समुद्र में कैसे पता लगाया जाता है  पनडुब्बी और तारपीडो का

दोस्तोंतुम्हें जानकर अचरज होगा एक यंत्र ऐसा भी है जिसका उपयोग विशेष रूप से समुद्री लड़ाइयों में किया जाता है। लड़ाइयों के अतिरिक्त भी यह यंत्र जलयानों और पनडुब्बियों में प्रयोग में आता है। इस अनोखे यंत्र का नाम है सोनार। इस यंत्र को ध्वनि तरंगों की सहायता से समुद्र के अन्दर उपस्थित पनडुब्बी और तारपीडो जैसी वस्तुओं का पता लगाने के लिए काम में लिया जाता है। सोनार का अर्थ है-साइड नैवीगेशन एंड रेजिंग। इस यंत्र की बदौलत समुद्र के अंदर मौजूद, बड़ी-बड़ी मछलियों और जानवरों आदि का पता भी लगाया जाता है। इसकी सहायता से समुद्र के अंदर 100 मीटर से 10 कि.मी. की दूरी तक की वस्तुओं का पता लगाया जा सकता है। सोनार यंत्र में मुख्य रूप से दो भाग होते हैं ट्रांसमीटर और रिसीवर। ये दोनों ही पानी में डूबे रहते हैं। ट्रांसमीटर में एक ट्रांस ड्यूसर की सहायता से उच्च आवृत्ति की ध्वनि तरंगें पैदा की जाती हैं, जो समुद्र में पानी के अंदर सभी दिशाओं में फैल जाती हैं। ये तरंगें स्पंदनों के रूप में रुक-रुक कर पानी के अंदर भेजी जाती हैं। जब इन तरंगों के रास्ते में कोई वस्तु आ जाती है तो ये उससे टकरा कर परावर्तित हो जाती हैं और इन परावर्तित तरंगों को रिसीवर द्वारा प्राप्त कर लिया जाता है। तरंगों के जाने और लौटकर आने में लगा समय ज्ञात कर लिया जाता है। समुद्र के जल में ध्वनि के वेग और इस समय की सहायता से उस वस्तु की दूरी का पता लगा लिया जाता है।