाता है तो पाक दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा परमाणु हथियार संपन्न देश हो जाएगा।   
इसीलिए कहा जा रहा है कि यदि भारत और पाक के बीच परमाणु युद्ध का सिलसिला शुरू होता है तो इसके पहले ही प्रयोग में 12 करोड़ लोग तत्काल प्रभावित होंगे। न्यूयॉर्क टाइम्स ने खबर दी है कि ऐसी हालत में जिस देश पर परमाणु बम गिरेगा, वहां डेढ़ से दो करोड़ लोग तत्काल मौत की गिरफ्त में आ जाएंगे। साथ ही इसके विकिरण के प्रभाव में आए लोग 20 साल तक नारकीय दुष्प्रभावों को झेलते रहेंगे। यदि यह युद्ध शुरू हो जाता है और परमाणु अस्त्रों से हमले शुरू हो जाते हैं तो इन्हें आसमान में ही नष्ट करने की तकनीक फि लहाल कारगर नहीं है। पाक के पास फि लहाल टेक्टिकल परमाणु अस्त्र हैं। जिसकी मारक क्षमता अपेक्षाकृत कम है। इन्हें केवल जमीन से ही दागा जा सकता है। इसे दागने के लिए पाक के पास शाहीन मिसाइल है, जिसकी मारक क्षमता 1800 से 1900 किमी है। इसकी तुलना में भारत के पास अग्नि जैसी ताकतवर मिसाइलों की पूरी एक शृंखला है। इनकी मारक क्षमता 5000 से 8000 किमी तक है। 
यही नहीं भारत के पास परमाणु बम छोड़ने के लिए ऐसी त्रिस्तरीय व्यवस्था है कि हम जमीन, पानी और हवा से भी मिसाइलें दागने में सक्षम हैं। भारत की कुछ मिसाइलों को तो रेल की पटरियों से भी दागा जा सकता है। साथ ही हमारे पास उपग्रह से निगरानी प्रणाली भी है। भारत का संकट अब तक केवल इतना था कि उसके हाथ, ‘पहले परमाणु शस्त्र’ का उपयोग नहीं करने की नीति से बंधे हैं। जिससे मुक्त होने का संकेत देश के रक्षामंत्री ने दे दिया है। भारत की पीठ में छुरा घोंपने वाले देश पाकिस्तान के परिप्रेक्ष्य में इस नीति से बंधे रहना हवन करते हाथ जलाने की तरह है। गोया, परमाणु हथियारों की बढ़ती प्रतिस्पर्धा में भारत का इस नीति से बंधे रहना राष्ट्रहित में कतई नहीं रह गया है।